Thursday, 29 March 2012

aurat ka sach

अखिल भारतीय अधिकार संगठन ने लुअक्टा के साथ मिल कर महिला डिग्री कॉलेज लखनऊ के प्रबंधतंत्र को बर्खास्त करने का किया समर्थन
आज जब की भारत में हर तरफ महिला के सशक्ति करण की वकालत हो रही है और महिला को भी लग रहा है कि सरकार की नीतिया और संविधान के निति निदेशक तत्व उसको पुरुष से के बराबर लाने में विश्व के किसी अन्य देश से ज्यादा बेहतर प्रयास कर रहे है तब महिला डिग्री कॉलेज लखनऊ के प्रबंध तंत्र की तनाशी इन सरे दावो को कोरा साबित कर रही है | महिला का जिस तरह का उत्पीडन पुरुष प्रभावी प्रबंध तंत्र कर रहा है | उस से खी भी महिला के गरिमा पूर्ण स्थिति का आभास नही हो पा रहा है | महिला टीचर्स को उनकी छुट्टियो को देने में आना कानी की जाती है और सरकार द्वारा दी जाने वाली अधिकृत बाल्य लालन पालन के २ वर्षीय अवकाश को भी नही दिया जाता है |  अखिल भारतीय अधिकार संगठन की महा मानती और लुअक्टा की वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अंशु केडिया ने कहा की भारत में औरत का इतना अपमान उत्तर प्रदेश की राजधानी में राज्य सरकार के सामने हो रहा है और फिर भी सरकार प्रबंध तंत्र के खिलाफ कुछ नही कर रही है | इसका मतलब क्या लगाया जाये क्या औरत की गरिमा का ख्याल प्रदेश सरकार को भी नही है ?????? लुअक्टा के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने कहा कि संविधान के अनुरूप ही महिलाओ के साथ व्यवहार किया जाये और वह महिला शिक्षक है न कि नौकरी करने वाली एक वेतन भोगी  कर्मचारी जिनका शोषण प्रबंध तंत्र जिस तरह से चाहे करे | उन्हों ने चेतावनी दी कि अगर महिलाओ को सामान्य प्रस्थिति में काम नही करने दिया गया तो आने वाले १५ अप्रैल से शिक्षक परीक्षाओ का बहिष्कार करेंगे | अखिल बहर्तिये अधिकार संगठन के अध्यक्ष डॉ आलोक चान्त्टिया ने कहा कि यह दुःख का विषय है कि प्रदेश की राजधानी में संविधान के अनुच्छेद १४ का उल्लंघन हो रहा है और सरकार सब कुछ देख रही है | प्रबंध तन्त्र ने यह साबित करने की कोशिश की है कि आज भी पुरुष के आगे महिला दोयम दर्जे की है जो एक असंवैधानिक कृत्य है | उन्होंने कहा कि सरकार की यह निति है कि महिला कॉलेज में पुरुष शिक्षक नियुक्त नही किया जा सकता और किया भी नही जाता पर किन नियमो के अंतर्गत प्रबंधतंत्र महिला कॉलेज में पुरुष का हो सकता है ??? जिन बिन्दुओ की शंका करके पुरुष टीचर के नियुक्ति पर रोक है वही संशय पुरुष प्रबंध तंत्र में भी तो है  इस लिए तुरंत ऐसे प्रबंध तंत्र को भंग कर दिया जाना चाहिए और महिला प्रधान  प्रबंध तंत्र बनाया जाना चाहिए | ताकि समानता की सही व्याख्या की जा सके | यह दुखद है कि आज धरने के समय कॉलेज का गेट पर ताला लगा दिया गया था | जब कि संविधान हम सब को शांति पूर्वक किसी भी आन्दोलन या बैठक की अनुमति देता है | पुलिस लगी थी मनो हम सब शिक्षक नही कोई अराजकता फ़ैलाने वाले असामजिक तत्व हो | महिला कॉलेज में महिलाये स्वयं चाहती है की सरकार का हस्तक्षेप  हो , आज आन्दोलन में करीब १०० से ज्यादा शिक्शो ने भाग लिया | यही सही स्थिति है भारत में महिलाओ की | क्या आप इसे सही मानते है ????????????? डॉ आलोक चान्टिया

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