Friday 6 July 2012

prem ka pagalpan


रहिमन  धागा प्रेम का ................................

राम राम .....चलिए आपको धर्म निरपेक्ष देश में बुरा लगा कि मैंने राम राम क्यों कहा ....नही कहते है ....मरा मरा तो ठीक है और आप का चेहरा मुर्दे की तरह से खामोश तो हुआ ........पर ये तो है कि  आपको  अपने देश से प्रेम बहुत है ....कितना प्रेम है और प्रेम के कारन तो आप कुछ भी कर सकते है अपनी माँ का कलेजा भी निकल सकते है .....आरे नही भाई मेरा मतलब तो यह है कि वो एक प्रेमी की कहानी है ना जिसमे उसकी प्रेमिका ने कहा कि वो शादी तब करेगी जब वो अपनी माँ का कलेजा निकाल कर लायेगा और प्रेम के मामले में हम कब पीछे रहे है ...वो गया और अपनी माँ का कलेजा निकाल लाया ...रस्ते में उसको ठोकर लगी तो माँ के कलेजे से आवाज़ आई कि बेटा कही चोट तो नही लगी ............मै जनता हूँ कि आप ऐसा प्रेम नही करते और अपनी माँ के बारे में ऐसा सोचना गुनाह है ....वो तो इस देश को माँ कहना अलग है .....और इस से प्रेम का ही नतीजा है कि इस देश कि शांति के लिए हमने माँ को काट डाला ....आख्जिर वो प्रेम ही क्या जिसमे त्याग ना हो और  ऊपर से तुर्रा माँ होने का .....कम से कम आपने माँ को प्रेम का मतलब तो समझा दिया और बाटी भी तो किसके लिए ...अपने बेटो के लिए ही ...ये बात अलग है आज इस देश कि माँ यही नही जान पा रही है कि अल्लाह  के दरवाजे सो जाऊ या राम की चौखट पर दम तोड़ दूँ ...पर कहिये कुछ भी इस देश में माँ के लिए सर कटा  सकते हा पर सर झुका नही सकते .....इसी लिए बेशर्मो ने ....हा हा आप ने सही समझा कपूतो ???????????माफ़ करियेगा सपूतो  ने माँ के लिए वृद्धा आशाराम बनवा दिया है ...आखिर बेटा के रहते माँ सड़क पर सोये ऐसा भला इस देश में हो सकता है ...वो भी तब जब प्रेम के लिए ही हम जीते है | पर एक बात तो है की प्रेम है तो कुछ ऐसा कि हम खुली आँखों से अंधे हो जाते है ...क्या ????????? इसी लिए कहते है कि प्रेम अँधा होता है ....तभी तो अंधेपन में हम जान ही नही पाए कि माँ का आंचल काटे डाल रहे है .लेकिन मेरे जैसे डाकिया नुसी विचार वाले भला क्या जाने कि आपने तो माँ को आँचल काट कर आधुनिक बना दिया ....खुले वक्षो में माँ का सम्पूर्ण स्वरुप दिखाई देता है वो तो मै गन्दी मानसिकता का हूँ जो माँ के आँचल को भी ढक कर रखना चाहता हूँ .....कोई वो आज कल कि लड़की है जो उदारीकरण से डर कर जिए ...और प्रेम के लिए कुछ तो खुला होना चाहोये आखिर आप क्या देख कर प्रेम करेंगे ?????? न जाने कितने योग और दवाए  खुले पण का प्रचार करके आपके सौंदर्य को बढ़ा रहे है  और एक हम ही नही समझ पाए कि ये कोई माँ का आँचल थोड़ी न कटा गया बल्कि माँ को कालजयी  बना दिया गया .....वैसे भी प्रेम , मोहब्बत , प्यार , इश्क सन लिखने में ही अधूरे है तो प्रेम को कभी पूर्णता तो प्राप्त हो नही सकती तो कैसे देश से प्रेम पूर्ण होगा ....क्या शबरी , कन्या कुमारी , किसी का प्रेम पूरा हुआ जो भारत माँ का प्रेम पूरा हो जाये ............बिन ब्याही माँ का दर्द क्या होता है ???????हा हा आपको क्यों नही पता होगा आखिर प्रेम फल अकसर नाली में पड़े मिल जाते है ..............क्या आपको अब भी लगता है कि इस देश के लोग प्रेम का मतलब  नही जानते ....अगर जानते ना होते तो सिर्फ यह कह कर कि भारत माँ है हम उसकी संतान है .....दुनिया में एक अकेली माँ को जब अपने बच्चो को लेकर जीना पड़ता है तो वह किन किन मुश्किलों से होकर गुजरती है ...यह वह माँ और उसका दिल जानता है ...और आप तो भारत माँ कि संतान है ....वह किन किन निगाहों से अपने को बचाए ...और कही इसी लिए तो आपने सोचा कि रोज रोज कि कीच कीच से अच्छा है कि जा माँ पर बुरी नजर डाल रहा है उसी का सौप दो उसका आंचल बस प्रेम भी बना रहा और माँ भी उनकी हो गई जिनके लिए वो सोचती तक न थी पर बेचारी बच्चो के लिए किसी के साथ ही जी गई ....है ना अनोखा प्रेम इस देश का ...............वह वह मेरी बात पर आप ऐसे नीले पीले हो रहे है ......जैसे प्रेम नही नफरत की बात मैंने कर दी हो ...पर नफरत की बात कह कर आप किसी से भी दूरी बना सकते है  ...कम से कम कोई ताना तो नही देगा कि जब मेरा उपभोग किया ...प्रेम के नाम पर तो मुझे स्थान भी दो नाम भी दो ...कह दो किसी बात पर कि मुझे तुमसे नफरत है ...अपनी सूरत कभी न दिखाना दोबारा ....हुआ न डबल सौदा ...मजा भी मिला और दूर भी हो लिए ...........आखिर प्रेम के पुजारी है हम सब और पुजारी तो रोज आरती करता है ...भगवन कि और लूटता है दुनिया को .........आप भी पूजा कीजिये और हर धन को लूट लीजिये .आखिर औरत होती है लुटने  के लिए ...और औरत को तो जर ...और जमीं के साथ जोड़ कर देखा गया है .........और इन्ही के कारन झगडा होता है ....यानि औरत का मतलब जह्ग्दे कि जड़ और हमारा देस हौरत यानि माँ ....मतलब साफ़ कि झगडे का कारन तो लिए ख़तम किये देते है झगडा आपको ले जन अहै ले जाइये ...पर शांति बनाये रखिये ....लिए चीन से भी डिमांड आ रही है कि मुझे भी पानी माँ का में हिस्सा दीजिये ....हा हा दे दीजिये आखिर हम अपनी माँ से नही खेलेंगे तो किस से खेलेंगे ......क्या बंगलादेशी भी माँ के साथ मुह मरना चाहते है ....तो बुला लीजे ....३ लाख कोई बात नही आओ आओ माँ कि छाती पर आप सब भी मूंग दलो आखिर माँ है उसके पास प्रेम के सिवा देने को कुछ है ही कहा ...और कुटिया बंदर के बच्चे का पाल लेती है तो फिर तो ये मनुष्यों कि माँ है .....चलिए अफगान को भी बुला लीजिये वैसे लिट्टे भी लंका में माँ के साथ आंख मिचौली खेल रहा है ......................है किसी मै के लाल के पास ऐसी माँ दुनिया जैसी हम भारत वालो के पास है ..........आप एक बार हम से मांग कर तो देखिये इस बहरत माँ को नीलाम न कर दे तो कहिये ...और अगर आप दुने के लोग चाहेंगे तो हा सब अपनी इस माँ को आपको सौप कर दुनिया में कही भी चले जायेंगे ...वो प्रेम ही क्या जिसमे त्याग ना हो ..........और हम सब त्याग करने में उस्ताद है ....................क्या आपके दिल में प्रेम उमड़ने लगा है ...प्रेम के काले बादल छाने लगे है ............वह क्या बात है ...बधाई बधाई ...किसी का आंचल फिर त्याग के रंग में रंग कर फटने वाला है ...................खैर आंचल को क्या बचायेंगे आप लीजिये पुरे देश ने ही बिना आंचल के रहना शुरू कर दिया ...........आखिर नंगो के बीच रहना है तो नंगई तो आनी ही चाहिए ..................जैसा देश वैसा वेश ..................वैसे भी प्रेम का मतलब समर्पण है .......................और समर्पण के बाद तो ...............................खी आपको भी तो प्रेम नही हो गया .................पर अब तो देश से नफरत भी .................डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

1 comment:

  1. प्रेम या वासना....महज दैहिक आकर्सण बच्चों को बूरी तरह बर्बाद कर रहा है....उदारीकरण सिर्फ ये नहीं सिखाता....पर मुसीबत ये कि समाज कब तक नए और पुराने के बीच झूलता रहेगा....

    ReplyDelete