Monday, 26 March 2012

kya sach hai

मौत को लेकर चला जिन्दगी कहता रहा ,
उम्र बढती गयी मै जन्मदिन कहता रहा ,
लोग कहते मै आलोक हूँ पर रहता अँधेरा ,
कदम घर की तरफ पर दूर मै होता गया .........................हम जो दिखाना चाहते है वह होता नही और जो होता है वो हम जान पाते .....डॉ आलोक चांत्टिया

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