महिला दिवस से ठीक ६ दिन पहले मै अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपके साथ इस बात पर चर्चा करने के लिए प्रेरित हूँ कि क्या औरत सिर्फ विमर्श तक ही सिमट कर रह गई है ? औरत खुद औरत के लिए जहा एक प्रतिस्पर्धात्मक तथ्य है वही आदमी के लिए तुलनात्मक तथ्य है . पर यह भी एक नितांत सत्य है कि प्रतिसप्र्धात्मक होने के कारण औरत इर्ष्या , बदला का हिस्सा बन रही है वही तुलनात्मक होने के कारण व आकर्षण का केंद्र भी है पर मै जनता हुकि मेरी इस बात पर आप लोग सहमत नही होंगे , इसी लिए मै आपके सामने दो उदहारण रख रहा हूँ ...आज देश के सबसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र में एक खबर छपी कि एक आदमी एक औरत से विवाह करने के बाद एक और औरत से प्रेम करने लगा पर वह पीछा छुड़ाना चाहता था इसके लिए उसने अपनी पत्नी को एच ई वी वायरस का इंजेक्सन लगवा दिया और जब वह इस से पीड़ित हो गई तो उसके चरित्र पर आरोप लगा कर उसने उस से पीछा छुड़वाना चाहा, यह प्रकरण पंजाब के फजिलिका जिले का है मामला न्यालायाय में है .........दूसरा प्रकरण भी काफी चर्चित है और वह है भोपाल की चर्चित आर टी आई कार्यकर्ता श्याला मसूद की हत्या , पहले यह कहा गया कि कार्यकर्ता का जीवन सुरक्षित नही है और पूरा देश चिल्ला उठा पर आज खबर यह आई कि श्याला और जाहिदा दोनों महिलाये एक ही आदमी से प्रेम करती थी और इसी लिए दूसरी महिला ने सुपारी देकर श्याला की हत्या करवाई . इन दोनों प्रकरणों में यह तो स्पष्ट है कि पुरुष जहा औरत का दोहन कर रहा है वही औरत औरत के जीवन की दुश्मन है और यह बात को समझना तब ज्यादा महत्व पूर्ण हो जाता है जब भारत जैसे देश में जहा औरत की संख्या कम है वह पर एक पुरुष के साथ एक से ज्यादा औरत के जुड़ने की बात थोड़ी समझना मुश्किल हो सकती है पर मुझसे एक बार एक विवाहित महिला ने कहा था कि औरत यह देखती है कि उसके लिए केयरिंग कौन है और यही कारण है कि वह डाकू से भी जुड़ जाती है . शायद यही कारण है कि महिला को समझना और उस पर बात करना मुश्किल है पर यह भी सच है कि औरत को अपनों से शायद केयर में कमी मिल रही है या फिर समाज की परम्पराए जिनके कारण औरत धीरे धीरे अलग थलग पड़ जाती है और फिर वह चर्चा परिचर्चा , संगोष्ठी , सेमिनार का विषय बन जाती है और इसका सब से बड़ा सच यह है औरत के लिए औरत ही संवेदन शील नही है और समाज का सारा विमर्श सिर्फ पुरुष के साथ उसके व्यव्हार पर ही केन्द्रित रह जाता है और औरत एक विषय से ज्यादा कुछ नही दिखाई देती , हाड मांस से दूर सिर्फ अपने को औरत की बात करके प्रतिशित करने का साधन मात्र .........डॉ आलोक चान्त्तिया
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