Monday, 30 July 2012

kaha se manushy lau

आज कुछ लिखने का मन नही है ...........चलिए आप तो समझ गए कि मैं क्या कहना चाहता हूँ .........पर भैस  के आगे बीन बजाओ ....भैस खड़ी पगुराए.....................आप भैस किसको कह रहे है यह आप जाने .............मैं बीन बजा रहा हूँ ....नही नही भैया मैंने बीन बजायी होती तो बिल से सांप कब के निकल कर आ गए होते ...............पर सांप को ढूंढे कौन ..साला इतना टेढ़ा मेढ़ा चलता हैं कि आप इधर भागिए तो वो उधर ....कोई आप नेता तो है नही जो सांप की चल जानते हो ....अरे भैया  हमरी न मानो तो बजजवा से पूछो .....इन्ही लोगो ले लीना दुपट्टा मेरा ...... पर जब दुपट्टा ढ़ाही नही तो इन बेशर्म नेताओ को क्या समझाए कि शर्म क्या होती है ................उस से तो अच्छा है राम तेरी गंगा मैली की मन्दाकिनी की तरह पूछ लो क्या कभी अपनी माँ को नही देखा .............पर यह नेता तो कहेंगे जब आप रो कर कहेंगी भगवन के लिए मुझे छोड़ दो ,,,जाने दो  .....तो कहेंगे ....भगवन के लिए छोड़ दू तो फिर मैं क्या करूँगा ..............अब क्या कुछ बचा है जो इन नेताओ से देश केलिए सोचने की आशा की जाये ...............पर सच कहता हूँ कि आज की रात कुछ लिखने का मन नही है .....क्यों कि देश के ज्यादातर लोग तो पढ़ ही नही पाते ...और तो और फेस बुक पर भी कहा पढ़ पाते है ................धन्यवाद फेस बुक जो कम से कम असली निरक्षर लोगो का पता तो चला वरना ज्यादातर लोग तो यही सम्ह्ते थे कि धोती कुरता वाले जाहिल होते है .............पर आप कैसे इन्ही को नंगा कह सकते है क्योकि हमाम में तो सभी नंगे होते है .और अपनी  नंगई को कौन नही जनता है .....हा हा क्यों नही हम सब के पास काम ही क्या है ................बिलकुल सही कहा अब हम दूसरो की नंगई देखनेके ज्यादा आदी हो गए है .......बकवास करते है आप क्या आप कहना चाहते है कि नेता नंगा होता है ...................नही नही नंगे को क्या खंगा ..........मै तो यह कहा रहा था क्या आप को कभी कुत्ते की ननागी दिखाई  दी जब कि वो हर समय नंगा रहता है .............बड़े बद्ताम्मेज है आप ..........अपने देश के नेताओ को आप कुत्ता कह रहे है और अपने को पढ़ा लिखा कहते है ..................अरे नही माई बाप नेता को कुत्ता कैसे कोई कह सकते है मुझे तो लगता है कुत्ता अपने को कहलाना कोई बड़ी बात है नही ...यह भी कोई बात हुई कि कुत्ता कहलाओ और स्वामी भक्त का टीका लग जाये ...लगता है आपको मोनिया और सोहन के बारे में पता नही हैं  ......नेता है आप और पाने को लुट लेना मरवा देना तो आपके बाये हाथ का खेल है ...नही नही यह तो कुत्ते और उसकी स्वामी भक्ति की तौहीन होगी ..........देखिये आप बड़े सयाने बनने की कोशिश ना करिए आ व्यंग्य के नाम पर नेताओ को न जाने क्या क्या आनाप सनाप कहते रहते है ...................क्या मैं समझता नही हूँ ......माना कि डकैती के बाद सांसद बन गया पर आपकी साडी बात समझता हूँ ...गुस्ताखी माफ़ हो प्रजातंत्र के जहाँपनाह ...............मेरी क्या औकात जो आप के ऊपर व्यंग्य लिखू ..............आपका नाम लेते के बाद व्यंग्य खुद शर्मसार  हो जाता है ...............खैर यह बताइए क्या अन्ना कुछ गलत कर रहे है????????????????? देखिये यह पॉलिसी मैटर है मैडम जी से पूछ कर ही बता पाउँगा ,,,,,,,,,,,,,,वैसे यह अन्ना है कौन और क्या कर रहेहै इस देश में ................इस से पहले किस देश में थे ..........मुझे सिर्फ भारत और हरत केलोगो से मतलब है ..............कसाब के बारे में सोचना है , जीन्दाल के बारे में सोचना है ...ये लोग देश की  धरोहर है ...इनको कुछ नही होना चाहिए ........अन्ना तो पन्ना की खान है जितने चाहो निकाल लो..........अन्ना कही मेरी कुर्सी तो नही छिनना चाहते है .....अरे दिग्गी जरक कुर्सी के पाए पकड़ लो कही कोई लेकर भाग  ना जाये.............वैसे इकबाल को लगता है अन्ना ने पढ़ा नही ...हम बुल बुले है इसकी ...ये गुलसितां हमारा .......................अब बुल बुले के लिए  क्या परेशान होना .................और हा ज्यादा ज्यादा भ्रष्टाचार भर्ष्टाचार न करिए ...संभालिये .....बुलबुले है ...कब फुट जाये ...पता भी लगेगा......कि समुन्दर में उठे कहा से थे और गायब कहा हो गए ,,,,,,,,,,,,,, मैं नही कह रहा हूँ गीता का ज्ञान है .............देखा देखा मेरी नही मानी ना देखिये कितने बुलबुले फूट गए ........आसाम के लोगो को हमने समझा दिया अब आप भी समझ जाये वरना ......................क्या आप इस देश में बुलबुले बनगए है ....................क्या आपको बुलबुला इस लिए अच्चा लगता है क्योकि आप उसकी गोलाई देख कर पागल हो जाते है .....................सूअर के बाल आँखों में नही आपके हाथो में उग आये है .................हाथ में ही तो  देश का भविष्य होता है और वैसे भी राखी पास ही है .......................पर आपको तो राख से खेलने की आदत पड़ गई है ............और राख से आँखों में धूल झोकी जा सकती है ...............पर आप अंधे तो है नही पर राख से अंधे को कुछ नही दिखाई देता और इसी लिए आपने भारत माँ का आँचल  तक नोच डाला .............क्या आप इस देश में राखी वाले दिन घर से बाहर निकल रही है ..................अल्लाह बचाए इन नवजवानों से अल्लाह बचाए ................क्या आपको लगता है कि आप कुछ कहना चाहते है ............लेकिन बोलता तो  मनुष्य है ..............आप तो  हर जुल्म पर चुप रहे है .................क्या आपको जिओ और जीने दो पर विश्वास है .......आप जीव जन्तुओ से प्यार करते है ...................क्या करते करते आप भी जानवर ....................अब भ्रष्टाचार पर क्या kahu   .....कोई मनुष्य ??????????????????????/

No comments:

Post a Comment