मेरे दामन को पकड़ कर चले ही क्यों थे, ,
अपनी ऊँगली में हाथ जड़े ही क्यों थे ,
पैर होकर भी निहारते सूने दरवाजे को ,
अपने दिल से दूसरे में धडके ही क्यों थे??????????? बेसहारे होकर भी हम हर वक्त अपने को न जाने क्यों पूरा समझते है ?
अपनी ऊँगली में हाथ जड़े ही क्यों थे ,
पैर होकर भी निहारते सूने दरवाजे को ,
अपने दिल से दूसरे में धडके ही क्यों थे??????????? बेसहारे होकर भी हम हर वक्त अपने को न जाने क्यों पूरा समझते है ?
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