क्या तुम भी अपने को आदमी मान बैठे ,
ये सांप क्यों चल रहे तुम इतने ऐंठे ऐंठे ,
माना कि आदमी तुम्हारे जहर से नही डरा,
पर तू आदमी को कांट के क्यों नही मरा............................क्या आदमी और सांप ने पानी फितरत बदल ली है ....डॉ आलोक चान्त्टिया
ये सांप क्यों चल रहे तुम इतने ऐंठे ऐंठे ,
माना कि आदमी तुम्हारे जहर से नही डरा,
पर तू आदमी को कांट के क्यों नही मरा............................क्या आदमी और सांप ने पानी फितरत बदल ली है ....डॉ आलोक चान्त्टिया
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