आज होली को बीते दो दिन हो गए है पर देश में भेद भाव में कोई कमी नही आई है , आज भी भारत वही दिखाई देता है जहा पहले देखाई देता था ! इसी लिए अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपसे भेद भाव पर दो शब्द कहने आया है !आज सुबह जब मेरे यहा कुछ दलित ह्लोई मिलने गाँव से आये तो वह जमीन पर बैठने लगे पर मैंने उनसे कहा कि कुर्सी पर बैठिये तो उनमे से एक ने कहा ...नाही भैय्या कहा आप और कहा हम ...हम यही जमीने पे ही ठीक है ..पर जब मैंने उनसे कहा कि हम दोनों मनुष्य है और एक है तो काफी समझाने बिझने पर वो कुर्सी पर तो बैठ गए पर उन्हों ने खाना उन बर्तनों में नही खाया ...जिस में मै खाता हूँ ....मुझे याद है कि एक बार एक जे एन यू के एक आचार्य से मैंने कहा कि भारत में अभी भी अस्पर्स्यता भी भी है तो उन्होंने कहा कि अब भारत में यह कही नही है पर वो गलत है क्यों कि खुद दलित अपने को आज तक अस्पर्स्य मानते है ......खैर आज ही एक और घटना मेरे जीवन में अपना असर छोड़ गई मेरा दूधवाला जब आया तो मैंने उस से पूछा कि क्या हाल चाल है पर इसी बीच मम्मी ने बताया कि यह अपने लड़के की शादी करने जा रहा है ...मैंने उस से कहा कि अभी तुम्हरी उम्र क्या है जो अपने लड़के की शादी करने जा रहे हो , उसने पुरे गर्व से बताया कि मेरी उम्र २६ साल है और मेरे बेटे की उम्र ११ साल है यानि उसकी शादी १४ साल की उम्र में हुई होगी जो भारत के कानून के अनुसार मान्य नही है , फिर उसने बताया कि उसकी तीन संतान है और गाँव में लोग लड़के की शादी पर जोर दे रहे है पर मै बीच में ही बोल उठा कि क्या अपने बच्चे को भी दूध बेच्वाओगे , उसे पढाओ लिखाओ एक अच्छा आदमी बनाओ ताकि तुमेह गर्व हो कि तुम एक नौकरी और पढ़े लिखे बच्चे के पिता हो , इस पर वह जोर से हसा और बोला बात तो सही ख रहे हो भईया पर हमारे गाँव ताज खुदही ब्लाक तेजवापुर तहसील महसी , जिला बहराइच में जिस के पास ५ बीघा जमीन है उस के लड़के को १ लाख रूपया और एक मारुती कार दहेज़ में मिल जाती है ...और पानी बात को सिद्ध करने के लिए वह एक ममेरे -फुफेरे भाई बहन के विवाह का उदहारण देता है कि सिर्फ तिलक में ही लड़के को मारुती और २ लाख रूपया मिला ....जब कि शादी घर में ही हो रही थी ...मै ने कहा कि दहेज़ कब तक चलेगा तो वो बोला कि इस लिए तो गो वाले ज्यादा बच्चे पैदा करने लगे है क्यों कि उन्हें ज्यादा पैसा बराबर मिलता रहेगा यही नही वह कहता है कि कई लोग तो लड़की के लिए भी पैसा देते है , पर वह कहता है कि बच्चे को पढ़ाने से नौकरी तो मिलेगी नही लेकिन शादी के लिए हा खाने पर बैंक और सरकार से जल्दी रूपया मिल जायेगा और वह न सिर्फ कार वाल हो जायेगा बल्कि पैसे से ज्यादा भैस खरीद लेगा ...उसकी बात सुनकर मुझे ८ फ़रवरी २०१२ को अपना अवध आसाम ट्रेन में वेंडर से की गई वार्ता याद आ गई , एक अनपद वेंडर ने मुझ से कहा था कि पहले लोग और वस्तुओं की कीमत थी और पैसा को कोई नही पूछता था पर आज पैसे की कीमत है लोग और वस्तुओं की नही है और आज पाने दूध वाले की बात सुन कर लगा कि वेंडर का दर्शन बिना पढ़े लिखे कितना गहरा था क्यों कि व जनता है कि भारत में भेद भाव का स्तर सिर्फ जाति , धर्म के आधार पर ही नही है बल्कि सबसे बड़ा अंतर तो आर्थिक है जिस के कारण भेद भाव बढ़ता ही जा रहा है और हम जन संख्या के बढ़ने में इन कारणों को जोड़ कर देखते ही नही है पर क्या इन भेद को कभी आपने भी महसूस किया है ???????????????? क्या आपको लगता है कि ऊपर दिए गए उदहारण से आप सहमत है ??????????????? भेद भाव में कमी लाने के लिए आर्थिक समानता जरुरी है या ऐसे ही उदाहरन से भारत भरा है ?????????????????/ अगर ऐसा है तो आप भी २१ मार्च को भेद भाव पर अपना शोध पत्र अखिल भारतीय अधिकार संगठन के साथ प्रस्तुत कर के एक नए विमर्श को जन्म दे सकते है और इस के लिए आप www.seminar2012.webs.com पर जाकर अपना पंजी कारण करवाए और अपन असरंश १५ मार्च तक मेरे ईमेल alokchantia@airo.org.in पर मेल कर दे ......अखिल भारतीय अधिकार संगठन का प्रयास है एक बेहतर भारत के लिए रात दिन अधिकारों के लिए लोगो को प्रेरित करना .....क्या आप हो रहे है ????????????????? डॉ आलो चांत्तिया
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