Wednesday, 28 March 2012

Anna OR Balwant singh ????????????? Indian ?????????

अन्ना हजारे और बलवंत सिंह ?????????????????????????????? कौन भारतीय  ज्यादा !!!!!!
आज और कल में फर्क इतना है कि कल संसद में अन्ना के लिए चीख  पुकार मची थी और आज बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह के फांसी पर पंजाब सहित पूरा देश चिल्ला रहा था पर यक्ष प्रश्न यही है कि असली भारतीय कौन है ?????????????? अन्ना या बलवंत या फिर एक आम आदमी ज्यादा भारतीय ज्यादा है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! अन्ना एक ऐसा नाम जो पिछले एक साल में भ्रष्टाचार के खिलाफ हर लड़ने वाले के लिए एक ब्रांड है जिस के सहारे पूरा देश यह बताने में जुटा दिखाई देता है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ है पर सच क्या यही है ?????? अन्ना जानते है कि पढाना एक टीचर का फर्ज है पर विश्वास से उन्होंने कभी नही पूछा कि तुम्हारे  कॉलेज के लड़के कहते है कि तुम पढ़ाते नही फिर देश का दर्द तुम क्या समझोगे ??????????????? यही नही उन्होंने कभी नही खा कि केजरीवाल तुम सरकार का पैसा रोक कर गलत कर रहे थे फिर तुम्हरे और टैक्स चुराने वालो में फर्क क्या है  और तुम क्यों भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हो ????????????तुम लखनऊ जाकर सिर्फ वातानुकूलित कमरों में बैठते हो तुम कैसे जन पाओगे कि एक किसान का दर्द क्या है ?????????? और किरण बेदी से कभी नही कहा कि एक ही यात्रा के लिए दो दो पैसा लेकर और उच्चा श्रेणी का किराया लेकर निम्न श्रेणी में यात्रा करना भी धोखाधडी ही है तो तू उस धोखे बाज से कैसे बेहतर हो जो देश में धोखा देकर चूना लगा रहा है ?????????? उन्हों ने खुद से नही पूछा कि गाँधी कि तरह वह सेकेंड  क्लास में सफ़र क्यों नही कर सके ...उन्होंने हमेशा हवाई जहाज़ से सफ़र किया पर गाँधी कि तरह साधारण क्लास में सफ़र करके हर स्टेशन पर क्यों नही देश कि जनता से मिले ???????उन्हों ने कभी आम जनता के पत्रों का जवाब दिया ??उन्हों ने अपने आलवा कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ बैठने वाले अनशन करिओ को तरजीह दी ऐसा लगता है जैसे गलत तरीके से रमन मग्सेसे पुरस्काए पाए लोगो ने यह निशित किया कि भरष्टाचार की बात करके क्यों न अन्ना को भी यह पुरुस्कार दिला दिया जाये और इसके लिए सिर्फ देश की जनता को समय समय पर उकसाया गया | उकसाना शब्द इस लिए ख रहा हूँ क्यों की उन्होंने अनशन करिओ को कभी गंभीरता से नही लिया और न ही गलत दवाओ और चोरी की चादर के प्रकरण में उन्होंने कोई बोलने की जरुरत समझी| यानि सिर्फ अपने को उठाने का एक प्रयास और अगर आपको ऐसा न लगे तो बताइए की जब देश के ५ राज्यों में चुनाव हो रहे थे तो उन्होंने क्यों नही देश की जनता से कहा कि इस बार देश कि हर विधान सभा को इमानदारो से भर दो | उनको  देश ने इतना समर्थन और सम्मान दिया था कि पूरा देश उन्हें यह भी करके दिखा देता पर उस समय यही दिखाने में पूरा समय बीता कि वह बीमार है , चल नही सकते पर लकवा तो नही मार गया था | जिस मीडिया ने उन्हें इतना स्थान दिया वह बीमार अन्ना की अपील भी दिखा देता और बीमार अन्ना की अपील जादू सा असर करती और देश का भविष्य सुधर जाता पर वह तब तक बीमार बने रहे जब तक चुनाव समाप्त नही हो गया और अब वह पूरी तरह ठीक है | क्या यह सिर्फ इतेफाक है ??????? और जब देश को बदलने का विकल्प शुन्य ( चुनाव और मत )  कीस्थिति में है तो वह फिर देश को समझने की कोशिश कर रहे है कि देश के नेता चोर है , भ्रष्टाचारी है | क्या यह सिर्फ गलत समय पर देश के लोगो कि कोमल भवन अको उकसाने का प्रयास नही है ?????? क्या भूमंडली करण के समय गांधीवाद को बाजारीकरण कि वास्तु बना कर गाँधी को बेचने का प्रयास भर नही है अन्ना का प्रयास ??????अगर ऐसा नही तो उन्होंने सही समय पर सही बात क्या नही उठाई ????????????? अन्ना जन गए कि इस देश में भावना उकसा कर कैसे अपने को महान बनाया जा सकता है | इस शोर गुल से इतर देश में इस लिए भी शोर मचाया जा रहा है कि बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह को क्यों फांसी दी जा रही है जब कि उच्चतम न्यायलय  का आदेश आना शेष है और संविधान  के अनुच्छेद ७२ के अंतर्गत राष्ट्रपति की क्षमा याचना आना भी शेष है पर यह भी जनन होगा कि ०१ अगस्त २००७ से एक आदमी जिन्दा जो मर जाना चाहिए  था मैंने राष्ट्रपति जी के यह से सुचना भी मांगी कि आखिर कब तक हत्यारों को जिन्दा रख कर देश का पैसा और जनता से पैसा का दुरपयोग करने का प्राविधान है पर आज तक उसका उत्तर नही दिया गया है ?????????? जिस देश में हत्या करने के बाद कोर्ट और राष्ट्रपति की क्षमा याचना के प्राविधान के सहारे एक अपराधी २० २० साल जिन्दा रह सकता हो तो उस देश में अपराध बढ़ना स्वाभाविक है और आम जनता में यह सन्देश जा रहा है कि देश में अपराधियों को ज्यादा संरक्षण है और इसी लिए उन्हें किसी तरह जिन्दा रहने के लिए कम करना चाहिय क्योकि न्याय के नाम पर एक अपराधी तो वर्षो जिन्दा रह सकता है पर जिस का घर उजाड़ गया उसके लिए न्याय क्या हो , इस के लिए देस मौन है और यही कारण है कि विगर में अपराध बढ़ा है और लोगो में डर बढ़ा है और इसने ने भर्ष्टाचार को बढ़ाने में भी मदद की है \ इस लिए गलत करने वालो को तुरंत फांसी हो और यही कानून हर जगह मान्य होना चहिये क्यों कि एक तरफ देश की जनता को इस लिए उकसाया जा रहा है कि भर्ष्टाचार है और दूसरी तरफ एक हत्यारे को बचाने  के लिए यह कहकर उकसाया जा रहा है कि देश में कानून का मतलब नही है जब कि देश कि सामान्य जनता को उकसाने के लिए दोनों को देश का गुनाहगार माना जाना चाहिए और जनता को स्वयं एक साफ़ सुथरा देश बनाना चाहिए न कि उन लोगो के साथ जाना चाहिए  जो फिर से देश को बाटना चाहते है और सिर्फ इनाम, सम्मान पाने के लिए देश को गलत तरीके से गलत समय पर भटकाते है ..आप भी उतने ही संवेदन शील भारतीय है जितना वो अपने को कहकर भर्ष्टाचार करने वालो के साथ मिल कर देश से भर्ष्टाचार मिटने कि बात करते है ...........सोचिये और कुछ कहिये जरुर ........डॉ आलोक चांत्टिया

1 comment:

  1. देश में पनप रहे अंतर्विरोधों का अच्छा खाका खींचा गया है. बढ़िया लेखन.

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