Thursday, 29 March 2012

white clour crime

कहते है कि सामान्य आँखों से समाज में चल रहे अपराध दिखाई नही देता और आप उसे अपराध ख भी कैसे पाएंगे जब कि वह सब कुछ इस तरह किया जा रहाहो मानो आप ही की गलती के कारण आपका नुकसान हो रहा हो या फिर आप ही लापरवाह है | ऐसा ही कुछ मैंने अपने अध्ययन के लिए चुने गए लखनऊ विकास प्राधिकरण में पाया | एक  आदमी इस लालच में कि एक दिन उसका भी माकन लखनऊ में सरकारी दरो पर होगा और वह वर्ष २००४ में एक योजना में आवेदन करता है और भाग्य वश उसका नाम भी आ जाता है | उसको हर तीन महीने पर करीब ५२००० रूपए की  १० किश्त देनी थी और उसने देना शुरू किया जो फ़रवरी २००७ में पूरी हो गयी | अब बारी थी की वह आदमी अपने प्लाट का निबंधन कराके अपने लिए एक छोटा सा माकन बना ले क्यों की किराये से बेहतर है कि अपना मकान हो | जब भी उसने निबंधन के लिए बात की टी बताया गया कि अभी नही हो सकती क्यों कि कुछ तकनिकी मामला है पर इन सब में महंगाई और सभी चीजो के महंगे होने के कारण जो मकान उसको १ या २ लाख में बन सकता था वह वर्ष २०१२ तक में २० लाख में बनना मुश्किल हो गया पर यह हर्जाना कौन भरेगा , इस पर प्राधिकरण मौन है | कुछ निर्लज्ज अधिकारी और बाबु कह देते है कि आरे भाई जमीन भी तो महंगी हुई है पर उन अक्लमंदो से कौन कहे कि जिसे मकान बनाना है उसी जमीन पर , उसके लिखे लिए इस बात का क्या मतलब कि जमीन करोडो  की हो गई है और यही नही इस बीच न जाने कितना किरय अमकन में लग गया वह अलग | खैर जन सुचना अधिकार अधिनियम जनता के लिए अमृत नही तो ओस की बूंद जरुर है जिस से कई बातो का खुलासा करना आसान होता है  और यही हुआ इस तकनिकी से यह बात खुल कर सामने आई कि आज तक प्रदिकरण के पास जमीन  ही नही थी और जब जमीन आ गई तो लीज प्लान नही बना था पर सूचना के कारण वह भी बन  गया लेकिन इस बीच में २००७ से करीब ७ लाख रूपए पर ब्याज कितना हो गया यह आप खुद ही सोच ले यानि हर तरफ से उपभोक्ता का नुकसान चलता रहा और देरी के कारण निबंदहं पर लगने वाले स्टंप शुल्क का भी बोझ लगातार उपभोक्ता पर ही बढ़ता रहता  है | यह सब चल ही रहा था कि एक सरकारी सूचना आई कि जिन लोगो ने आज तक ( यह नही लिखा गया कि सरकार की लापरवाही के कारण ) निबंधन नही कराया है वह लोग १ मार्च से ३१ मार्च के बीच निबंधन करा ले अन्यथा स्टंप शुल्क सिर्किल रेट पर लगेगा | शायद यह एक अच्छी खबर मानी जा सकती है और वह आदमी भी फिर दौड़ने लगा | पहले दल्लो ने यह कह कर कि जमीन बकवास है बिकवाने की कोशिश की पर अपनी पसीने की कमी भला कौन कौन बेचता है ?????वह से बच कर जब वह लिपिक महोदय के पास पंहुचा तो उन्होंने कहा कि होली के बाद आओ | उसे लगा कि भला आदमी मिल गया है काम हो जायेगा और उसने अपना मोबाइल नम्बर भी दे दिया कि आने कि कोई जरुरत नही है आप इसी से पूछ लीजियेगा | अब क्या था उसे भी लगा कि दुनिया अभी अच्छे लोगो से खाली नही हुई है और वह घर चला गया | होली आकर बीत गई पर जब भी व ह्फोने से पूछता एक ही जवाब मिलता ४ दिन बाद पूछियेगा और ऐसे करते करते २२ मार्च २०१२ आ गया अब उसके हाथ पैर फोलने लगे क्योकि ९ दिन ही ३१ मार्च में शेष थे और इसी लिए वह फिर सीधे उनसे मिला अपनी बात खी तो लिपिक महोदय ने फिर कहा परेशां क्यों है २६ तारिख को आपका काम देखूंगा | इस पर उसने कहा कि फिर निबंधन कब होगा तो वह हस कर कहने लगे कि यह आप जानो | उस आदमी को लगा कोइ वह किसी ऐसे गिरोह के साथ फसा है जो ऐसे ही बहकाते है पर उसका दिमाग काम कर गया उसने लौटे समय अपने मोबाइल से उन्ही लिपिक को साडी बातो का हवाला देते हुए एक मैसेज कर दिया और लिखा कि ३१ के बाद बढ़ी हुई रकम कौन अदा करेगा आप या फिर लखनऊ विकास प्राधिकरण ????????? कुछ ही देर में उनका फ़ोन आ गया कि आप ने मैसेज क्यों किया ??? उसने कहा कि जल्दी जायेंगे पर लिपिक ने कहा कि आप आइये आपका निबंधन होगा | वह फिर उनके पास पहुच गया और लिपिक ने फाइल निकाली और पूछना शुरू किया अंत में उसने कहा कि आपका प्लाट चुकी सड़क के किनारे है इस लिए आभी आपको ५३००० रूपए और जमा करने होंगे तो वह बोला कि आपने पहले क्यों नही बतया मानलीजिये किसी के पास इतने पैसे न ही तो ???????????? और फिर प्राधिकरण ने आज तक इसकी सूचना क्यों नही दी ????????क्या ये सब धांधली नही है ??????पर वह मोटी खाल का आदमी चुप रहा और कुछ देर बाद उस आदमी ने सारी जानकारी लेकर पैसा जमा करने कि बात खी तो लिपिक महोदय ने कहा कि आप ड्राफ्ट बनवा कर जमा कर दीजिये पर यह नही बताया कि ५०००० से ज्यादा कि रकम को पैन नंबर के साथ सीधे जमा किया जा सकता है और प्राधिकरण में उको बैंक की शाखा है भी | उस आदमी ने २७ मार्च को किसी तरह ड्राफ्ट बनवाया और फिर पहुचा तो लिपिक महोदय ने कहा कि जब ड्राफ्ट क्लेअर हो जाये गा तभी आपकी रजिस्ट्री हो सकती है , वह आदमी हताश हो गया अपर हरा नही उसने पूछा कितने दिन लगते है क्लेअर होने में तो उत्तर्मिला ३ दिन | आज २९ मार्च है अभी ड्राफ्ट क्लेअर नही है और ३० और ३१ को ही अंतिम कैंप लगना है उसके बाद कोई छूट नही | वह आदमी सचिव , अधिकरियो से मिला सब ने यही कहा कि जब पैसा प्राधिकार के अकाउंट में आ जायेगा तभी रजिस्ट्री होगी जबकि स्टेट बैंक से बने ड्राफ्ट को इस देश में क्यों संधिग्ध माना जा रहा है और किस स्तर का भर्ष्टाचार नकली ड्राफ्ट में भी आ गया है यह आसानी से समझा जा सकता है | उसने  अधिकारिओ से कहा कि आपने अपने प्राधिकरण के बैंक के काउंटर पर क्यों नही लिखा रखा है कि ५०००० से ज्यादा कि रकम भी डिरेक्ट पैन नंबर के साथ जमा की जा सकती है पर इसका कोई सार्थक उत्तर देने के बजाये वह काम अधिक होने का बहाना करके बचते दिखाई देते है | यह है सफ़ेद पोश अपराध जिसमे लोग अपने पद के अनुरूप काम न करके जनता को ऐसी जगह ले जाकर खड़ा कर देते है झा या तो वह घुस का सहारा ले या फिर अपनी सम्पति के आर्थिक नुकसान को नंगी आँखों से होता हुआ देखते रहे पर ऐसा नही है ड्राफ्ट बनवाने के समय एक बैंक कर्मी ने बताया था की परेशां होने की कोई जरुरत नही मेरे ( बैंक कर्मी ) तो सरे कागज ही खो गए थे और मैंने सिर्फ २५००० रुपये दिए और आराम से रजिस्ट्री हो गई थी \ पिछले वर्षो में प्राधिकरण के बाबुओ के पास से करोडो की सम्पति बरामद हुई है पर यह सम्पति कहा से आई यह कहने की कोई जरुरत है ऊपर लिखी  सच्ची कहानी सुनने के बाद जहा आज तक रजिस्ट्री २००७ से अर्झी पड़ी है क्या यह कहने की जरुरत है की इस देश में अपराध कैसे होते है ?????और आप कह भी नही सकते वह अपराध है क्योकि प्रदर्शन ऐसा होगा मानो वह आप द्वारा अपने  मन से किया गया लापरवाही पूर्ण कार्य हो जिसके कारण आपका काम न हो पाया हो >>>>>>>>>क्या आप इस तरह के श्वेत अपराध के बारे में कुछ कहना चाहेंगे ?????????? डॉ आलोक चान्त्टिया 

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