Friday, 29 June 2012

theka mera nhi

जन्म दिन मुबारक हो .............आज सुबह से ही लोग इस बात की होड़ में लगे थे की कैसे वो साबित कर दे वह मुझसे ज्यादा नजदीक है ....मै भी बुढ़ापे में खुश था ...पर मै अपने को बूढ़ा क्यों कह रहा हूँ .......शेर कब बूढ़ा होता है ...और वो भी भारत का शेर ?????????????? जब चाहे मुह मार सकता ....हा हा आपको मेरी बात क्यों अच्छी लगने लगी ....जाकर जरा उन महिलाओ से पूछिये ...जो छेड़ छड से परेशान है ...और बच्चो से पूछिये .... २००७ की रिपोर्ट बताती है ५७% बच्चे घर के बूढों का ही शोषण का शिकार है .....अभी भी न समझ में आये तो दशरथ से पूछ लीजिये बुढ़ापे में शादी की थी ............पराशर मुनि ने सात्वती का शाशन बुढ़ापे में ही किया था ..............राजा ययाति ने अपनी बेटी बूढों को ही दान में दी थी .................अब ज्यादा दूर न जाइये ...रानी लक्ष्मी बाई की शादी कोई जवान से नही हुई थी .....खैर मै अपने जन्म दिन की बात करता हूँ ....बूढ़ा हूँ या नही फिर कभी लड़ लेंगे ...वैसे भी आप सब लोग मुझसे जलते है ....नही तो अब तक अविवाहित हूँ हूँ मुझको राष्ट्रीय पुरस्कार न दिला देते ....मेरी वजह से एक लड़की किसी दुसरे को मिल गयी वरण १००० पुरुषो पर ९३४ लडकिया है ...तो एक लड़के को तो अपने हिस्सा दिया की नही ...वैसे भी सरकार यह अंतर पाटने के लिए लडकियों को रोज समझती है कि पीटीआई जरा सा उची आवाज़ में बोले नही कि बस दहेज़ का वाद कायम कर देना .....इसी  लिए तो सरकार दहेज़ खत्म नही कर रही ...दहेज़ होगा तो लड़की का शोषण होगा ...और शोषण होगा तो लड़की को सशक्तिकरण का भुत याद आएगा और वह तलक लेगी और फिर पुनर विवाह ...तो जिन लडको को लड़की मिलनी ही नही थी ....उनका भी तो चांस बन रहा है ....आखिर लड़की उपभोग कि ही वास्तु .........ओह ओह ....माफ़ी माफ़ी ....मेरे इतनी तुच्छ सोच के लिए  माफ़ी ....औरत और आज के दौर में उपभोग कि वास्तु.....बल्कि उसने तो पहली बार अपनी  कीमत गरिमा समझी है ....वो बात और है ....कि पुरुष का काम चल रहा है ......हा तो मै कह रहा था कि सरकार को मुझे इस बात के लिए भी अवार्ड देना चाहिए कि मैंने शादी नही की तो बच्चे नही पैदा हुए (....ज्यादा जोर मत डालिए दिमाग पर मुझे भी मालूम है कि बिना शादी के बच्चे पैदा हो सकते है ...पर मुझे नारायण दत्त तिवारी जैसी दुर्गति को नही प्राप्त करना है )...आखिर जनसँख्या को मैंने ही तो नियंत्रित किया ...................हा हो सकता है इस लिए नही दिया ...क्योकि अब लडकिया खुद यह नही जानती कि उन्हें किसी के साथ शादी करके कितने दिन किस पुरुष के साथ रहने है ...और पीटीआई भी बेचारा नही चाहता कि पत्नी रहे और माँ बने और फिर शोषण के नाम पर चलती बने ...और पुरे जीवन वह जितनी शादी करे सब के बच्चो का भर धोये .....हा हा हा ...मै वही कहने जा रहा था कि सरकार ने पति .पत्नी का यह दर्द समझ कर ही गर्भ निरोधक दवाए बाज़ार में उतारी है ...शादी का मजा भी लीजिये  और भरण पोषण से भी बचे रहिये .....और सराकर तो इस देश में हमेशा से यह जानती है ....कि देवता वही निवास करते है ...जहा स्त्रियों की पूजा होती है ...और देवता कौन ................यही अपने पुरुष ...और पूजा का मतलब भी क्या बताऊ ...भाई आप घरेलु हिंसा पर अब मुझसे न कहलवाइए......पर सरकार की क्या मजाल जो देवता क नाराज कर दे ...इस लिए लड़कियो को सपना दिखा दिया ....आप कोई पुरुष से कम है ...आप घर से क्यों नही निकलती ...नौकरी क्यों नही करती ???????????? और बस देवता का काम हो गया ...गर्भ निरिधक ने बच्चा पैदा नही होने दिया ....और औरत यानि पत्नी की नौकरी से पुरुष मज भी ले और भरण पोषण से मुक्त ...क्या मै गाल्ट कर रहा हूँ ....कितना वधिया तरीका .....शादी खूब करिए ....तलाक लीजिये वो भी रोज ...और वो भी मुफ्त ....क्या फायेदा ...बलात्कार ...जोर जबरदस्ती के झंझट  में पड़ने के ?????????????क्या मै किसी की पोल नही खोल रहा ....मै तो बता रहा था कि क्यों मेरे हर त्याग इस देश में बर्बाद हो गए ????????????काहिर मै कह रहा था कि मेरा आज जन्म दिन था ....यानि मै मौत के कुछ और करीब पहुच गया था और लोग मुझसे इतना छिड़ते है ...कि जिस देखो बस आपको जन्म दिन मुबारक कह रहा था मानो....ऐसा लगा कह हो कि अच्छा बेटा इस साल भी बच गए ...काहिर चलो मुबारक से दे पता नही अगले साल मौका मिले न मिले .........पर मै आज तक नही समझ पाया कि जन्म दिन मुबारक क्यों देते है.....हा आप क्या बता रहे है ????????? ओह हो पिछले साल से बच कर आप निकल आये इस लिए ....खैर इतनी खुदगर्ज दुनिया में ऐसा सोचना क्या गलत है ????????????? काश मेरा मृतु दिवस मन कर आप शुभ कामना देते .....जी जी आप को किसी को बुरा कहने की आदत नही है ...इसी लिए आप इस देश के किसी गलत काम पर न तो ऊँगली उठाते है ...और ना आवाज़ ..............आप तो जन्मदिन की तरह उन सारी मौत जैसी सच्चाई को सेलिब्रेट करते है .................आप क्यों कहे कि आप का दुनिया में समय ख़त्म हो रहा है ...कोई सारा ठेका  आपने ले रखा है सच्चाई बताने का ........कौन देश हमारे बाप का है ???????????हम तो बस ये जानते है ...कि जब आपको ख़ुशी मिल सकती हा इहमारे झूट बोलने से तो क्यों न हम कहे जन्म दिन मुबारक हो ...............इस देश की खुशहाली  भी टी तो आप जन्म दिन की ही तरह देखते है और कहते है ...हमारे देश से बढ़िया कोई मुल्क नही है ...............चलिए तो आप भी मुझे कह दीजिये जन्म दिन मुबारक ..............डॉ आलोक चान्टिया .........................

Thursday, 28 June 2012

anpadh aur naukri

करत  करत अभ्यास से जड़मत होत सुजान.....................
आप मानिये न मानिये ...भारत में कथनी करनी कोई अन्तर  नही मिलेगा आपको .....जो कह दिया सो कह दिया ,,,अब देखिये न कितने समय पहले कहा गया  इस मुहावरे को पर भारत आज तक इस पर कायम है ......क्या आप कम पढ़े लिखे है ..या फिर फेल हो गए है ....आरे भाई कोई बात नही अगर आपके नंबर कम आये है ...सरकार किस दिन के लिए आपके दर्द को समझ कर तो हमने संविधान बनाया ............आरे छोडिये भी संविधान कौन भगवन ने बनाया ...हमने ही तो बनाया ...और किस लिए बनाया ....इसी लिए की आपको कुछ नही आता तो भी नौकरी ले जाइये ...आरे आपको इस बात की क्या परवाह की आप से ज्यादा पढ़ा लिखा नौकरी के बिना पड़ा है उसके घर खाना नही बन रहा है तो न बने ....आप को तो नौकरी मिल रही है ....आखिर हमको दूसरा मुहावरा भी तो सिद्ध करना है ...अंधेर नगरी चौपट रजा ....न न संविधान संशोधन की तरह थोडा सा संशोधन अंधेर नगरी चौपट लोग ....मालग हम भारत के लोग यानि संविधान की प्रस्तावना .....यही तो आत्मा है संविधान की ........पर शुक्ल जी आप क्यों मुह बांये खड़े है ...क्या आपको नौकरी नही मिली आप सिर्फ मराठी में परास्नातक है ??????????????? कोई बात नही आइये आपको ले चलते है उत्तर प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ...जी जी आपने सही समझ रहे है ...कितने समझदार है आप जो तुरंत जान गए की लखनऊ में कालिदास .....आरे वही जिनको विधोय्त्मा ने बुद्धिमान बना डाला था ...धक्का देकर और फिर कालिदास का क्या कहना ...बस ऐसे ही कालिदास अगर आपको बनान है और आप निरे सिरे के बेवकूफ है ...और आपके पास देग्री भी नही है ...क्या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार योग्यता भी नही अहि ???????कोई बात नही आइये आपको विद्द्योत्मा ...न न ....उस विश्वविद्यलय से मिलाये देते है जो धक्का दे देकर आपको आचार्य बना देगा ...मेरी बात पर आपको क्यों कलयुग में विश्वास आने लगा .....जाइये पता कर लीजिये ५२ ऐसे आचार्य उस विश्वविद्यालय में २००४ से काम कर रहे है जिनके पास योग्यता ही नही और वह सरकार का न सिर्फ धन खा रहे है  बल्कि वही पर बाद में पानी योग्यता भी पूरी करके कालिदास बन गए .....आरे ओ भैये रिक्शे वाले ..कहा पसीना भा रहे हो ....आओ तुम भी युनिवेर्सिटी के आचार्य बन जाओ ...चिंता न करो तुम भी धीरे धीरे आचार्य भी बन जाओगे और डिग्री भी यही युनिवेर्सिटी दे देगी ........क्या ऐसा राम राज्य आपने कभी कलयुग में देखा है .....बस बस मैअंत था आपको यही लगेगा की आलोक आज भी व्यंग्य लिख रहे है ...पर मै तो आपको सरल रास्ता बता रहा हूँ एक लाख रूपया पाने वाली नौकरी पाने का ....दौडिए दौडिए ....आरक्षण के ज़माने में ऐसा स्वर्ण मौका जाने न दीजिये ............क्या आपने भैस का भी दूध पिया है सरकार से पूछने के लिए की मेरे बच्चो को कालिदास क्यों पढ़ा रहे है ...पर आप तो मेघदूत की कल्पना में मस्त है ...और मस्त भी क्यों ना हो ....आप प्रेम के भूखे जो है ...वो बात और है कि पाव  भर टमाटर खरीदने में सब्जी वाले के साथ आप मोल भाव में पूरी जान लगा देंगे पर कालिदास  पढाये  या मलिदास ...भारत में डिग्री तो मिल ही जाएगी और करना भी क्या है आपके बच्चे को कल तक बिना पढ़ा लिखा आदमी गलियों में अमरुद बेचता हटा ...और अब डिग्री लेकर मॉल में अमरुद बेचेगा ...और किसी न किसी घर कि लड़की का लड़का मिल ही जाये गा शादी के लिए भी ...तो क्यों पूछे कि लखनऊ में ५२ काली दास कहा से आ गए ......आखिर आप अपने देश वालो के खिलाफ कैसे जा सकते है ???????????अंग्रेज होते तो कोई बात भी थी ....और उन्ही को देश निकलने में आपके तेल निकल आये तो अपनों को निकलने में तो आंते बाहर आ जाएँगी .....हहा मै फालतू बात कर रहा हूँ आप तो इतने गंभीर और व्यस्त है कि इन तुतुर्पुन्जियाबातो के लिए आपके पास समय ही नही है ...और ताजुब्ब नही कि आपको यह लग जाये कि मुझे किसी ने पैसा दिया होगा यह सब उछलने के लिए वरना ...इस खुदगर्ज देश में किसके पास फुरर्सत जो दुसरो कि बात करे ,,,,,,,,, तभी तो आप मुझे चंगेज खान जैसे देख रहे है ....सर कलम कर देंगे अगर में और बोला ...ओह हो ..मै तो भूल ही गए कि सच नीम से भी कडुआ होता है ..........और दुसरो के फटे में टांग अड़ाने की आप की आदत नही है और आप तो परम्पराव  के पोषक है तो कैसे कैसे मुहावरे को मर जाने दे ...........बिलकुल नही ...आइये देश की छाती पर मूंग भी दल ले ...ताकि जी तो जुडाये जाये ......अंत भला तो  सब भला ....और आप तो देख ही रहे की बिना योग्यता के कैसे आचार्य बना जाता है ,,,,,,,,,आइये आइये लखनऊ आइये ...स्वर्ग है तो यही है यही है .....आप खुश है न की मुहवर अ तो सच हो गया ...देश जाये भाड़ में ..........भारत माता की जय ......कलि दस की जय ...विद्योत्मा की जय ...और आपकी तो जय ही जय ......डॉ आलोक चान्टिया

Wednesday, 27 June 2012

kichad me kamal hota hai ????????????????

क्या आप अंधे है ??????????????????? मै और अँधा !!!!!!!!!!!!!!! अँधा होगा तेरा ................साले मै बिलकुल ठीक हूँ ...कैसे कहा तुने मुझको अँधा ....आरे आरे भाई साहब ...मैंने तो इस लिए कहा कि अभी  अभी सफाई वाला  सड़क  साफ़ करके गया है और आप अपने घर का कूड़ा घर के बाहर फेक रहे है ...क्या हम सब को देश .....अबे  देश देश किसको समझा रहा है ...बड़ा आया देश वाला क्या ...फायेदा इस देश को  साफ़ करके .......हम दिल दिमाग सब से तो गंदे है ...और अब हम सबको गन्दगी में लोटने की आदत हो गई है .....रोज  मै गोमती में मर  कुत्ता , जानवर तैरता देखता हूँ क्या कभी उसको आप रोक पाए ... हम सब को बिना सड़े जानवर को पानी में डाले पानी का स्वाद ही नही आता है ...और आपको शायद नही पता हाकिंस ने हम भारतीयों के नेचर को समझ लिया था , इस लिए उसने ९१३२ में पहली बार वाराणसी में माँ ??????????? गंगा नदी में गन्दा नाला खुलवाया ...उसके बाद तो शहर वालो को पानी का स्वाद इतना भाया कि न जाने कितने नालो का मुख खोल दिया गया गंगा मैया में...................... पानी के ऐसे अद्भुत स्वाद की खबर जैसे ही देश में फैली मनो होड़ सी मच गई ..........अब देखिये अपने लखनऊ में ही २७ नाले मल मूत्र सड़े गले जानवरों के साथ आदि गंगा यानि गोमती मैया का अंचल गन्दा करते है पर  क्या हुआ ...पानी तो बिलकुल टना टन स्वादिष्ट मिल रहा है .........आपने देखा कि कभी देश कि जनता ने कोई इतना बड़ा आन्दोलन किया हो कि नदियों का पानी क्यों गन्दा है .......ये लोग तो इतने पालतू हो गए है सरकार के, कि सरकार कह देती है कि गंगा के सफाई अभियान होगा ...बस इनकी छाती ठंडी हो जाती है ..........५ लाख अंग्रेजो के लिए यह स्वतंत्रता संग्राम करते है ...और करोडो भारतीयों  के गंदे पानी से मुक्ति को ये कोई संग्राम न बना पाए .........बड़े आये सफाई का पाठ पढ़ाने वाले ..............भैया  ये देश कीचड़ में ही कमल देखता है ...जब तक यह हर तरफ कीचड़ नही होगा ....कमल तो खिले गा ही नही ...................आप भी जाइये अपने घर का कूड़ा बाहर फेक दीजिये ताकि जल्दी कीचड़ ही कीचड़ हो जाये और कमल कि खुशबु फैले ....................और आपको शायद पता नही कि नेता खुद इस बात को समझ गए है , इसी लिए कौन अच्छा  काम करना चाहता है .......देश के कोई नेता बलात्कार कर रहा है , कोई लुट रहा है , कोई  पार्टी में तोड़ फोड़ कर रहा है ......अच्छा हुआ रावन जल्दी मर गया वरना ये तो उसको भी बहुमत से हटा कर खुद लंका बना देते और लंकापति बन जाते ........अच्छा हटिये मेरे लड़के को शु शु आ रही है ...और वो कह रहा है घर में नही सड़क पर ही करेगा ....जी जी बिलकुल बिलकुल ...आखिर होनहार विरवान के होत चिकने पात .............उसे भी तो कीचड़ में हो लोटना है ..........जी जी गधा नही है वो ...वो तो देश का सम्मानित नागरिक है ......जो कमल ढूंढने निकला है ...पर कमल भी तो कीचड़ में मिलेगा ........आप क्यों चौक रहे है .....क्या मै गलत कह रहा हूँ गंदगी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है .......और हम ............आईये गंगा के कीचड़ में दुबकोइ लगा लीजिये ...क्या आप स्वर्ग नही जाना चाहते ...पर स्वर्ग तो इसी नरक से होकर जाता है ...यहा का आदमी .....बनाते रहिये मुंह .....झूठ को तो आंच लगती है .....             जी जी गंगा तेरा पानी अमृत  झर झर बहता जाये............ वो देखिये देखिये अमृत अमृत ...मर कुत्ता भा जा रहा है ...पकड़ तो लीजिये ...वरना हम सब का उद्धार कैसे होगा ........ डॉ आलोक चान्टिया ,

Sunday, 24 June 2012

naam ko pakde rhiye

आपका नाम क्या है ????????? नाम नाम नाम .....इसी नाम के कारन तो हम बाज़ार के एक ब्रांड बन गए है ......जिसे देखिये वो मनुष्य कम्पनी के प्रोडक्ट ढूढ़ रहा है ...को ब्रह्मण माडल , तो कोई क्षत्रिय मोडल ....तो कोई वैश्य , तो कोई गोरा, काला , कैथोलिक, प्रोटेस्टअंत , कोई सुन्नी, कोई शिया ..........और तो और जब से आरक्षण का प्रोडक्शन शुरू हुआ है ....जिसे देखो दलित माडल के लिए ही पागल हुआ जा रहा है ....सब उसको ड्राइंग रूम में सजाने के लिए बेचैन है ................नाम का फर्क यह हुआ की आदमी को आदमी दिखाई ही देना बंद हो गया ....हम तो बस पाना प्रोडक्ट ढूंढ़ रहे है ....मनुष्य कंप्यूटर बना कर छाती पिटे डाल रहा है ....और खुद नाम के चक्कर में मनुष्य कब से कम्पुटर की तरह रहने लगा ...उसको पता  ही नही चला .....हा हा आपको क्यों मेरी बात पर विश्वास होने लगा ..........पर क्या आप कम्पुटर नही ...तो फिर किस लिए खाप पंचायत लोगो को मार रही है .........क्योकि नाम का सवाल है ....शिया को सुन्नी पा जाये तो काट डाले ......हा मई तो सर फिरा हूँ ही क्योकि नाम के कारण आपको सिर्फ मै में  जीने की आदत जो पड़ गई है .......भला हो कम्पुटर देवता का जो तरक्की का ऐसा पाठ पढ़ा रहे है की बस नाम से पहचानो कि सामने खड़ा व्यक्ति पाना है कि नही ............लो लो ये मारा साले को साला बहुत दिनों से मानवता का पाठ पढ़ा कर हमारे धर्म को , हमारी जाति को बर्बाद कर रहा था ......साला कहता है मनुष्य एक है !!!!!!!!!....... साले मनुष्य ...एक है तो क्या हम घुइयाँ की जड़ है .........हम सबको एक मानने लगे तो फिर हमारी जाति धर्म का क्या होगा ????????? नाम इसी लिए मिला है की नाम से जान लो की अपना है कि नही और ना हो तो मार दो ...वैसे भी जनसँख्या ही तो बढ़ रही है .....मै तो कहता हूँ कि नाम न होता तो विश्व की जनसँख्या न जाने खा पहुच गई होती कम से कम पूरी दुनिया में नाम को लेकर मार काट चलती रहती है ....तो जनसँख्या तो कम होती रहती है ...वरना दवा दारू ने लोगो के मरने पर जैसे बैन लगा दिया हो .......नाम के कारण कम से कम जीवन कम्पुटर की तरह है जिसे पो मार दो ...खा लो ...कोई आंसू नही ...कोई दर्द नही ...कौन साला अपना था .....मनुष्य तो था नही ....ये तो कोई  वैश्य लगता था ...नही नही ....ये तो काला था ....वह  वह हमारे पूर्वजो का क्या दिमाग था ....जानते थे की आगे युद्ध के लिए कोई बीज बो कर जाया जाये ....तो लीजिये नाम का जहर पीकर नील कंठ हो जाइये ......और मार दीजिये उसको जो आपके नाम ....मतलब  जाति, धर्म के नाम से मेल न खाता हो ......भईये ....नाम का मारक अस्त्र संभल का कर रखिये कही भूल गए तो गई भैस पानी में .........नाम से ही टी ओबेचारा एक शक्तिशाली भगवान , अल्लाह , गाड ...बन गया और देखिये कैसे आदमियों के बीच फंस कर मंदिर , मस्जिद , और चर्च में कैद किया जा रहा है ...जब वह नाम के जाल में आ गया तो फिर आप तो ....................वैसे आपका नाम क्या है ............ डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

mahi ko maar do

माही की औकात ...................तमाचा
आज भारत की सेना और पुलिस दोनों ने अपनी मर्दानगी का परिचय देते हुए माही के माता पिता को गुडगाँव में ८६ घंटे से बोरवेल में फंसी माही को बिना सांस के वापस कर दिया ....लगा मनो कह रहे हो देखिये आपकी बिटिया सांस के साथ अंदर गई थी और हमने बिना सांस के वापस कर दिया ....क्या कोई इतना बड़ा जादूगर हो सकता है ........वही एक दाल पर बैठा बंदर भी सेना और पुलिस की शेखी पर हसने लगा ..........यार तुम आदमी लोग भी पूरी तरह मेरी  तरह ही हो .....द्देखो मुझे भी एक बार जंगल वालो ने राजा बनाया था और जब एक बार शेर ने बकरी के बच्चे को दबोच लिया और वह रोते हुए माही की माँ की तरह मेरे पास आई तो मैंने इस देश की पुलिस और सेना की तरह उससे कहा कि बस अब परेशान ना हो मै हूँ  ना और कुछ देर बाद जब फिर बकरी ने कहा तो सेना के लोगो कि तरह बंदर भी कहता रहा बस अभी आधे घंटे बाद बच्चा आपके हाथ में होगा .........जब बकरी से रहा नही गया तो उसने चिला कर कख क्या कुछ करेंगे भी ....इतना सुनना था कि बंदर पेड़ पर चढ़ गया और इधर उधर कूदने लगा .....बकरी यह देख कर चिल्लाने लगी ...बंदर जी मेरे बच्चे की जान जा रही है और आप एक डाल से दूसरी डाल पर कूद रहे है ...बंदर ने तपाक से कहा कि मुझे जो आता है वही तो कर सकता हूँ ............और बकरी का बच्चा मर गया ............आप भी मेरी भाई ही निकले .....हा हा हा ..भारत में आदमी बंदर से ही बना है यह सिद्ध हो गया ...........पर माही के पिता का आरोप सुन कर कि डीजल माँगा  गया और इस देरी के कारण माही भगवन से मिलने समय से पहले चली .....नेता जी बंदर कि तरह कूदने लगा ......बस लगने फर्जी आरोप .........कोई नही देखता कि कम से कम बच्चे बोरवेल में मर रहे है .....नदी में तो नही गिर रहे है ........और अगर हम लोग ही नए तरीके नही निकालेंगे तो देश कि आबादी का तो आप सत्यानाश कर देंगे ...........भूल चूक लेनी देनी कह कर काम चलन अहि पड़ता है .............बच्चो को मरने से बच्च्चाने से देश को क्या मिल रहा है ...मिड डे मील दो ....शिक्षा दो ...ऐसे आप का काम भी चल गया कि हम माता पिता बने थे और देश कि जनसँख्या भी रुकी रही ....यार वो  वो बोरवेल वाला कहा है ....उसको ढूंढ़ कर लाओ ......उसने देश के लिए जो किया है उसके लिए राष्ट्र रत्न उसको मिलना चाहिए ........और आप लोग फर्जी देश पर सेना , पुलिस पर क्या आरोप लगा रहे है ...बच्चे तो भगवन कि मूरत होते है ...और मूरत ..सच्चे भगवान में समा गयी तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा ........आप ही लोग तो कहते है राम नाम सत्य है ...सत्य बोलो मुक्ति है .....और सत्य का रास्ता देश की प्रगति से होकर जाता है ......और सबसे बड़ी बात की आप बच्चो को घर से निकलने ही क्यों देते है ......उसको चिडया घर के पिंजड़ो की तरह रखिये अब देखिये जो जानवर पिंजड़ो में बंद रहते है कितने सुरक्षित रहते है ??????? और अगर जीवन जीना है तो जानवर की तरह रहिये ....मेरा मतलनबी ...चिड़िया घर में रहने वाले जानवरों की तरह रहिये ...वैसे तो आप सबके घर का आकार कोई पिंजड़े से बेहतर नही है ...और हर समय सब एक दुसरे के सामने रहते है पर  पिंजड़े में चीटी तो रखी नही जा सकती ..........मेरा मतलब बच्चे कोई चीटी से बेहतर है ...कब कहा निकल गए और कहा पिस गए पता ही नही चलता ....नेता के बच्चो को देखिये कुचल कर चले आयेंगे पर क्या मजाल कि कोई उनको कुचल दे ........आखिर माही के घर वालो ने जरा सरे बच्चे से लिमका बुक या गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनवाने के लिए क्यों बोरवेल में उतार दिया ....अब जब रिकार्ड बनाने का इतना शौक है तो उसके परिणाम को भी भुक्तो ...........आरे नेता जी क्या भौकते  चले जा रहे है .....एक बच्ची को क्या क्या बना दे रहीइ है आप .....देखिये बकवास मत करिए ...मै वही कह रहा हूँ जो प्राथमिक जांच में आया है ........माही के माता पिता ने पैसे की लालच में नन्ही सी जान को खुद बोरवेल में उतारा और जब फंस गई तो अब देश , सेना पुलिस , को दोष दे रहे है ...........पर मै आप लोगो के दर्द को समझता हूँ और इसी लिए मोंटेक सिंह अहलुवालिया के गहन और मानवीय मूल्यों के आधार  पर किये गए घोषणा कि शहरी लोगो प्रतिदिन ३२ रुपये में खर्चा चला सकते है ....मै यह खड़े और माही से प्रेम और संवेदना रखने वालो को १६ -१६ रुपये देने का ऐलान करता हूँ ताकि वो उसकी याद में एक समय का खाना सरकार के खर्चे से खा सके ...ताकि सरकार के लोक कल्याणकारी भावना को  साबित किया जा सके और आपके पास भी सरकार के द्वारा प्रदत १६ रूपया महंगाई में आपकी कमर की हड्डी सीधी कर सके ........और मै माही के बलिदान और देश प्रेम को हमेशा याद रखूंगा जिसने कच्ची उम्र में प्राणों का त्याग करके इस देश को प्रदुषण से बचाया है क्योकि उसकी लाश को दफनाया जायेगा ...जलाया जा नही सकता ....उसकी वजह से जितनी लकड़ी बची और जितना दह संस्कार में खरचा बचा ...उसको भी बेकार नही जाने दिया जायेगा ...पुलिस वालो ने जितना तेल माही को निकालने में बहाया है उसको माही के पर्यावरण प्रेम के रूप पुलिस को वापस कर दिया जायेगा ......और यही नही माही के जल्दी मर जाने के कारण सरकार द्वारा जो पैसा उसके ६ वर्ष से १४ वर्ष तक मुफ्त शिक्षा पर बहाना पड़ता वह सब बचा कर उसने आर्थिक मंदी के समय देश को जो सहारा बचत करा के दिया है ...वह भी अनुकार्निये है ,...मै तो कहता हूँ की अगर आप में जरा सा भी देश प्रेम है या फिर अगर आपको माही ने प्रभित किया है ...तो उसके बलिदान को खाली ना जाने दे ...और ज्यादा से जायदा बच्चो को बोरवेल की ओर भेजे ताकि कम उम्र में देश के लिए जान देने वालो का एक नया रिकार्ड गिनीज बुक में शामिल हो और भारत उसमे अग्रणी हो और इस तरह रोज सैकड़ो ..हजारो बच्चो के बलिदान से शिक्षा , चिकित्सा , बाल श्रम और न जाने क्या क्या ....पर कितन पैसा बचेगा ...आप आज ही सारा काम छोड़ कर जोड़ने जुट जाइये ...और यह कोई कम बड़ी बात नही की हर बोरवेल में शहीद होने वाले बच्चे पर अपना दुःख दिखने पर आपको मिल जाये १६ रुपया बिलकुल मुफ्त .....और चाहिए तो इस को आप एक नौकरी के रूप में भी देख सकते है ...अगर राज आप इस तरह १० बच्चो के बलिदान में शामिल हुए तो १६० के अतिरिक्त १६ रुपये बोनस के मिलेंगे ...अब आप ही सोचिये ही महीने में कितने हो गए ...........नेता जी माही के शोक सभा में बोल रहे थे और कह रहे थे बताइए क्या मै गलत कह रहा हूँ ...देश पुलिस , सेना पर ऊँगली उठा कर समय बर्बाद करने से बेहतर है ...आप सब अपना कल बेहतर बनाइए और सरकार की स अनूठी बोरवेल बलिदान योजना का हिस्सा बनिए ..........नेता जी के सचिव ने टोका भी ,,,,आरे यह सब क्या कह रहे है ....नेता जी ने बुदबुदाते हुए खा ...बेवकूफ ......इस देश में भूख अक तमाचा ...कल का तमाचा ...भविष्य का तमाचा मार कर अंग्रेज , मुसलमान , हूण, शक , कौन नही अपना उल्लू सीधा कर गया यह के उल्लुओ .....मतलब देशवासियो से .....तुम परेशान न हो कल यह सब लाइन में लगे होंगे .....बस तुम पुरे शहर को बोरवेल से पटवा दो .............भारत माता की ..जय ...माही का बलिदान ...अमर रहे .........जैसा देश वैसा वेश ....और जैसा राजा ..वैसी प्रजा ..........तभी हल्ला उठा की रग्घू ने भूख से बेहाल होकर अपनी बिटिया को बोरवेल में फेक दिया है ..................और चिला रहा है ....लाओ लाओ १६ रूपया दे दो १६ रूपया दे दो ..............माही बिटिया अमर रहो ...तुम हम सब का रास्ता दिखाई गई ...आखिर ई देश में जिन्दा रहे के खातिर कुछ तो करे का है ना ..........नेता जी ना होते तो हम सन अँधेरे माँ रह जाते ..और माही बेचारी कबहू मुक्ति न पैती .....माही बिटिया अमर रहे ...नेता जी का सितारा बुलंद रहे ........कम से कम हम सब का जीवे की रह तो मिल गई ..........नेता जी खुश हो गए ...सचिव से बोले कल और बोरवेल खुद जाये ...2014 का चुनाव करीब है .........क्या माही इस देश में कभी दिखी आपको ??????????????? बोरवेल में देखा ???????? डॉ आलोक चान्टिया

Friday, 22 June 2012

gadha premi hai ???????

किसको कहा आपने गधा ....................आपकी तो !!!!!!!!!!!!
आज निकाय चुनाव के लिए लखनऊ में वोट पड़ रहे है ...भाई मई भी कोई कम भारत का नागरिक मेरा मतलब भारतीय ना सही पर भारत वासी तो हूँ ही और इस लिए अपने जमींदार को .....हा हा भाई समझ गया की मुझ जैसे कम अक्ल को नही पता की जमींदारी प्रथा तो कब की ख़त्म हो गई ....पर क्या आप यही देश कर वोट नही देते की कौन आपकी जाति का है...किसको वोट देने से आपको भविष्य में फायेदा  रहेगा और आपके काम चलते रहेंगे ....मैंने तो इसी लिए जमींदार कहा क्योकि रूप बदल गे अपर जमींदार साहब ....मेरा मतलब नेता जी के यहा दरबार तो आज भी लगता है .........जमींदार साहब के लिए अलग कुर्सी अलग हिसाब किताब ............खैर मै भी दौड़ा कि इस देश की सत्ता किसको सौप ( मुझे अपनी औकात पता है कि मै देश या शहर नही चला सकता  और जो चला सकते है वो आप से श्रेष्ठ है तभी तो आप उनको चुनना चाहते है ...काम से काम हम एक जगह तो यह मान लेते है ...कि हम कितने बौने है इन नेताओ के आगे ) दूँ ......लाइन लम्बी थी और मै झट से करोडो  शुक्राणुओं  की तरह खड़ा हो गया ( मेरा मतलब है शुक्राणु तो करोडो निकलते है सृजन के लिए पर सृजन एक ही करता है ....अब पता नही इतनी लम्बी लाइन में देश के लिए कौन खड़ा था और वो एक पहचानना  मुश्किल था ) लाइन लम्बी थी मैंने बुदबुदाते हुए कहा की ....गधो????????  के लिए  सिद्ध करो कि मै  देश के लिए जी रहा हूँ ....मुझसे सट कर खड़े एक व्यक्ति ....शायद गधे से ज्यादा प्रेम करते है  टपक से बोल पड़े आपने गधा किसको कहा ....जी आप तो समझदार है ...आप जन्टर होंगे कि किसको गधा कहा ........जी मुझे पता है कि आप नेता को गधे कह रहे है पर  ...न न भाई साहब क्यों गधो का अपमान कर रहे ...बेचारे रात दिन चुप चाप काम करते है ................क्यों उनको हरामखोरो के साथ बैठा रहे है ........क्या आप ने नेता को गाली दी ..... जी !!!!!!!!!!!!!!!! नेता को गाली क्या गाली का कोई मान सम्मान है क्या नही ....आपको क्यों लगता है कि नेता के लिए कोई शब्द अपनी क़ुरबानी देना चाहेगा ...........ये नेता तो कमल में कीचड़ है .......ओह हो मेरी जबुन को क्या हो गया है ???????? मतलब कीचड़ में कमल है .................पर कीचड़ में कोई मनुष्य क्यों रहना चाहेगा ................ये तो बस सूअर का काम है कीचड़ में लोटो और मस्त रहो पर कमल का अपना मजा है ...कीचड़ में भी रहो और खिले भी रहो ...इतना बेशर्म होना क्या ..मतलब साहसी होना कोई मजाक बात तो है नही !!!!!!!!! देखिये आप अपने को काबिल मत समझिये मै सब समझता हूँ कि आप क्या कहना चाहते है ????????? हे भगवन .......क्या यही वो एक शुक्राणु .....मेरा मतलब है देश भक्त है जो देश कि असलियत पहचानते है ......मैंने कहा देखिये आपको क्यों लगता है कि मै किसी को गधा कहूँगा ...और मनुष्य ने कुछ सोच कर ही गधे को गधा कहा होगा .......अगर कोई खासियत उसकी मनुष्य में है तो बुराई क्या है ..........क्या नेता आदमी ही हो सकता है ....आरे भाई नेता तो गधे में भी हो सकता है ...हो सकता है सभी गधो में कोई गधा ज्यादा अच्छा सोच पा रहा हो ....और बस इसी लिए उसको नेता चुन ले .........आप जानते नही हमारे देश में आंख बंद करके  काम होता है .......मरे आदमी को फंसी कि माफ़ी संविधान के अनुच्छेद ७२ में मिल जाति है ...आप ही बताइए इस देश में मरे आदमी का इतना ख्याल रखा जाता हो वहा जिन्दा आसमी का कितना ख्याल रखा जाता होगा ...........क्या कहने की जरूरत है ...........और यही नही कई नबार तो जिन्दा को मार देते ...अब ऐसे देश में  क्या कहू ................तभी एक गधा सामने से आता हुआ दिखाई दिया .......मैंने कहा भाईसाहब नाम लिया और राक्षस हाजिर .......पर इसका यहा क्या काम ...काम तो हम वोटर का है .......पर ठीक है चलिए वोट तो डाल ही दे .....यहा भी फर्जी चला आया ...गधा कही का ..........क्या गधा सिर्फ धोबी के यहा और कुम्हार के यहा पाया जाता है ????????? मतलब और किसी को इसकी जरूरत नही पड़ती .......पर गधे के साथ रह कर भी गरीब तो गरीब ही रह जाते है .....हा गधा वही खाता है जो  उसे खाना है और मन नही माना तो गरीबो के घर से निकल कर आमिरो की बस्ती में घूम आया ...........गधा भो होता चालाक है ...दिखता है की मै तो कुम्हार , धोबी ( गरीब लोग) का हूँ और खाना और मस्ती आमिरो की बस्ती में ढूंढ़ता है .........चलो अच्छा है गधा दर्शन कही तो काम आ रहा है ...कोई नौकरी नही तो ....वोट की भीझ से सबसे आमिर बनता जा रहा है.....भीख से याद आया ...कि अभी कुछ दिन पहले अखबार में खबर आई थी कि एक भिखारी मर तो  उसके पास लाखो रुपये निकले ....आपको सच न लगे तो गूगल पर ढूंढ़ लीजिये .........अब आप ही बताइए भीकह मांगने का कितना फायेदा है ......चाहे पैसा और चाहे वोट ...........न मांगिये आप अपने को फर्जी देश का स्वाभिमानी नागरिक कहते रहिये ....तो मरिये राणा प्रताप की तरह घास की रोटी खाकर ...........और भीख मंगेने वाले आपके सामने कार में निकलेंगे.......खैर आप प्रताप की तरह घोड़े पर चने वाले गधे के लिए  ख्वाहिश  क्यों करेंगे .........क्या आप लाइन में खड़े है वोट की ...देखिएगा .....कोई गधा दुल्लती न मार दे ...आखिर आप तो मनुष्य है ..............और मनुष्य कौन वाले ????????? रुखा सुखा खाई के ठंडा पानी पिऊ ....देख परे चुपड़ी मत ललचावे जिउ .............. संतोषम परम सुखं ...........देखिये संभालिये आपकी गाली में गधा घूम रहा है जो आपकी कहा कर अपना जीवन चलाने वाला है ..................रोज रोज .....महीने ...वर्षो ...या तब तक जब तक आप न चेते ...................

mallika ki naukri bachao ......

हम सब नंगे ही तो है ....................ओह हो आप कह रहे है की नंगे तो हम हमाम में  भी होते है ......पर मै तो उस कुदरत की बात कर रहा था जिस ने हम सब को नंगा  ही भेजा है ..............खैर  आप क्या समझेंगे मेरी बात क्या समझेंगे .  वो तो भला हो मल्लिका शेरावत का जो समाज करने के लिए तैयार हो गई और फिल्म के माध्यम से हम को यही बताने लगी की हम सब नंगे ही तो है .........पर हम यह सब सीख कर करे भी क्या ...नंगापन कोई सीखने की चीज है .........बस आप सोच ले की मुझे नंगई करनी है पर ज्यादा प्रेषण ना होइए ...अगर आप इसी तरह प्रदुषण बढ़ाते रहे ...और पदों को काटते रहे तो वो दिन दूर नही की प्रथ्वी का तापमान इतना हो जायेगा कि चाहकर भी आप कपडे नही पहन पाएंगे ..और फिर पूरी दुनिया नंगी ही दिखाई देगी ......पर आपको इस तरह मल्लिका शेरावत , शकीरा के पेट पर लात नही मारनी चाहिए ...आप तो  जिओ और जीने दो पर विश्वास करते हो ......आरे यार मल्लिका के लिए न चलो गाड़ी  पर ...न काटो पेड़ ...कम से कम वो अपना पेट पालने के लिए जो कर रही है या दिखा रही है ....उसको खतम क्यों कर रहे हो ...........प्लीज  मल्लिका के जीवन के लिए प्रयावरण को नुकसान न पहुचाओ ........गाँधी जी भी तो यही कहते थे कि जो भी करो ...यह देखो कि उससे समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को क्या लाभ पहुच रहा है ...........क्यों भूखे नंगो को आप बर्बाद करने पर लगे है ...........लोकतंत्र में इनको भी जीने का हक़ है .......मत काटिए पेड़ .......... मल्लिका और आप में फर्क क्या रह जायेगा ..आप भी नंगे और वो भी ..............लेकिन आपको किसी कि नौकरी या पेट पर लात मरने का हक़ नही है .............क्या आप पर्थिवी और मल्लिका दोनों को बर्बाद करना चाहते है ?????????????  सिर्फ अपनी ख़ुशी  के लिए .........क्या आप बेरोजगार तो नही ........जो मल्लिका को बर्बाद करने जा रहे है .......एक पेड़ फिर काटने जा रहे है .............अखिल भारतीय अधिकार संगठन ........डॉ आलोक चान्टिया

Thursday, 21 June 2012

bhagwan ko nhi dekha is desh me >????????????

हम भगवन को से रोज मिलते है और आप ???????????????
आज सुबान सुबान जब मई मंदिर पंहुचा तो देखा कि काफी लोग पूजा करने आये है  पता नही नहाये धोये लोग पूजा से ज्यादा इस बात को बर्र बार देख लेते थे कि कही भगवन मेरी पूजा से प्रसन्न होकर दर्शन देने से पहले परीक्षा ना लेने लगे ...और चप्पल ही गायब कर दे ...भगवन का क्या वो तो कुछ भी कर सकते है ....मंदिर में जेब ही कटवा दे .....सोने कि चैन ही खिचवा दे ......और तो और मैंने देखा एक माहि ला एक पुरुष से कुछ परेशां थी क्यों कि बह्वन उस पुरुष में खुश कर उस महिला के सतीत्व कि जांच कर रहा था और करे भी क्यों न आखिर त्रि देव ने तो अनुसूया से नग्न आकर खाना खिलने को कहा था तो  फिर यह परीक्षा तो काफी छोटी लग रही थी ...मैंने तुरंत भगवन कि परछाई उस पुरुष में देख उसके आगे सर झुकाया ....और खुश होता हुआ उसी के पास खड़ा हो गया ....मेरे पेट में तो दर्द रहता ही ...और मेरे क्या इस देश में कही भी लाइन लगी हो और सब चुप रहे तो समझ लीजिये कि आप भारत में है ही नही ......खैर मैंने भगवन कि आरती की तरह  उनसे प्रपंच का गाना शुरू किया ........क्या आप ने भगवन को देखा है ?????????? पर वो तो चुप ऐसा लगा उनके अंदर का बैठा  भगवान मुझको कच्चा खा  जायेगा और यही अगल बगल देख कर लगा ...मैंने  क्या कोई गलत बात कह दी ?????????  ओह ओह आप सोच रहे है की कैसा पागल है यह भगवान को देखने की जरुरत क्या यहाँ सब  तो पहुचे हुए ऋषि है ,,,,,,,,,,,,,,,,,, हा हा आपको विश्वास दिलाने के लिए मुझे प्रमाण तो देना पड़ेगा ...आखिर हम सब इतने ....झुट्ठे ??????? मेरा मतलब अंधे  .....क्या हो रहा है मुझे ...सच्चे है तो किसी पर विश्वास क्यों करेंगे ??????? जब भगवान बनने की चाहत हुई लगा दिया किसी औरत के चरित्र पर आरोप दिया और लोक समाज और तो और लोक तनतंत्र की स्थापना के लिए औरत दे  अगनी परीक्षा आखिर समाज को बनाने के लिए भगवान को यह तो करना ही पड़ेगा .....आरे यह क्या आपने सिर्फ समाज के कहने पर औरत को जंगल भेज दिया .....आरे भाई वो गर्भवती है .............और आप बार बार यही कह रहे है की मर्यादा और समाज के खातिर ये सब करना जरुरी है .........पर आप के भगवान बनने के कारन लीजिये अपने अपमान के कारन और जमीन में धंसी जा रही है ..मेरा मतलब फांसी लगाये ले रही है ......वो देखिये देश की हर नायाय्लय में औरत अपने चरित्र  को आपके लोक और मर्यादा के लिए साफ़ दिखने में जुटी है ......चलिए आपके इस प्रयास से हर गली चौराहे पर मर्यादा  पुरुषो .............तो दिखाई देने लगे है ....कलयुग में भगवान के दर्शन हो जाये तो समझो जीवन धन्य हो गया .................पर आपको तो सभी भगवान को देख कर मरने का मन है ....और हो भी क्यों ना आखिर वैतरणी जो पार करनी ...स्वर्ग जो जाना है ............नरक ( गन्दी बस्ती , गरीब लोगो  के जीवन )  से होकर कौन गुजरना चाहेगा ....शायद कोई बेवकूफ ही होगा जो ऐसा सोचे ...खाई लीजिये दुसरे भगवान से मिलिए ...............क्या आपके घर चोरी हो गई .......बगल के घर में भी ....और लीजिये अब तप पूरा समाज चिल्ला रहा है है ...कि मेरे यहा भी ....मेरे यहा भी ...........ये क्या ये क्या पूरा देश पागल हुआ जा रहा है क्यों कि पुइरा देश चोरी से परेशान हुआ जा रहा है !!!!!!!!!!!!! पर हम तो ....इसी में मस्त है .....मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरो ना कोई .........तो इतना चिल्ला क्यों रहे है ....भगवान फिर प्रजातंत्र में वेश बदल कर आ गए है ....उथियेर उनके पैर छू लीजिये ....पूजा कीजिये ...आरे आरे आप इनको राजा , कलमाड़ी , बंगारू   लक्ष्मण   और न जाने क्या कह रहे है ...यह तो भगवान है जिनको चोर कहलाना अच्छा लगता है ...और आप ही ने माखन चोर कह कर इस देश के भगवान को इतनी इज्जत दी है और जब ...चोर आपके सामने है ...तो आप यशोदा ( कोर्ट ) से शिकायत कर रहे है ????????? लीजिये सुनिए ....माखन चोर .....हा हा ...पैसा चोर ....जमीं चोर .....देश कि रक्षा के चोर ....अस्मिता के चोर , टैक्स के चोर ..... राष्ट्र मंडल खेल के चोर .....२जी  स्पेक्ट्रम के चोर ....देखिये देखिये किनी बल सुलभ तरीके से यशोदा ( नायाय्लय ) से कह रहे है ....मैया  मोरी  मै नही माखन खायो ......और यह क्या यशोदा ने सब चोरो को गले लगा लिया /....और चोर कहने वालो को भगा दिया ....अच्छा भला भगवान ( प्रजातंत्र के गिद्ध ) को चोर कौन कह सकता है .........पर आपको तो इन चोरो कि वजह से भगवान के दर्शन हर मोड़ पर हो रहे है ...........पर रुकिए रुकिए .....यह मत भूलिए कि मनुष्य के लिए पृथिवी बनी है ...हर गली महले में इतने भगवान दिखाई देने लगे है ...क्या होगा इस देश का ..........आरे भाई होगा क्या भगवान आते ही है ..भक्तो के लिए और भक्तो को भी तो अब मर्यादा पुरुषो .......और माखन चोर के अलावा कुछ पसंद नही ..........जय हो कलयुग कि ...पहले इस देश में एक भगवान आते थे अब तो पूरा देश भगवान से भर रहा है ...............क्या आप को अब भी लगता है ...कि आपने इस देश के भगवान को नही देखा ...........मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोई ...............भगवान भगवान आप तो कण कण में हो ........आइये आप भी देख लीजिये भगवान को ...और न मिले तो आज किसी कोर्ट चले जियेगा .....बस फिर ना कहेंगे  कि भगवान को नही देखा ..............आखिर पूरी दुनिया में भगवान ने अगर जन्म लिया तो वो भारत में ही ...................अखिल भारतीय अधिकार संगठन

hoiye whi jo ram rchi rakha

होइए वही जो राम रचि राखा..................
क्या आप को इस बात पर कोई ऐतराज है कि यह देश राम का नही है ????????? नही ना !!!!!!!!!! तो फिर फिर देश की दुर्दशा पर आपके पेट में दर्द क्यों हो रहा है ??????? या तो भगवन पर विश्वास कीजिये और या फिर कह दीजिये की आपको भगवान जैसे शब्द पर ही नही विश्वास है ...राम तो काफी बड़ा शब्द हो जायेगा ...........राम शब्द का सहारा लेकर ९१८४ के दंगो की आग की तरह ही एक पार्टी राष्ट्रिय पार्टी बन गई ...वो बात अलग है की उसके बबाद राम का घर तक मनुष्यों ने छीन लिया और उन्हें तम्बू में बैठा दिया ......आखिर लगता कैसे की राम का पला रावन से नही मनुष्यों से पड़ा है ...........जो माँ की छाती का ढूध पीकर बड़े होते है  फिर भी अमृत की वर्षा करने वाली माँ स्वरुप को इस देश में सबसे ज्यादा अंचल का ही ख्याल रखना पड़ता है ....खैर मै कह रहा था कि राम ही जब सब करता है तो आप कि छाती में दर्द क्यों हो रहा है ....आप ही तो ख्तेव है कि रावन को मारने के लिए भगवन ने प्रपंच रचा और सीता के अपहरण के सहारे समाज को रावन से मुक्ति दिलाई .................तो आज क्या हो गया .....राम फिर किसी रावन को मरना चाहते होंगे ...इसी लिए लडकियों का अपहरण हो रहा है ....बलात्कार हो रहा है ....घरेल्लू हिंसा , छेड़ छाड़ सब इसी लिए तो हो रहा है कि भगवन का जन्म अहोने वाला है ....आरे आरे मै तो भूल ही गया आपकी बात का समर्थन तो गीता भी करती है ...यदा यदा ही धर्मस्य .........यानि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब भगवन जन्म लेते है ...तो फिर चिंता की क्या बात है ...भगवन आने वाले है ...हाथ पर हाथ धर कर बैठिये ...न हो तो सो जाइये ...और किसी लड़की की जान न बचाइए क्योकि अगर आप बचा लेंगे तो भगवन का आना संशय में पड़ जायेगा .......और आप तो नेताओ को दोष दे रहे है ...न जाने कितने नेता सेक्स रॉकेट में पकडे जा रहे है ...तो क्या हुआ आखिर रावन नही होंगे तो सीता का अपहरण कौन करेगा और रावन  को मरने के लिए ही तो राम आ रहे है ........पर आपके पसीना क्यों आ रहा है .....आप तो विभीषण है ..अप ही के सहारे तो राम रावन को मारेंगे.........पर यह क्या आप तो रावन की तरफ भाग कर जा रहे है ...क्या राम पर विश्वास नही आपको .....अच्छा आप भी अपना पाला सही कर रहे है .........लेकिन यह क्या मैदान तो रावन से ही भरा जा रहा है .........चलिए अच्छा ही तो है जो हो रहा है राम की मर्जी हो रहा है .....कम से कम यह तो पता चल गया कि भाई बहन के देश में  सब रावन की लंका में रहने के लिए भाग रहे है ....पर अशोक वाटिका ?????? भी तो है  क्यों न भागे ....आज वह सुना है सीता को रावन लाया है .....पर  डरिये नही राम आयेंगे जरुर ...सीता की रात को चीरती चीख पर धयान न दीजिये हमारा देश राम का है ........और राम ही सीता का उद्धार जरुर करेंगे ......आप आराम से सो जाइये ...क्योकि इस देश में होइहे वही जो राम रचि राखा ............देश और देश के लोग जाये भाड़ में .......आपको तो राम पर विश्वास है ना !!!!!!!!!!!!!!!!! अखिल भारतीय अधिकार संगठन 

uncommon

it is very common ,
to write or think,
always uncommon,
other than normal ,
and if you are formal ,
people like abnormal ,
love enchants a girl ,
you may get that pearl,
if your behavior is funny,
makes that face sunny,
and romance goes up ,
love prefers madness,
sometimes loneliness,
and seldom sadness  ,
it is all uncommon ,
from the daily routine ,
and when you in sixteen ,
but it may continue ,
after attainment of eighteen,
sex is always natural ,
but it is also unnatural ,
marriage is common ,
miscarriage is uncommon,
when you take pleasure,
without society measure,
it brings unhappy situation,
do you feel any passion,
other than man and woman,
you may live as only human ,
you may taste same sex ,
without paying extra tax ,
it may be  a solution,
but whats about institution,
like marriage and family ,
is it a matter of  ugly ,
why do you want to lead,
and always try to feed ,
this society may go ahead ,
with all types of abnormality ,
do you want to sustain,
with this present world,
or try to make it as curd,
which pushes only formality,
what will happen tomorrow,
only we will get sorrow ,
when humanity be nowhere,
or as trace somewhere,
why we are leading uncommon,
do you want a shaman ,
have you seen me ever ,
joy is absent forever,
i am not male ,
and not a female ,
life takes itself as jail ,
because  i am an eunuch,
should have i not all rights,
right o life , right to dignity,
and right to fraternity  ,
if you have faith on omnipresent ,
you should take me as in present ,
why do you keep me at door step ,
is it not you behavior as step ,
any time any where please ,
give me please as lease ,
and tell me what is my crime ,
why my life can't make rhyme ,
see the bell which rings ,
voice of Chime when sings,
we are also human being,
an uncommon fact before you ,
but my facts are not new ,
accept me as a gift of nature ,
as an uncommon creature ,
other than human being  ,
who will be seeing ,
as an inferior to you ,
not as superior to you ,
we have come in your world,
and i have it heard,
you complete human being,
are benevolent ,
not act as malevolent ,
so develop a bivalent relation,
with an uncommon person,
which may come by  ,
human- humanity insertion 

Wednesday, 20 June 2012

mai bhartiy nhi hun

मै भारतीय  छोड़  सब कुछ .................
भाई साहब आप जाने पहचाने से लगते है ........क्या मै जान सकता हूँ  कि आप कहा के है ???????? जी !!!!!!!!!!!! मै भारतीय हूँ | नही नही मेरा मतलब आप कहा के है मतलब  उत्तर प्रदेश , पंजाब कहा के ??????? जी मै उत्तर प्रदेश का हूँ ( पर भारत का तो हो ही नही सकता )| आपके नाम से तो !!!!!!!!!!!!!!! जी मेरा नाम है ही ऐसा | इस नाम के लोग क्या होते है ?????????? जी भारतीय | नही  नही मेरा मतलब है कि इस सर नेम के लोग कभी सुने नही ना | क्या आप ब्रह्मण ..क्षत्रिय ...या फिर ,,,,,,,,,,द.......जी मै भारतीय ही हूँ क्या रखा है इन नाम वाम में .........आप भी क्या बात करते है  देखिये न ब्रह्मण ...ब्रह्मण का सपोर्ट करता है ....क्षत्रिय क्षत्रिय का सपोर्ट करता है ..........और आप भारतीय भारतीय लगा रखा है ..........वैसे आपके नाम से लगता है कि .........जी  मै केवल भारतीय हूँ .......ओह ओह यस यस  मै तो भूल ही गया था कि आप लोग या तो बौध लिखते है या फिर भारत या भारतीय .........क्षमा करियेगा मै तो समझा था कि आप संविधान वाले भारत की बात कर रहे है ...........आरे वही इंडिया दैट इज भारत ( अनुच्छेद १ ).........अच्छा आपकी भाषा से तो लगता है कि आप ?????????? जी मै भारतीय हूँ | पर भाषा से तो लगता है कि आप उत्तर प्रदेश के है ........गुजराती आती है आपको ...............आप तो बुरा मान जाते है अगर यह पता होता कि कौन कहा का है तो जरा बात करने में आसनी होती है ............ पर भारत कहें में तो और आसानी रहेगी | पर  आपको कौन त्यौहार ज्यादा पसंद है ?????? जी भारत में !!!!!!!! आरे भाई अपना त्यौहार बताइए ............ईद >>>क्या ...नाम से तो हिंदू लगते है और त्यौहार मुसलमान का !!!!!!!!! पर मै तो भारत के त्यौहार समझ कर ????? होली क्या बुरी है ..आप जैसे लोगो से हम हिंदू का नाश होता जा रहा है .......मुसलमान दिनों दिन बढ़ते जा रहे है ...............आप क्या बक बक कर रहे हम सब भारत के है ......कद्दू भारत भारत लगाये हो ...लगता है महाराष्ट्र में राज ठाकरे के चक्कर में नही पड़े ....कभी कश्मीर में नही फसे ............कहा है भारत ??????? हर जगह पूछा जाता है कि अपनी जाती बताओ , धर्म बताओ ...और कौन से नौकरी में यह नही पूछा जाता कि अपनी श्रेणी, धर्म , जाति सब बताओ ........भारतीय से यह पूछने कि जरूरत क्या है ???????? अगर सब भारतीय है तो धर्म के आधार पर आरक्षण क्यों ????????अगर सब भारतीय है तो न जाने कितने विवाह के कानून धर्म के आधार पर , जाति और जनजाति के आधार पर क्यों ???????????? क्यों कहा है भारतीय यहा??????? आप वोते भी भारतीय को नही जाति , धर्म को देतेहै ............कभी यादव तो कभी दलित तो कभी ......और तो और ....राष्ट्रपति का चुनाव भी भारतीय का नही है ....वह भी यही हवा है कि राष्ट्रपति दलित क्यों नही ???????? तो क्या इस देश में भारतीय है ही नही कही????????? पता नही पर जब यहा के लोगो को खून कि जरूरत होती है , अपने घर काम करने वाला रखना होता है , जनता से वोट मांगने होता है  तो ऐसा लगता है कि यह भारत है और सभी भारतीय है क्योकि खून लेने में कोई जाति धर्म नही पूछता है ..यानि यहा जब जान पर बनती है तो हम सब भारतीय है !!!!!!!!!!!!!!!!!! क्यों कही आप इसी लिए तो भारतीय ?????????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन

andhera kayam ho

रोज की तरह राज्य की राजधानी में भी अँधेरा ...बिजली नही और मै बाहर खड़ा आकाश में कडकती बिजली की के सहारे पानी बरसने की बाँट जोहने वाले कर्ज में डूबे किसान की तरह बिजली आने की राह में पलके बिछाए  था कि बगल में रहने वाले गुप्ता जी ( भारतीय तो यह है नही )  तपाक से शायद समय काटने के लिए भारत में बिना पैसे के मनोरंजन के रूप में परपंच काफी प्रचलित है ...कहिये तो बातो बातो में अमिताभ बच्चन से अपने घर पर डांस करवा ले और आश्चर्य नही अगर प्रधान मंत्री से यह बर्तन न धुलवा ले ( भले ही एक सिपाही को देख पह सूखे में गीले का एहसास हो जाता हो )...काहिर बोले भाई साहब इस देश का भी पूछिये मत .......ये साला देश है जहाँ न ढंग से बिजली आती हो वहाँ तरक्की क्या खाक होगी .............पर जब उन्होंने बर्रे के छाते में हाथ दाल ही दिया था तो फिर मेरी सीधी बातो से कैसे बचते .......मैंने कहा बिलकुल गलत ...इस देश के नेताओ ने तो हमेशा से ही इस देश की संस्कृति की रक्षा की है .......आप गलत फहमी में है की वो लोग चाहते है की बिजली न रहे .....आरे भाई हमारे यह कहा जाता है न .......तमसो मा ज्योतिर  गमय ...यानि हमें अंधकार से प्रकाश की ओर चलना है और अगर अँधेरा होगा ही नही तो प्रकाश की ओर क्या खाक चलेंगे ....बस ये नेता पूरे देश के लोगो को अँधेरे में रख कर उनको अपनी संस्कृति से जोड़े हुए है ...........बही साहब आप भी मजाक अच्छा कर लेते है .......मजाक और मै ....इस देश  में मजाक मजाक में  पांडव पानी पत्नी हार जाते है .....मजाक मजाक में लोग जन ही नही पते की माँ या पिता बन गए है वो तो महीनो बाद उन्हें लगता है .......अँधेरे में उस दिन जो मजाक किया था ..उसके कारण अँधेरे में एक दिल धड़कने लगा है ......अँधेरा ही तो सब कुछ  है न विश्वास हो तो उर्जा मंत्री से पूछ लीजिये ........कहते है अगर अँधेरा न होता तो क्या लोग अन्तरिक्ष का आनंद ले पते और फिर आप तारे कैसे देख पाते........अँधेरे के कारण आप क्या कर रहे है  कोई सामने होकर भी जान नही सकता  पर देश की जनसँख्या छिपाना मुश्किल है .......यही कारण है की गाँव अँधेरे में डूबे है .........पर नेता तो कभी अँधेरे में रहते उनके घर तो जगमगते रहते है ..........न न न न ..ये आप क्या कह रहे है उन उल्लुओ ????????? माफ़ कीजियेगा नेता को रात में दिखाई देता है तभी तो रात में हर कम करते है | बल्कि ये तो अपने घरो में उजाला इस लिए रखते है ताकि रात में पतंगे और जुगनू अपने जीवन को न्योछावर कर करके इनको उजाले का मतलब बता सके ................अभी आज कल एक नेता रात के उजाले में जो किया थे उसको मानने को तैयार ही नही है और अपना डी एन ए टेस्ट करवाने तो राजी नही है ......बहिया ररत का अँधेरा जनता के घरो में दिलो में है नही  तो क्यों भाग रहे हो ..देश को आजादी रात में मिली ...देश आधी रात में बंटा, देहस में माँ का अंचल रात में उतारा गया और एक नेता जी तो कह रहे थे कोई मामूली बात थोड़ी न है हम कई मामलो में विश्व में आगे है ......हम लंगड़ो के मामले में सबसे आगे है .......कोढ़ी सबसे ज्यादा यही है और हां अंधे भी विश्व के सबसे ज्यादा यही है और फिर हम सब तो वसुधैव कुतुम्बुकम की भावना से जीते है अब अपने ही देश के लोगो को कैसे अलग समझ सकते है ...इस लिए देश के लोगो के हित और आपसी भाई चारा बनाये रखने के लिए पूरे देश को सरकार ने अँधेरे में रखने का फैसला किया है ताकि हम सब अन्धो का दर्द समझ सके और अन्धो की तरह ही रहे ..और रही नेता की बात तो इनको दिन में दिखाई नही पड़ता ..ए रात के उल ..... है अब आप ही बताइए सरकार क्या गलत कर रही जो आप को बिजली नही दे रही ..हमारा संविधान तक कलायन करी राज्य की संकल्पना की वकालत करता है और इस देश में तो कहा भी गया है .कि अंधेर नगरी चौपट राजा यानि जान हमर देश अँधेरे में होगा तो यह का राजा ( प्रधानमंत्री ) कैसा होगा ........चौ ..........बस बस बस मै समझ गया कि आप इस देश के अक्लमंद नागरिक है पर आप फिर भूल रहे है .कि जैसा राजा .वैसी प्रजा ...और अभी आप ही कह रहे थे कि राजा अँधेरे में चौपट ही होता है ,,,,,तो फिर देर किस बात की आइये चौपाटी पर बैठ कर चुस्की खाते हुए चौपट होने का आनंद लेते है .......सच मानिये इस देश में अगर अँधेरा खत्म हो गया तो उल्लुओ का क्या होगा और आपको दिन में तारे दिखाई देने लगेंगे तप क्या आप कुछ उल्टा पुलटा इस देश में चाहते है ..नही न यही तो देश प्रेम है ........अँधेरा कायम रहे ...संस्कृति कायम रहे ........नेता मर जाये .........ओह ...यह क्या कह गया ...मेरा मतलब अमर रहे .....वरना गाना कौन गायेगा ........हर डाल पर उल्लू बैठे है अंजामे गुलिश्तां क्या होगा ?????? भारत माँ की जाये अन्ध्रेरा कायम रहे .......कश्मीर से कन्या कुमारी तक ...........सरे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा हम बुलबुले ..................संभल के भैया  कही फूट न जाये .........खैर हमें  पूरे  अंधरे की ही तलाश में ही तो है ....इस बार अँधेरे वाले को जरुर जितैयेगा ..........संसद में भी अँधेरा ...........खैर  वहा भी  तो अंधे ...मतलब अंधे  भी तो सम्मानित सांसद बन कर जा सकते है ........क्या आप अँधेरे के पक्षधर नही है????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन  









Tuesday, 19 June 2012

pagalllllllllllllllll

पागलो का देश कहाँ है ?????????????
आज मुझसे एक सज्जन ने पूछा कि क्या विश्व में कोई देश ऐसा है जो पागलो से भरा हो या पागलो का ही हो ??????? मैंने कहा कि है न ..........अपना भारत ...मेरा यह कहते ही ही उन्होंने झट कहा कि क्या आप पागल हो गए है ????????? भारत को पागलो का देश कह रहे है ............मैंने हसते हुए कहा कि देखा इस देश में जब भी आप कोई सही बात करेंगे ......लोग यही कहेंगे कि क्या पागलो जैसी बात बात कर रहे हो .या फिर आपसे यह कह कर दूर हो जायेंगे कि यार उसके पास चलोगे तो बस देश , प्रगति , विकास और न जाने क्या क्या पागलो की तरह बताएगा ?????????? क्या आपको नही लगता कि यह देश पागलो का ही है जहा सही बात करने वाले पागल कहे जाते है और जो कहते है उनके लिए क्या कहना जरुरी है ???????? देश के लोग गर्मी से पागल हुए जा रहे है !!!!!!!!!!!!!!!!! देश के नेता अन्ना  के भर्ष्टाचार मुहीम से पागल हुए जा रहे है | देश के युवा नौकरी के बिना पागल हुए जा रहे है | देश के किसान कर्ज से पागल हुए जा रहे है | क्या आपको नही लगता कि यह देश पागलो का ही होता जा रहा है | क्या आपको नही पता कि इस देश में कलि दस रहते थे जो जिस डाल पर बैठे उसी को कटा करते थे | यह पर वाल्मीकि मरा मरा कहकर महर्षि बन जाता है | और तो और १९४७ में जिस कारण से देश बंटा उस लोग को हम पाने देश में रखे भी रहे | भला क्या ये पागलपन नही था दो देश बनाने का |  पर क्या करू मेरी हर बात आपको पागलपन की ही लगेगी क्योकि आप खुद ...................... बुरा मत मानिए मै तो कह रहा था आप खुद पागलो से परेशान है | और चाहते है पागलो के लिए अस्पताल हो पर अस्पताल में भी वही पागल ...........मेरा मतलब  नेता है जो अक्सर सीने में दर्द की शिकायत करते है |क्या आप आगमी निकाय चुनाव से पागल हुए जा रहे है .......जिसे देखो भी अपने देश के लिए विकास करने की बात करके वोट मांग रहा है और आप उस पागल की बात पर विश्वास करके एक असली पागल को छोड़ ....जो पैदल अपने दम पर चुनाव लड़ रहा होगा ...किस गाड़ी वाले को पागल की तरह लाइन में खड़े होकर वोट देकर इस देश को पूरा पागल बना देंगे और फिर भी कहेंगे मै पागल नही हूँ बल्कि पागल तो ऐसा लिखने वाला है .खैर मै कर भी क्या सकता हूँ जब विश्व में केवल यही देश ही पागलो का है ..................आप हस रहे है !!!!!!!!!!!! सच है किसी को हसी आती ही तब भी है जब दर्द हद से गुजर जाता है और आदमी पागल हो जाता है ...................पगला है दिल  तो पागल है ...समझने पर समझे ना .......क्या आपको मै पागल  लगता हूँ .......जवाब क्या देंगे ........चोर चोर मौसेरे भाई ..........नही नही खग जाने खगही की भाषा ..................और हम आप इस देश के ..................................पागलपन बढ़ रहा है ...........पानी अब बरसेगा भगवान् .............राष्ट्रपति भवन को बचा लो ........................बचा लो ..........

Monday, 18 June 2012

jansankhya shnya hai ....................

भारत में मानव की जनसंख्या कितनी है ??????? शून्य!!!!!!!!!!! आरे भाई इसमें चौकने की कौन सी बात है मै कुकुरमुत्तो की तरह सरकार द्वारा खोले गए किसी शराब की ठेके पर सुबह सुबह नही गया था | मै बिलकुल सही कह रहा हूँ भारत की जनसँख्या शून्य है ...........................आरे भाई शून्य का मतलब ?????????????  व्योम यानि आकाश ...समझे कुछ आकाश  और क्या  आप आकाश का आकार बता सकते है ?????????? और कहते उसको शून्य है तो भारत की जनसँख्या  का क्या कोई और छोर है ...............तो क्या जनसँख्या शून्य नही हुई ..........और शून्य का मतलब जब इसी गिनती के पीछे लग जायेगा तो उसका मान नही तो गुमनाम और हम भी पीछे पीछे ही तो दौड़ने विश्वास रखते है ............आप को विश्वास न हो कभी किसी अपने को ढूंढने निकल पड़िये .....देखिये आपको लगेगा कि यह देश मानव विहीन है और बेचारी द्रौपदी चीखते चीखते नंगी  हो ही गई थी ......कोई मनुष्य आया था ......तो हुई न देश कि जनसँख्या शून्य .....आरे भाई आप हम पर इतने लाल पीले हो रहे है ...........भ्रष्टाचार को मिटने के लिए जन मानस चाहिए था /है  पर इस देश में जनसँख्या न होने के कारण ही तो  हम भर्ष्टाचार न तो मिटा पा रहे है  और न रावन और कंस ......................माफ़ कीजियेगा            सरकार से जन लोक पल बनवा पा रहे है ..............क्या आप बता सकते है देश में मानव की जनसँख्या कितनी है ??????????? बताइयेगा जरुर मुझे भी दो आदमी चाहिए ............प्लीज ..............अहिल भारतीय अधिकार संगठन

narendra .......ya samrat

नरेन्द्र मोदी ....................क्या आपको पता है कि इस नाम का मतलब ????????????? नरो का इंद्र यानि सम्राट पर भारत में तो प्रजातंत्र है ....और प्रजातंत्र में सम्राट तो हो ही नही सकता तो क्या नरेंद्र मोदी इंग्लैंड के महाराजा है जो सर्वोच्च है .............हो सकता है हमारे देश  में दबे कुचले लोग अकसर अपना नाम मेनेजर , डॉक्टर , प्रोफ़ेसर , राजा, दुलारे , और न जाने क्या क्या और बेचारे नरेंद्र मोदी ने इसी लिए अपना नाम रख लिया हो ............और आज तो भारत में इन्ही की महिमा  है और जिस देखो वही दलित , मुस्लिम की राजनीती कर रहा है तो बेचारे प्रजातंत्र में नरेंद्र अपने  नाम को क्यों न भुनाए हा वो बात अलग है कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद ...और यह भी तो है कि अगर बंदर के हाथ में उस्तरा दे दिया जायेगा तो वह अपना ही सर कटेगा ...............जी आप इसको संजय जोशी से जोड़ कर क्यों देख रहे है .............गडकरी साहब को क्या आप बिना पेंदे का लोटा समझते है जो सिर्फ नरेंद्र के कारण हा में हा मिलायेंगे उनकी ...... नरेंद्र जी अटल जी से जाकर मिल लीजिये दुनिया में ही स्वर्ग का एहसास हो जायेगा .....क्या आपको वो नरक लगता है ....खैर आप शायद जानते नही है यह राम का देश है  जहाँ गद्दी मिलते मिलते वनवास ज्यादा मिलता है ...नही विश्वास आ रहा तो मिल लीजिये प्रणव दादा से जो प्रधानमंत्री बनते बनते रब्बर स्टंप ........................ हा हा वही मैडम जी के प्यादे .........मेरा मतलब तो यह नही है .....मै तो सम्मानित राष्ट्रपति की बात कर रहा हूँ मजाक नही कर रहा हूँ आप भी राष्ट्र पति बनने की ज्यादा सोचिये क्योकि आपको अपने लिए क्षमा याचना नही करनी पड़ेगी .......और तो और आप के ऊपर कुछ होगा भी नही .............आप तो पुलिस अधीक्षक तक को बर्बाद ..........मेरा कहने का मतलब दंड देने में सक्षम है .....भाई भारतीय जनता पार्टी एक अंधेर नगरी की तरह है और अँधेरे में तो सिर्फ आपको ही दिखाई देता है .....आप अपने को जानवर मत समझिये भाई मै तो मुहावरे की बात कर रहा हूँ .अंधेर नगरी चौपट राजा ................पर आप तो बिलकुल ऐसे आँख तरेर रहे है मानो चोर की दाढ़ी में तिनका और आपकी दाढ़ी है भी अम्तिभा से बढ़िया ..............अमिताभ को भी किसी ने बताया था कि उनके ख़राब दिन तभी कहातम होंगे जब व दाढ़ी रखेंगे और भाई अमिताभ को देखिये करोड़ पति और करोडपति बहु मिल गई तो आपके  तो पूरी दाढ़ी दाढ़ी और आपको कलमाड़ी से राजा से अंतर पार्टी अंतरण क्रायक्रम के अनतर्गत ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए क्यों कि देश को बताना , बेचना तो आना ही चाहिए ..............क्या आप ऐसा नही करेंगे ?????????????? क्यों आपके पूर्व पार्टी अध्यक्ष तो घुस लेते पकड़े जा चुके है .............आप के पास भी धुध से धुले लोग तो है नही ......पर इस देश के लोगो को मदारी का खेल देखने में अफ़ी मजा आता है वैसे तो बंदर हर समय घूमते रहते है पर जब मदारी गा कर बंदर को नचाता है तो देश के लोग ताली बजाते है और आपके भाषण पर तो ताली सुना खूब बजती है  और तो और पैसे भी देते है ...............हा हा आपके यह तो टाटा भी पैसा लगाना चाहते है , अम्बानी आपके मदारीपन  से खुश है ही तो फिर आपकी पार्टी आप से अपने यह के बंदरो .............नही भैया नेता और कार्यकर्ता  को नाचवाएगी ही और देश कि जनता आप पर पैसा लुटाने को तैयार  है ही ..................वैसे मदर बन कर रहेंगे तो मस्त रहेंगे बंदर भीअप्पके पास रहेंगे और सुख भी और फिर आपको जेर्मनी  के हिटलर की तंशी का अंत तो पता ही है .....आरे बहिया खुद को गोली मार लो , उससे तो अच्छा है  कि आदमी बन कर रहो वरना शैतान को मारने के लिए इस देश के भगवान आदमी के रूप में पैदा होकर संघार करते है और प्रजातंत्र में वोट का सुदर्शन चक्र लिए आदमी भागवान से कम तो है नही ......................तो लुटती लोटिया को दीजिये सहारा और पानी पार्टी के केवट बनिए वैसे भी आप  तो समुन्द्र के किनारे रहते है  और  ज्वार भांटा में में जहाज़ खेना भी जानते होंगे ...............नही जानते तो गई भैंस पानी में .....................अब तो आपके हालत पर यही कह सकता हूँ कि  होइए वही जो राम .........नही नही नरेन्द्र रच राखा......................क्या हुआ नरेंद्र जी ................देश  और काल को समझिये वरना सर मुड़ते ही ओले पड़ने वाले है .नेन्द्र जी ...............नही नही सम्राट  जी ????????????////

Sunday, 17 June 2012

pita , pta aur patta

पिता, पत्ता , पता  यह सभी शब्द कुछ मिलते से लगते है क्योकि भारत में आज पिता की स्थिति पता ही नही है और अगर पता है भी तो वो पता किसी के पास नही जिस पते पर जाकर एक बच्चा उस पिता से मिल ले जिसने उसको जन्म देने में अनुवांशिक भगवन की भूमिका निभाई थी और पिता बनने के ख्वाब को पत्नी के सहरा पूरा करने वाले न जाने कितने पिता को पत्ता बना कर खेल दिया है !!!!! जी हा मै बिलकुल सच कह रहा हूँ पर आपको ताश का पत्ता समझने की आदत सी हो गई है लेकिन मै बसंत के सूखे पत्ते की बात कर रहा हूँ जो चाहे या न चाहे पर दहेज़ निरोधक कानून और घरेलु हिंसा अधिनियम २००५ ने सूखे पत्ते की तरह उसकी नींद उदा रखी है | बस कोई चौदहवी का चाँद बन कर आई नवयुवती उछ दिन बाद यह सोच ले कि इस देश के कानून को पढ़ लिया जाये तो वह झट वह बचपन से संबंधो के जितने नाम जानती होगी उसको पोलिस को बता कर ससुराल में वह कोहराम मचाएगी कि बेचारा पीटीआई , पत्ते की तरह पाना पता ही भूल जायेगा और जिस पते को उसकी पत्नी उसे बताना चाहती है उस पते के कारन न तो कोई शरीफ उसके घर आना पसंद करेगा और न ही पीटीआई महोदय की अगर कोई कुआंरी बहन है तो शादी तो होनी ही नही है ...जी हा मै पते से पति के नए पते यानि जेल की बात कर रहा हूँ झा आज कल के पीटीआई बेचारे ज्यादा ही जाने लगे है क्योकि पत्नी को सावित्री और अनुसूया की कहानी से यही तो शिक्षा मिली है कि कैसे पति के जीवन की रक्षा की जाये और रक्षा तो जेल में ही हो सकती है  मैंने एक विवाहित महिला से जब कहा कि क्या यह आपको अच्छा लगता है आप अपने ससुराल वालो को बिना पैसा या किराया दिए जेल में रखवा रही है टी भारतीय आदर्शो में पली बहु ने कहा कि आपको क्या पता छोटा सा घर है और हर समय सब मेरे ही कमरे में घुसे रहते है , न मै सो पाती हूँ और न सुख पाती हूँ अब सब जेल में है तो कम से कम मै आराम से सोती तो हूँ और फिर कौन पुरे जीवन के लिए जेल चले गए है , इस देश में अफजल गुरु और कसाब तक तो जेल में रहके नही जाते ...कुछ दिन बाद आ जायेंगे छुट के पर आप ये तो देखिये कि बिना पैसे के मैंने ओउटिंग भी करवा दी और मझे आराम भी मिल गया | पर अब आपके ससुराल वाले आपके साथ रहना नही चाहते ??/ तो क्या हुआ .....तलाक लेकर तो दिखाए !!!!!!!! सरकार ने इसा कानून बना दिया है कि औरत न चाहे तो यह मर्द पति पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगायेंगे और मेरा क्या पिता के घर भी संपत्ति में मेरा हिस्सा और पति को तो सब कुछ  आधा बटाना ही है | महिला सशक्तिकरण के कारन ही  तो हम महिला पुरुष की तरह बद...............हो गए ................पर आपको पिता के लिए संवेदन शील होना चाहिए ....आज पिता दिवस  है आप ने बच्चो को पिता से मिलने क्यों दिया ..............आ रे पिता से क्या मिलने देते उनका सहयोग ही कितना है बच्चो के जन्म में ....जितना सहयोग किया है उतना ही मिलने को कोर्ट ने कहा है तो फिट इस में मेरा क्या दोष आप लोग फर्जी औरत को बदनाम करते है | दो मिनट का कम करते है और १०० घंटे मिलाना चाहते है ....बड़े आये पिता बनने ......पिता दिवस ....बस यही बचा है हम माँ के जीवन में ...जैसे हम खाली बैठे है ........और पिता पत्ते की तरह टूट कर अपना पता बताने लगता है ...........बेचारा पिता ................क्या आप पिता बनने जा रहे है

pita , patta aur pta

पिता, पत्ता , पता  यह सभी शब्द कुछ मिलते से लगते है क्योकि भारत में आज पिता की स्थिति पता ही नही है और अगर पता है भी तो वो पता किसी के पास नही जिस पते पर जाकर एक बच्चा उस पिता से मिल ले जिसने उसको जन्म देने में अनुवांशिक भगवन की भूमिका निभाई थी और पिता बनने के ख्वाब को पत्नी के सहरा पूरा करने वाले न जाने कितने पिता को पत्ता बना कर खेल दिया है !!!!! जी हा मै बिलकुल सच कह रहा हूँ पर आपको ताश का पत्ता समझने की आदत सी हो गई है लेकिन मै बसंत के सूखे पत्ते की बात कर रहा हूँ जो चाहे या न चाहे पर दहेज़ निरोधक कानून और घरेलु हिंसा अधिनियम २००५ ने सूखे पत्ते की तरह उसकी नींद उदा रखी है | बस कोई चौदहवी का चाँद बन कर आई नवयुवती उछ दिन बाद यह सोच ले कि इस देश के कानून को पढ़ लिया जाये तो वह झट वह बचपन से संबंधो के जितने नाम जानती होगी उसको पोलिस को बता कर ससुराल में वह कोहराम मचाएगी कि बेचारा पीटीआई , पत्ते की तरह पाना पता ही भूल जायेगा और जिस पते को उसकी पत्नी उसे बताना चाहती है उस पते के कारन न तो कोई शरीफ उसके घर आना पसंद करेगा और न ही पीटीआई महोदय की अगर कोई कुआंरी बहन है तो शादी तो होनी ही नही है ...जी हा मै पते से पति के नए पते यानि जेल की बात कर रहा हूँ झा आज कल के पीटीआई बेचारे ज्यादा ही जाने लगे है क्योकि पत्नी को सावित्री और अनुसूया की कहानी से यही तो शिक्षा मिली है कि कैसे पति के जीवन की रक्षा की जाये और रक्षा तो जेल में ही हो सकती है  मैंने एक विवाहित महिला से जब कहा कि क्या यह आपको अच्छा लगता है आप अपने ससुराल वालो को बिना पैसा या किराया दिए जेल में रखवा रही है टी भारतीय आदर्शो में पली बहु ने कहा कि आपको क्या पता छोटा सा घर है और हर समय सब मेरे ही कमरे में घुसे रहते है , न मै सो पाती हूँ और न सुख पाती हूँ अब सब जेल में है तो कम से कम मै आराम से सोती तो हूँ और फिर कौन पुरे जीवन के लिए जेल चले गए है , इस देश में अफजल गुरु और कसाब तक तो जेल में रहके नही जाते ...कुछ दिन बाद आ जायेंगे छुट के पर आप ये तो देखिये कि बिना पैसे के मैंने ओउटिंग भी करवा दी और मझे आराम भी मिल गया | पर अब आपके ससुराल वाले आपके साथ रहना नही चाहते ??/ तो क्या हुआ .....तलाक लेकर तो दिखाए !!!!!!!! सरकार ने इसा कानून बना दिया है कि औरत न चाहे तो यह मर्द पति पूरी जिन्दगी कोर्ट के चक्कर लगायेंगे और मेरा क्या पिता के घर भी संपत्ति में मेरा हिस्सा और पति को तो सब कुछ  आधा बटाना ही है | महिला सशक्तिकरण के कारन ही  तो हम महिला पुरुष की तरह बद...............हो गए ................पर आपको पिता के लिए संवेदन शील होना चाहिए ....आज पिता दिवस  है आप ने बच्चो को पिता से मिलने क्यों दिया ..............आ रे पिता से क्या मिलने देते उनका सहयोग ही कितना है बच्चो के जन्म में ....जितना सहयोग किया है उतना ही मिलने को कोर्ट ने कहा है तो फिट इस में मेरा क्या दोष आप लोग फर्जी औरत को बदनाम करते है | दो मिनट का कम करते है और १०० घंटे मिलाना चाहते है ....बड़े आये पिता बनने ......पिता दिवस ....बस यही बचा है हम माँ के जीवन में ...जैसे हम खाली बैठे है ........और पिता पत्ते की तरह टूट कर अपना पता बताने लगता है ...........बेचारा पिता ................क्या आप पिता बनने जा रहे है

Saturday, 16 June 2012

kutte badh rhe hai

भारत में कुत्तो की संख्या  बढ़ रही है |
भारत को सदैव से ही एक ऐसे राष्ट्र  के रूप में उकेरा गया है जहाँ पर जो भी आया उसको इस देश ने आक्रमणकारी के रूप में देखने के बजाये अपने में ही समाहित कर लिया वो बात अलग है कि हम उस समय भी इन अक्रमंकरियो के उद्देश्य को नही समझ पाए थे और उन्होंने लड़ने के बजाये इस देश को अपना मान कर इसमें अधिकार को मांगने का जो मन बनाया था उसका कोढ़ अब इस देश को न सिर्फ बर्बाद कर रहा है बल्कि हमको पूरा संविधान ही ऐसा बनाना पड़ा कि यह के लोगो से ज्यादा उन लोगो के हितो का ध्यान रखा गया जो कभी इस देश में आक्रमणकारी के रूप  में आये थे अब आप ही बताइए जिस देश में जिओ और जीने दो की वकालत होती रही ही उस देश में जब हमने अपने दुश्मनों का भी बना कर भारत माँ को नंगा करने में कोई कसर नही छोड़ी और उसको अंचल विहीन कर दिया तो इस देश में जानवर भी तो रहते है उन्हा भी तो हक़ है और फिर वो क्यों न हक़ की मांग करे पर भगत सिंह की तरह मांग करने वाले सिंहो का हश्र तो आप देश ही रहे है | चन्द्र शेखर आजाद का दोष तो यही था कि वह अपने देश को अंग्रेजो से वापस चाहते थे और यही गलती जंगल के शेर ने कर डाली | शेरो ने जंगल की रक्षा के लिए आदमियों की ओर नजर से गुरेर क्या दिया कि आदमी ने न सिर्फ जंगल ख़तम कर डाले बल्कि बाघों कि संख्या भी घट कर १३९३ रह गई | आदमियों से बगावत करने वाले न जाने कितने जानवर अब इस दुनिया में पाए ही नही जाते | गाये ने कुछ ज्यादा अच्छे बनने के चक्कर में अपने हिस्से में बुचर खाना  लिख लिया | गधे  ने माल ढोना लिखा लिया | और इसी लिए मनुष्य ने इनकी संख्या को खत्म तो नही किया पर इनका जीवन बद से बद्दतर बना दिया | कुत्ता एक स्वामिभक्त से नवाजा  जाने वाला और भैरव की सवारी से सम्मानित वाला हमेश मनुष्य के इर्द गिर्द दिखाई दिया | अपने मालिक के लिए जान देने वाला और पूरी रात जग कर घर की रखवाली करने वाला कुत्ता हमेशा दुर्भाग्य का शिकार रहा | आप किसी मनुष्य को गधा कह से तो इतना बुरा नही मानेगा पर अपनी जान पर खेल कर मालिक को बचाने वाले कुत्ते को अगर मनुष्य को  कह दिया जाये - कि तुम कुत्ते हो तो उसके तन बदन में आग लग जाये गी | यह इस तरह की बात करके मुझे न तो खुद का अपमान करना है और न ही किसी का पर क्या आप को पता है कि इस देश में कुत्ते क्यों बढ़ रहे है और शेर घट रहे है ? मुझे ऐसा लगता है | शेर शारीरिक  रूप से हमेशा से मनुष्य से शक्तिशाली रहा है और उसने जब पाया मनुष्य को आने भोजन के लिए मार डाला या फिर जब भी उसने मनुष्य को अपने क्षेत्र में आतिक्रमण करते पाया तो मार डाला और उसकी इस दुस्साहसी कृत्य के लिए मनुष्य ने उसे आने सांस्कृतिक प्रगति के उपकरणों से मरना शुरू कर दिया | इसका दूसरा पक्ष ज्यादा महत्त्व पूर्ण है कि शेर ने कभी मनुष्य के आगे खुकना स्वीकार ही नही किया और इसी इए अपने को सर्वश्रष्ठ समझने वाले मनुष्य ने ना सिर्फ शेर को मारा बल्कि उसकी खाल के कपडे , आसन बना कर उसको नीचा दिखाया और यही कारन है कि शेर धीरे धीरे खत्म हो गये पर कुत्ता नही खत्म हुआ बल्कि दिनोदिन उसकी संख्या बढती ही गई ऐसा क्यों हुआ ????? क्योकि कुत्ता मनुष्य के साथ उस समय से है जब वह नंगा घूम रहा था और वह मनुष्य की नंगे से भली भांति परिचित हो गया \ उसने यह भी जान लिया कि मनुष्य को जी हजुरी ही ज्यादा पसंद है और बस उसने आदमी को देख कर पूछ हिलाना , उसकी गोद और पैर में लोटना , उसके शरीर को चाटना शुरू कर दिया | आदमी के लिए भोकना , पाने को स्वामी भक्त दिखाने के लिए अपनी जान की बजी लगाना , रात बहर जागकर घर की रक्षा करना शुरू कर दिया और मानव को ऐसा चापलूस पसंद आ गया और उसने इस जानवर को मरने के बजाये पाने पास रखना शुरू आर दिए क्योकि शेर के लिए मांस चाहिए पर कुत्ते को तो कुछ भी उल्टा सीधा , जूठा दे दो , वह पूछ हिलाते हुए खा लेगा ऊपर से घर के बाहर बैठा रहेगा | कुत्ते के इसी किसी तरह भी जी लेने के प्रयास और मनुष्य की चापलूसी ने उसकी जनसँख्या बढ़ने में सहायता की अपर मनुष्य भेड़िया कुल के इस जानवर की असलियत जानता है और इसका जंगलीपन भी जानता है पर वह मनुष्य को दिखता कुछ और है | उसके इसी दोगले पण के कारन जब किसी मनुष्य को कोई कुत्ता कह देता है तो वह बिदक उठता है | पर मानव ने उसके इस कृत्य के लिए उसकी जनसँख्या बढ़ने में मदद की और देखते देखते हर गली मोहल्ले में कुत्तो की संख्या बढ़ गई और शेर घटते चले गये | शायद आप समझ गये होंगे की आज कल समाज में कुत्ते क्यों ज्यादा दिखाई दे रहे है और शेर दिखाई ही नही देते ......खैर आइये हम कुछ शेर जैसे नेता को इस देश में खोजे कही वह भी समाप्त  ना हो जाये  और कुत्तो का बढ़ना वैसे भी अब रोक पाना आसन नही है हा या तो उनो गोली मर दी जाये या फिर कांजी हाउस भेज दिया जाये या फिर नागालैंड भेज दिया जाये जहाँ के लोगो का प्रिय भोजन भो कुत्ता है ////पर कुत्तो से देश को निजात दिलाना जरुरी है .............क्या आपको नही लगता ......................डॉ आलोक चान्टिया

vikassssssssssss???????????

विकास का भारत ???????????????
सड़क के किनारे ,
भारत माँ चिथड़ो में लिपटी ,
इक्कीसवीं सदीं में ,
जा रहे देश को ,
दे रही चुनौती ,
खाने को न रोटी ,
पहनने को न धोती ,
है तो उसके हाथ में ,
कटोरा वहीं ,
जिसके आलोक में ,
झलकती है प्रगति की ,
पोथी सभी ,
किन्तु हर वर्ष होता है ,
ब्योरो का विकास ,
हमने इतनो को बांटी रोटी ,
और कितनो को आवास ,
लेकिन आज भी है उसे ,
अपने कटोरे से ही आस ,
जो शाम को जुटाएगा ,
एक सूखी रोटी और ,
तन को चिथड़ी धोती ,
पर लाल किले से आएगी ,
यही एक आवाज़ ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं विकास ,
हमने इस वर्ष किया ,
चाहुमुखीं  विकास ............................ देश में फैली गरीबी के बीच न जने कितने कटोरे से ही अपना जीवन चला रहे है जब कि देश के नेता विकास का ढिंढोरा पीट रहे है .क्या आप को ऐसा भारत नही दिखाई दिया ...डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 15 June 2012

ragghu ka bharat ya...................

रग्घू और  विजय माल्या ...........
हम सभी भारतीय अपने जीवन से इतना डरे हुए है की मुंशी प्रेम चन्द्र की तरह प्रख्यात कहानीकार होकर न तो गुमनामी में मरना चाहते है और न ही मंगल पांडे और नाथू राम गोडसे की तरह फंसी पर देश के लए लटकना चाहते है | वो तो भला हो नामुराद फेस  बुक का जिस पर हम एक जवान लडको से छिनी गई छड़ी के बाद बुद्बुद्द्ते हुए एक बुजुर्ग की तरह जो चाहे अनाप सनाप कहते है खैर इस का फायेदा यह है की हम सब तनाव मुक्त हो जाते है और दिल को ये सुकून मिलता है की चलो साले ?????????????? को जो सुनना था सुना लिया भले ही इतनी म्हणत से लिखने के बाद उस पर २ लोग कम्मेंट करने को तैयार न हो | हा यह बात अलग है कि लाइक करने वाले थोड़े बहुत मिल जातेहै वो शायद बिना चश्मे के काम करते है क्योकि मैंने लिखा कि आज मेरे चाचा कि मृत्यु हो गई तो उसको भी लाइक करने से नही चुके खैर हो सकता है कि मौत के लिए भी बहुत इंतज़ार कर रहे हो और उनको किसी की मौत सुन कर अच्छा लगता हो | और ऐसे ही ह्रदय गति का सामान्य रखने के लिया आपको फर उस भारत दर्शन के लिए लिए चलता हूँ जहा हाथ धो कर हम नेता हो गाली देते है और पैसे वालो को कोसते है पर अब मई जो आपको दिखाने ( सुनाने नही ) जा रहा हूँ वह शायद आपको यह बताये की आप भी नेता और पैसे वालो से कुछ पीछे नही है |
रग्घू और विजय माल्या दोनों में कोई फर्क नही है क्योकि रग्घू अपना रिक्शा चलता है और विजय माल्या अपना विमान चलाते है | रग्घू सरकार की सड़क का टैक्स चूका कर उस पर रिक्शा चलाता है और विजय माल्या हवाई पट्टी के उपयोग के लिए सरकार को किराया चुकाते है \ रग्घू सड़क पर खली खड़ा रहेगा पर अगर मन नही है तो वह सवारी नही ढोयेगा और विमान में सफ़र करना भी आपकी मर्जी का सौदा न होकर विमान का मामला है | तो फिर रघ्हू और विजय माल्या में फर्क क्या है | रघु तो चुके से भी नंगी लड़की की तस्वीर देखने में गह्ब्रता है और विजय माल्या तो अपने यह से हर साल नए वर्ष का कैलेंडर जरी करने के लिए नंगी लडकियों का फोटो सेशन करवाते है | फिर भी रग्घू को एक पोलिस वाला डंडा मार के चला जाता है और विजय माल्या के लिए पोलिस वाला रक्षा में खड़ा रहता है | रग्घू कर्ज में डूब कर आत्म हत्या कर लेता है और विजय माल्या के कर्ज में डूबने पर सरकार पैसा का पैकजे देती है | आइये थोडा और गहरे से फर्क देखा जाये | रग्घू के रिक्शे पर लोग सफ़र करते है और अगर उसने आज की सड़ी गर्मी में पसीने से नहाने के बाद एक किलोमीटर का २० रूपया मांग लिया तो आवाज़ आती है कि आबे साले तेरा ?? दिमाग तो नही ख़राब हो  गया !!!! साले एक पड़ेगा सारी बतीसी बहार आ जाएगी पर विजय माल्या जब चाहे जितना चाहे किराया वसूल सकते है और आप हसते हँसते देते है और तो और कभी कभी दिल्ली का किराया २००० तो कभी ६००० ले लिया जाता है अपर आप कभी नही कहते कि  तुमको  दो हाथ पड़ेगा | इसके अलवा रिक्शे पर भले ही जगह न हो पर ८० -८ किओल के तीन आदमी बैठ जायेंगे ऊपर से फ्संघे  के रूप में बच्चे फ्री पर विजय माल्या के विमान में पैदा होने वाले बच्चे का भी पूरा किराया देने में आपकी छाती नही फटती | आपके दिए पैसे से रग्घू को रात के अँधेरे में दिभिरी की रौशनी और दो सुखी रोटी और उसके बाद रिक्शे पर ही सो जाना नसीब होता है पर विजय को आपके पैसे से हर सुख मिल जाता है | आखिर आप रग्घू का सुख यो नही देना चाहते ???? क्या नही उसके मांगे पैसे को देना चाहते ????? क्यों उसके ६० किओल के वजन पर २०० किओल का भर दाल कर खिचवाते है ?????? क्या रग्घू आपके लिए बहरत का सम्म्मानित नागरिक है ?????/ क्या आपको को वो पानी ही तरह लगता है ???/ फिट उसकी यह दुर्दशा क्यों ?????????????? क्योकि आप भी नेताओ की तरह पैसे वालो को ही इज्जत देते है | आपको पैसे वालो से बोलने की हिम्मत नही है और और अपने को खुद विजय से छोटा महसूस  करते है | क्या आपके देश के नेता यही नही कर रहे और इसी लिए आपको कुछ भी गलत होता दिखाई ही नही दे रहा और देश के करोडो रग्घू दिन रात गरीबी , आपके शोषण का शिकार बन रह है अपर आपको दर्द इस लिए नही हो रहा है क्योकि उनके पास आप जितना पैसा नही है और जिनके लिए आपके मन में दर्द है उनके बराबर आपके पास पैसा नही है | तो क्या हम सभी इस देश में बस पैसे के आधार पर मानवता और समानता का ढोंग नही कर रहे है अगर ऐसा नही है तो आज के बाद क्या रग्घू के रिक्शे पर बैठते समय आपको धयान रहेगा उसके पसीने का ????????? उसके मांगे गए पारिश्रमिक का ???? घर पहुच कर आप उसे एक्गिलास पानी देंगे ????? क्या आपको उसकी दो हड्डी याद रहेगी जो सिर्ग एक या दो लोगो को खीच सकती है ???? हो सकता है आप मेरी बार पर अकस्मात् कह बैठे साला सिर्फ छौक रहा है  भले ही खुद रग्घू को पाए तो खा ले या फिर फेस बू पर ऐसे भोकने  वालो की कमी नही है | पर फिर भी एक प्रशन तो रह ही जायेगा क्या आप खुद इस देश के लोगो के लिए संवेदन शील है ??????? क्या आप भी नेताओ की तरह ही देश के लोगो का शोषण तो रही कर रहे है और उसको रोकने के लिए आपके मन में गंगा की धारा कब फूटेगी ??????? क्या रग्घू और विजय मलय को एक सामान रूप से हम देख पाएंगे औए एक भारत का सपना पूरा होगा ???एक अधूरी सोच आपके सामने मंथन के लिए .....रग्घू आओ थोड देर हवा खा लो ....लो पानी पी लो .....यार चले जाना .तुम भी तो आदमी ही हो .........आइये अपने दिल को टटोले

Thursday, 14 June 2012

rashtrpati ya stamp pad

राष्ट्रपति और स्टाम्प पैड की खोज
मै भारत हूँ .........आप चौकिये नही क्योकि मै भारत इस लिए हूँ क्योकि मै अपना विभाजन द्देखता हूँ , देश से ज्यादा वोट की राजनीती के कारण जनसँख्या को वहा पंहुचा रहा हूँ  जहा हर प्रगति के बाद भी गरीबी का जाल इसको हमेशा जकड़े रहेगा | सभी भारतीय भाई बहन कहकर हर दिन बलात्कार , लडकियों को अगवा करवाना हमारी शान बनती जा रही है | देश में समरसता से ज्यादा इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि प्रतिशत के आधार पर अनुसूचित जाति , जनजाति और  पिछड़ी जाति कि जनसँख्या को आरक्षण के नाम पर साम्प्रदायिकता और विषमता की उस आग में झोक देना है कि भारत के लोग कभी इन झगडे  से ऊपर उठ ही न पाए  और ऐसे ही देश में राष्ट्रपति एक ऐसा नाम है जिसने आज तक जनमानस पर न तो कोई छाप छोड़ी है और न ही देश के लोगो में इस नाम को लेकर कोई उत्साह है | यह पद ठीक शादी के उस गौर गणेश की तरह है जिसको गोबर से बना कर सिर्फ रख दिया जाता है \ इसके  लिए न तो कोई  परेशान होता है और न ही कोई प्रयास करता दिखाई देता है | राष्ट्रपति पद का उपयोग अगर यह देश सबसे ज्यादा कर पाया है तो वह है देश के कुख्यात अपराधियों को फांसी से बचाने के लिए , जिसमे संविधान के अनुच्छेद ७२ में क्षमा याचना की जाती है | आपको शायद ही पता हो की वर्तमान राष्ट्रपति ने अभी ३० अपराधियो को प्राण क्षमादान किया है और सालो  वादियो  और न्यालायाय की म्हणत के बाद देश के प्रथम व्यक्ति ने उन्हें क्षमा कर दिया और इस लिए देश इस पद पर ऐसे व्यक्ति  को बैठाना चाहता है जो अतंकवादियो , राष्ट्र के हितो के दुश्मन को क्षम प्रदान कर सके और उनके मानवाधिकारों की रक्षा कर सके | क्या देश ने राष्ट्रपति को सामान्य जनता के लिए इतना मजबूत क्षमादान करने का अधिकार दिया है ???????????????  क्या आपको लगता है कि क्षमादान  के प्रयोग के प्रकाश में राष्ट्रपति का पद रबर स्टाम्प कहा जाना चाहिए ????????? हा जहा पर नेताओ के अधिकारों का मामला है वहा राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है क्योकि नेता को इस देश के पसंद ही नही है कि वह कानून बनाये  और उस पर कोई आपत्ति करे और इसी लिए राष्ट्रपति को भी उसने यह अधिकार नही दिया है कि उसके द्वारा संसद में बनाये गए किसी कानून पर राष्ट्रपति ज्यादा नुक्ता चीनी कर सके | ऐसे तानाशाह नेताओ के लिए राष्ट्रपति रबर स्टाम्प ही है | काश आना हजारे इस बात पर विचार कर पाते कि इस देश में राष्ट्रपति की बात जब नेता नही सुन पाते तो उनके भर्ष्टाचार की बात को यह के नेता कैसे पचा पाएंगे और इसी लिए अन्ना विरोध का सामना कर रहे है | खैर  राष्ट्रपति की लाचारी के पीछे कारण अब आपको पता है | इस देश में युवाओ को कभी मौका नही मिला और अगर आप देखे तो युवा वही लोग राजनीती में है जो राजनितिक परिवार से सम्बंधित है | यानि इस देश में प्रजातान्त्रिक रूप से युवा को कभी मौका नही मिलता हा राजशाही परम्परा के अवशेष में यवा को राजनीती में देखा जा सकता है पर आज तक किसी राजनितिक परिवार  ने अपने  घर के किसी युवा को राष्ट्रपति बनाना  चाहा हो यानि उनकी नजर में राष्ट्रपति बनना एक व्यर्थ का कार्य है | अगर ऐसा नही है तो क्या इस देश में आज  तक ३५ वर्ष का कोई युवा राष्ट्रपति बना जबकि राष्ट्रपति बनने की न्यूनतम आयु ३५ वर्ष है | क्या आओ कोई ४० , ४५, या ५० वर्ष का राष्ट्रपति होना पता है | यानीस देश में उर्जावान व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाना निषेध है और हर बार क्यों नेता अपने बीच में ही से राष्ट्रपति ढूंढते है क्यों नही देश की जनता से कोई राष्ट्रपति बनता है ???? हमारा सदेश टी एन शेषण को राष्ट्र पति  बनाना नही चाहता है क्यों की चुनाव सुधार के स्वप्न में उनका चहेरा सामने आता है और  अगर वह राष्ट्रपति हो गए तो देश के लोग राष्ट्रपति का भी मतलब जान जायेंगे | कलम जी एक बार राष्ट्रपति बने पर दोबारा क्यों नही बन सकते क्योकि उनकी सोच वैज्ञानिक है और देश को विद्ध्योत्मा का कालिदास चाहिए जो वही करे जो मंत्री  , प्रधान मंत्री कहे और नेता को तो अब ये भी अखर रहा है कि प्रणव के रहते राहुल का प्रधानमंत्री बनान कठिन है इस लिए उनके राजनितिक जीवन को राष्ट्रपति बना कर खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है | मनमोहन सिंह का नाम भीसी लिए उछाला जा रहा है कि अब तुमहरा भी राजनीती जीवन समाप्त है | भारत में राष्ट्रपति राजनितिक सन्यास कि अवस्था है जब एक व्यक्ति की सक्रिय राजनीती को समाप्त कर दिया जाता है और इसी लिए राष्ट्रपति न तो मुलायम सिंह बनान चाहते है और ना ही मायावती | कितना आजीब लगता है कि एक अरब ३० करोड़ की जनसँख्या वाले देश में एक भारतीय को ढूँढना मुश्किल लग रहा है जो इस देश का प्रथम व्यक्ति बन सके | मैं एक यक्ष प्रशन देश के नेताओ से पूछना चाहता हूँ की मैं राष्ट्र पति क्यों नही बन सकता और आप मेरे नाम का समर्थन क्यों  नही करना चाहते  ?? क्यों नही नेता एक युवा को राष्ट्रपति बनाना चाहते ??? क्या क्षमा दान के अलवा राष्ट्र को बनाने के लिए एक राष्ट्रपति का कोई उयोग नही किया जा सकता ??????????? और अगर है और आपको मेरे नाम से नफरत है तो कम कम से वैज्ञानिक सोच वाले कलम साहेब को ही मौका  दे दीजिये , कभी तो देश के लिए भी जी लीजिये और इस बार तो मौका है राष्ट्रपति चुनने का ...............की अआप नेताओ में नैतिक सहस बचा है ??????????????? डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 13 June 2012

yaad kro kurbani

मेरी आवाज अब कुछ दूर जाती नही है ,
क्या मेरे देश को मेरी याद आती नही है ,
बंद सलाखों में उम्र भर जिन्दगी तेरे लिए ,
माँ के आँचल की खुशबु सांसे पाती नही है .......................................आज भी पाकिस्तान में बंद देश के जवानों क मेरा शत शत नमन .कितने बेबस है हम की सरकार उनके लिए कुछ नही कर रहीजिनका कसूर सिर्फ इस देश से प्रेम था .................देश की इसी अनदेखी ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया .........अखिल भारतीय अधिकार संगठन .......सुप्रभात

andhkar hamara swabhav hai

अंतस के तमस में ही दिल चल पाता है ,
गर्भ के अंधकार से जन्म कोई पाता है
नींद भी आती स्वप्न भी आते रातो में ,
कालिमा से निकल सूर्य पूरब में आता है ............................
अंधकार हमारा स्वाभाव है और प्रकाश हमारा प्रयास ....कोई भी दीपक अँधेरा नही फैलाता पर  दीपक के बुझते  ही  अँधेरा खुद फ़ैल जाता है ..अणि हमको अच्छे समाज से लिए निर्माण  करना है क्यों की गलत समाज तो हमेशा से ही है .......................शुभ रात्रि अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday, 12 June 2012

bhula bisra


आज रात में होलिका ( महिला जो हिरन्य कश्यप की बहन थी ) जलाई जाएगी और कल
आप होली खेलेंगे,मै अखिल भारतए अधिकार संगठन आप सब को बधाई प्रेषित करता
हूँ पर आगे लिखी बातो को पढ़ कर सोचिये कि हम किध र जा रहे है ...पढेंगे न
इस भारत की सूरत .... , कितनी ख़ुशी की बात हम सब के लिए होगी कि जिस देश
में जिन्दा लड़की जला दी जाती है और हमारे ऊपर कोइफ्रक नही पड़ता , उसी
देश में एक महिला के होलिका कहकर जलने का तोय्हार काफी धूम धाम से मनाया
जाता है . शय हमारे मूल्य हमें प्रेरित करते है कि होलिका के प्रतीक के
रूप में हम सब हर बर्ष इस देश हजारो लडकिया दहेज़ के नाम पर जिन्दा जला
कर अपने पूर्वजो को सन्देश भेजे कि ऍम उनके कोई संस्कार नही भूले , पहले
विधवा कह कर मरे पीटीआई के साथ चिता पर जलने के लिए मजबूर करते थे पर
लोगो को लगा कि यह क्या पति के मरने के बाद पत्नी के जलने पर उसे (पति )
को क्या फायेदा मिलता है , इस लिए हम भारतीयों ने थोडा सा तबदीली कर ली
और जिन्दा पति के सामने ही पत्नी को जलने लगे टेक पति को फिर दूसरी पत्नी
, दहेज़ मिल सके ....यही तो वो मूल्य है जिस पर हम जगद गुरु कहलाते थे और
हमारे मूल्य सर्वश्रेष्ठ थे पर बात यही खत्म नही होती क्यों कि कल हमारे
देश में भी विश्व के अनेको देशो की तरह विश्व महिला दिवस मनाया जायेगा
....एक तरफ होलिका (महिला ) जल रही होगी और दूसरी तरफ हम महिला के लिए
गान  गा रहे होंगे ...मै एक ऐसी महिला को जनता हूँ जिसकी सधिध्खे से एक
कोढ़ी से हो गई ...जब बारात दरवाजे पर आई तो लड़की के घर वालो को पता चल
गया कि लड़का वो नही है जिस से शादी तय हुई थी ...लड़की की विधवा माँ
बेहोश हो गई ...हाहा कर मच गया पर लड़की ने कहा कि अगर मेरे दरवाजे पर गलत
बारात आ भी गई है तो मै उसी से शादी करुँगी जो दरजे पर आया है , मै अपने
घर की बदनामी नही  देख सकती और उनको ने शादी कर ली ....पूरा जीवन नरक बना
कर उन्हों ने पाने कोढ़ी पति की सेवा की ...लखेरा पति केलिए पढाई की
नौकरी कर के टीचर बनी और मुझे याद है की अपने उस नाकारा पति के मरने पर
वो कितना रोई थी ...यह करनी है लखनऊ के बहुत बड़े डॉक्टर के लड़के की
...डॉक्टर साहब के नाम रोड है अपर उन्हों ने एक लड़की का जीवन पाने पुत्र
के लिए बर्बाद कर दिए पर उस महिला ने कभी अपने पतीके लिए कुछ नही कहा
...क्या भारत का कोई पुरुशितना त्याग करके एक कोढ़ी लड़की से शादी कर सकता
है ....सिर्फ इतना सुन कर कि लड़की का शादी के पहले किसी के साथ उठना
बैठना था ...पुरुष शादी से इंकार  कर देता है ...आप एक बार टी वि पर टाटा
स्काई का विज्ञापन देख लीजिये , अविवा का विघ्यापन देख लीजिये ..आप जान
जायंगे कि महिला को लेकर पुरुष का मानशिक स्तर क्या है ...अब आप को बताता
हूँ कि आज उस विधवा कि उम्र ८३ साल है और उसके गर्भ से एक सुंदर लड़के ने
जन्म  लिया अपर बाद में उसे भी कोढ़ हो  गया , मै अक्सर उनके पास जाता हूँ
तो उनकी बूढी आँखे मुझे देखकर कहती है कि जरा मेरा हाथ देखकर बताओ कि अभी
मै कितने साल और जिन्दा रहूंगी ...मै पूछता हूँ कि आप चल्तक नही पाती तो
अब क्यों जिन्दा रहना चाहती है ??????????????????????????? वो हस्ती है
और अपना ऐनक सही करके कहती है ...तुम तो जानते हो कि मेरा लड़का है और वह
भी कुछ नही कर सकता अपर मुझे पेंशन मिल रही है तो उसका जीवन तो चल रहा है
अगर मै मर गई तो मेरा बेटा मर जायेगा भूखो ...उसको खाना कौन देगा
??????उसके तो कोई पास भी नही आएगा .....अकसर मै उनकी बात सुनकर रो देता
हूँ क्यों कि उनके पुत्र कि उम्र ५० साल है और एक औरत ८० साल से ऊपर होकर
भी अपने लिए नही अपने पुत्र के लिए जीना चाहती है ...क्या कोई पुरुष इतना
नैतिक सहस रखता है और वही पुरुष एक औरत को जला देता है ....कैसा है ये
देश झा सुदर महिलाओ को पेस्ट करना और उसे लिखे करना ही लोग सोसिअल
नेट्वोर्किंग साईट का उद्देश्य समझते है और गंभीर मुद्दों के लिए उनके
पास समय ही नही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! कल महिला दिवस है और होलिका
के जलने का दिवस भी अपर अखिल भारतीय  अधिकार संगठन आपके सामने यही यक्ष
प्रश्न रख रहा है कि औअर्ट के लिए हमारा विमर्श कब बदलेगा
??????????????वो कब कब पुरुष के बराबर की मनुष्य समझी जाएगी जबकि मेरी
ऊपर की सच्ची कहानी से स्पष्ट है कि महिला का मुकाबला आसन नही है पर आपके
पास तो ऐसे उदहारण ज्यादा होंगे जिसमे लड़की ने प्रेम में धोखा दिया होगा,
वैश्यावृति  , कॉल गर्ल , में सलंग होगी अपर प्रश्न फिर वही है कि माहि
यह सब बनी किस के लिए ???????????????????????????????????? महिला को शत
शत नमन जिसने होलिका के रूप में जल कर भी समाज को ख़ुशी मानाने का मौका
दिया ...आईये हम भी तोधा अपने को तपा कर किसी महिला को हँसाने  कोइ कोशिश
करे ...क्या आप करेंगे ऐसा ???????????????????????????????/अखिल भारतीय
अधिकार संगठन आप सभी को होली की शुभ कामना प्रेषित करता है और कामना करते
है कि जलती होलिका(महिला ) को देख कर हम महिला दिवस के सही मर्म को
समझेंगे ताकि हमारी ख़ुशी के लिए फिर पूरे वर्ष कोई महिला  न जले
//////////// डॉ आलोक चान्टिया

jindgi na milegi dobara

कितनी सुबह कितनी बार आएगी ,
और तुमको  सोते से जगा पायेगी ,
पश्चिम को कोसना छोड़ दे आलोक ,
जिन्दगी आदमी फिर बन न पाएगी ...................... हम जो भी कर रहे है उसमे रोज यह सोचिये कि खाना , कपडा , प्रजनन , और आवास कि व्यवस्था ( जानवर भी करते है ) के अलावा दूसरो के लिए हम कितना जी पा रहे है ( जानवर दूसरो के लिए नही जीते है और अपने सामने शेर को शिकार करता देखते है पर खुद को बचाने में लगे रहते है ) यही अधिकारों कि रक्षा का मूल मन्त्र है ....सुप्रभात , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

aalok milta nhi .................

करोडो तारे मिलकर सूरज नही बन पाते है ,
हर रात में सुबह के ही तस्सवुर आते है ,
तुम भी बन कर देखो तारो से इतर जीवन ,
ये मौके बार बार आलोक मिल नही पाते है | ...............................शुभ रात्रि या हम मानव होने का पूरा मतलब समझ रहे है ??????????? खाना तो चीटी भी कल की चिंता में बटोरती है | अपना घोसला तो चिडिया भी बनाती है | अपने बच्चो की रक्षा और उन्हें पैतरेबाजी तो हर जानवर सिखाता है | फिर हम मानव क्यों है ???????????? थोडा यही सोचते हुए सोइए आज ......अखिल भारतीय अधिकार संगठन

unwanted

when you see ,
number of embryos ,
are lying in the garbage ,
or in the drain ,
what reaction comes
in your prudent brain ,
are these human beings,
or unwanted efforts
which could not take shape ,
it is a cruel hands of culture ,
which makes man as victim,
and not free to live as he wants
or it is an unwanted chase ,
in the womb as phrase ,
which was trying to come out ,
like a beautiful sprout ,
to make another  chapter of life
to know the meaning of labour ,
but culture acts as scrabble,
and sex remains between you ,
and empty womb ,
it makes us other than animals,
who are living with nature ,
and welcome to every creature ,
but we are manager ,
away from the almighty ,
and to lead a cozy a life,
we try to erase every anxiety ,
but what we get from unwanted ,
it is nothing but haunted ,
with our amusement mounted ,
we are not happy with disasters,
so try to become masters ,
and cut the life inside ,
and always try to hide ,
a breath , a life from the world ,
and one day it is heard ,
an unwanted embryo is lying
in the street or in drain ,
ultimately it is lifted by crane ,
we always fight for our rights
but is it right ?
we don't like ay problem ,
and made culture as emblem ,
but we hate from helpless,
who has trust on you ,
and will come out after days few,
should it not shouts for right,
right to life and beautiful night,
how do you know its fate ,
it may be a saint ,
it may be leader who eradicate ,
hunger , violence intricate ,
right to birth should be ,
and right to birth could be ,
if you welcome unwanted ,
all types of rights granted ,
right to faith should come ,
we should live like one ,
and unwanted should be in mind,
when you try to find ,
a moment for fun ,
when breathes run ,
just think about the result,
when you try to melt,
this approach will save someone ,
and will give right to birth to everyone ,
unwanted is not unwanted ,
it is a lesson of humanity ,
which you have forgotten ,
and your behavior get rotten
unwanted is making us savage ,
while we sing civilization phase ,
so don't make  life of cage ,
because unwanted may be a sage 

Monday, 11 June 2012

RIGHT TO SPERM ( FATHER )

पिता एक ऐसा शब्द जिसके साथ रहने पर शेर के बच्चे सुरक्षित रहते है , भालू के बच्चे दुसरे नर भालू से बेखौफ  होकर खेलते है | न तो शेरनी को यह चिंता रहती है कि उसके बच्चो का क्या होगा जब तक दूसरा बलशाली शेर आकर नर पिता को परास्त न कर दे और न ही मादा भालू को भोजन ढूंढ़ते  समय बच्चो के मार दिए जाने का भय रहता है क्यों कि नर पिता बच्चो के पास है | मई यह भी जनता हूँ कि जब मादा पैन्गुइन अंडे देती है तो बर्फ से जमे प्रदेश में उस बहार आये अंडे को गर्मी उस अंडे का जैविक पिता ही देता है और एक दो दिन नही पूरे ३ महीने , तब खी जाकर बच्चा बहार दुनिया में कदम रख पाता है  यानि अगर हम बच्चे के जन्म और पालन का सारा श्रेय माँ को ही दे दे तो यह एक तरफ़ा फैसला होगा और हम पीर सही ढंग से पिता के दायित्व को रख नही पाएंगे | यह बात और है कि अन्य सभी जीव जन्तुओ में जैविक परिवार की भूमिका ही होती है और उसके बाद माता पिता से अलग बच्चा आना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र होता है जैसी कुछ परछाई हमें पश्चिम सभ्यता में देखने को मिलता है | लेकिन मानव की बात आते ही एक शब्द जो सबसे ज्यादा उसके जीवन को १०००० साल से प्रबह्वित करता रहा है , वो है संस्कृति - जिसके सहारे मानव ने न सिर्फ अपने को प्रकृति से सुरक्षित किया बल्कि आज पूरी दुनिया का रावन( एक राजा जिसने सभी कुछ अपने कब्जे में करने की कोशिश जीवन पर्यंत की ) ज्यादा बन बैठा है | और इसी संस्कृत का परिणाम यह रहा की अन्य जन्तुओ में पाए जाने वाले जैविक परिवार और नर पिता की भूमिका को सांस्कृतिक परिवार और सांस्कृतिक पिता की भूमिका बढ़ाने का  मिला और इसी लिए मानव ने विवाह , परिवार , नातेदारी को स्थापित किया जो आज भी जारी है | मानव संस्कृति में जिस मानव समूह को सबसे नीचे स्तर पर रखा गया वह है जनजाति ( एक ऐसा समूह जो अभी आधुनिकता सेदूर, प्रकृति के सहारे , और अपनी विशिष्ट संस्कृति के कारण अलग है और भारत में इनको सर्कार द्वारा आरक्षण देकर संरक्षित किया जा रहा है )| भारत  में आज इनकी संख्या ७०० के आस पास है और इनमे भी इत का महत्त्व देखा जा सकता है | मध्य प्रदेश के देवास और मंसूर जिलो में रहने वाली बछेड़ जनजाति में पहली बड़ी लड़की को वैश्यावृति ही करनी पड़ती है और वह खेलवाड़ी कहलाती  है पर अगर वह गर्भवती हो जाती है तो जनजाति के ही किसी पुरुष को उसका प्रतीकात्मक पिता घोषित कर दिया जाता है और वह ही उस बच्चे का पिता मान लिया जाता है | यही नही उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाली जौनसार बावर जनजाति में बहुपति विबाह है और जब लड़की पाने मइके  में आती है तो धयन्ती कहलाती है और उस समय वह किसी के साथ यौन सम्बन्ध बना सकती है और ऐसी स्थिति में अगर बच्चा ठहर गया तो विवाहित व्यक्ति ही उसका पिता कहलाता है | इस जनजाति में एक तीर धनुष सेरेमनी होती है और जो व्यक्ति गर्भवती स्त्री को महुआ सी टहनी से बना तीर धनुष दे देता है वही उस बच्चे का जैविक पिता कहलाता है और जब तक कोई दूसरा इस सेरेमनी को नही करता तब तक उस स्त्री से पैदा होने वाले बच्चे उसी पहले व्यक्ति के मने जायेंगे जो यह बताता है कि पिता का होने जनजाति में कितना जरुरी है | यह एक गंभीर मुद्दा है कि ७०० से ज्यादा जनजाति भारत में होते हुए भी ना तो कोई बच्चा अवैध कहलाता है और ना ही अनाथालय है | यानि जनजाति पिता कि भूमिका को लेकर ज्यादा संवेदन शील है पर इससे उलट आधुनिकता की दौड़ में शहरों में रहने वाले यौन संबंधो में आगे निअलते दिखाई देते है पर पिता के रूप में आने ज्यादा तर कतराते दिखाई दे रहे है और इस लिए सड़क के किनारे भ्रूणों की बहरी संख्या नालो में पड़ी खाई पड़ने लगी है |और अगर देर हो गई तो औरत के पास यही विकल्प है की बच्चा पैदा करके सड़क और झाड़ी में फ़ेक दे और उस के कारण अनाथालय में बच्चो की संख्या बढती ही जा रही है पर इन सब में यह बात तो साफ़ है की समाज में यौन संबंधो में तो खुलापन आ गया पर बच्चे के पिता की भूमिका को समाज नही नकार सका है और ना ही सम्बन्ध बनाने वाले लड़का लड़की इस से अपने को बचा पाए है और पिता के निर्धारण की शुन्यता ने गर्भपात और अनाथालय को संस्कृति के एक नए पायेदान के रूप में स्थापित किया है जो पिता के स्थान और महता को अभी दर्शाता  है | हिंदी में एक कहावत है बाढे पूत पिता के धर्मा..................यां पिता के कृत्य ही बच्चे के भाग्य का निर्धारण करते है | उद्दालक और श्वेतकेतु ( इन्ही के प्रयास से विवाह के बाद औरत पति के घर स्थाई रूप से रहने लगी वरना इस से पहले सिर्फ बच्चा पैदा करने के लिए किसी उरुष के पास भेजी जाती थी और बच्चा पिअदा करके वापस चली जाती थी |) का प्रकरण हो | या पिता के आदेश पर परशुराम द्वारा पानी माँ के ऊँगली काटने का प्रकरण हो |या फिर भगवन राम के द्वारा पिता की आज्ञा से वन गमन हो | पिता की भूमिका हर जगह दिखाई देती है | भले ही न्याय और कानून ने पिताके नाम के साथ माँ के नाम को भी मानयता दे दी हो पर कोई भी सबसे पहला प्रश्न यही पूछता है कि तुम किसके लड़के या लड़की हो या फिर तुम्हारे  पिता का नाम  क्या है ? अभी भी भारत में पिता कि ही जाती उपनाम लगता है | आज कल स्पर्म बैंक खुल गए है पर आप अपने स्पर्म दान कर सकते है , बेच सकते है लेकिन आप यह नही जान सकते कि आपका स्पर्म किस महिला से बच्चा पैदा करने में उपयोग किया गया है ?? इसका भी सीधा मतलब यही है कि पिता को लेकर विवाद ना हो और बच्चा उसकी का माना जाये जिस पुरुष के साथ उस महिला का विवाह हुआ यानि किसी ना किसी रूप में हम भी पिता के महत्व को समझते हुए जनजाति का ही फ़ॉर्मूला अपना रहेहै | माँ से ज्यादा उचा स्थान पिता को दिया गया है | चाहे वह हिमालय के रूप में हो या फिर आकाश के रूप में | और ऐसे में फादर डे मानना मेरे लिए ऐसे ही है जैसे किसी पेड़ पर लटका वो कच्चा फल जो बिना पेड़ के वो रस और परिपक्वता नही पा सकता जो उसे मिलने चाहिए वैसे तो लोग और तरीको से भी पका लेते है | पिता के लिए यही कहा जा सकता है बच्चे का सर्जन करने के लिए एक बार में सिर्फ एक अंडा सामने आता है यानि हर अंडा माँ बनने का गुण समाहित किये है पर एक अंडे से निषेचन के लिए एक बार में करीब  २ करोड़ शुक्राणु बाहर आते है और उसमे से किसी एक में पिता बनने का गुण होता है और जो अंडे के साथ मिल कर बच्चे का सर्जन करता है  और इसी लिए पिता करोडो में एक
वह पुरुष है जिसने अनुवांशिक रूप से भी और सांस्कृतिक रूप से भी अपनी महता सिद्ध की है तो ऐसे इत को क्या ना हम सब शत शत नमन करे ...............आप दीर्घायु हो पिता जी .....................डॉ आलोक चान्टिया  , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

roshni ki talash

कितना हैरान मिला खुद में आदमी ,
न जाने क्या तलाशता मिला आदमी ,
एक टुकड़ा रौशनी ढूंढता जिन्दगी में ,
अँधेरे से गुजरता रहा आलोक आदमी .. ,,,,,,,,,,,,,जि.....................न्दिगी.......................ऐसा क्यों हुआ कि आदमी अपने ही जीवन को टुकड़ा करके खुद में खो रहा है ......वह यह जान ही नही पा कि वह जानवर नही आदमी बना था पर वह हर बात पर कहता है कि कि हमारे साथ थोड़ी न ऐसा हो रहा ....................जब सब सह रहे है तो मै क्यों बोलू ?????????? क्या आपके मन में ऐसा कभी आया तो बदलिए अपने को .........अपने अधिकार के लिए जियिए...........अखिल भारतीय अधिकार संगठन

kutta aur aadmi

आदमी को आदमी की तलाश है ,,
हर तरफ झूठ फरेब का कयास है ,
घरो में रखने लगे है कुत्ते अब लोग ,
दरवाजे पर एक भूखा खड़ा हताश है ................... क्या हम बदलने लगे है ? क्या आदमी को आदमी से ज्यादा भरोसा जानवर आर हो गया है ? तो फिर मानव क सर्वोत्तम कौन और क्यों कहेगा ....आइये सोने से पहले थोडा सोचे..........अखिल भारतीय अधिकार संगठन

NUDITY AND SOCIETY

हम सब नग्न ही पैदा होते है और सभी जीव जंतु पूरे जीवन  ही नग्न रहते है पर मानव ने सस्कृति बना कर एक ऐसा विकल्प टायर किया जिससे कालांतर में हमारा ऐसा मनोवैज्ञानिक विकास किया कि कपडा उतरना सबसे बड़ा अपराध बोध सा हो गया | पर कपडा उतरने के पीछे क्या दर्शन काम कर रहा है उसको भी ध्यान में रख कर ही पोर्न मुद्दे पर एक सार्थक बात रखी जा सकती है | सबसे पहले तो यह बात समझना होगा कि कपडा संस्कृति के एक ऐसे वाहक के रूप में स्थापित हुआ इसने यह सन्देश में सफलता पाई कि मानव के जीवन में नग्नता , प्रजनन , आदि का महत्त्व तो है पर सिर्फ यही एक काम मानव का शेष हो , ऐसा नही है क्योकि संस्क्रती के अनुरूप आने को सामाजिक बनाये रखने और एक जैविक मानव से ज्यादा सांस्कृतिक मानव के रूप में खुद ओ स्थापित करने के लिए यह जरुरी था कि मानव , जानवरों के क्रिया कलापों से इतर एक ऐसी व्यवस्था का पोषक बने जिस से उसमे और जानवर में सीधा अंतर किया जा सके  और इसी कड़ी में मानव का कपडा पहनना एक विशेष सांस्कृतिक क्रिया है और इस अर्थ में किसी का भी स्राव्जनिक स्थान पर कपडा उतरना और नग्न प्रदर्शन करना एक अपसंस्कृति का कार्य माना जाना चाहिए | अगर यह एक अप्संस्क्रिरी पूर्ण कार्य इसी को नही लगता तो सड़क पर यौन सम्बन्ध बनाना , प्रजनन करना आदि को भी गलत नही माना जाना चाहिए अपर इन सब से यह बा उभर कर जरुर आती है कि फिर नग्न घूम रहे जानवर और खुले रूप से सम्भोग कर रहे जानवर से हम अपने को अलग कैसे करेंगे ? हो सकता है कि लियों यह कह दे कि यह मेरे व्यक्तिगत जीवन का प्रश्न है पर वह व्यक्तिगत कैसे हो सकती है जब वह अपने शरीर का प्रदर्शन एक समाज में कर रही है जहा का अधिकांश व्यक्ति ऐसी क्रिया पसंद नही कर रहा है | इसका सीधा  एक ही जवाब है कि मानव तो नंगे भालू और बंदर का नाच देखता है तो क्या वह भालू बंदर हो जायेगा ? और रही यह बात कि क्यों और क्या प्रबह्व पड़ेगा तो मुझे पियाजे का नैतिकता का सिद्धांत याद आ रहा है जिसने खा कि ५ वर्ष तक के बच्चे को जो भी दिखया या सिखाया जाता है वह आने पूरे जीवन न तो भूलता है और न ही छोड़ता है और यही कारण है कि जब आज का बच्चा पैदा हने के बाद से ही नग्नता देखेगा और उसी के कैलेंडर देखेगा तो आने वाले समय में उसे नग्नता में कोई बुरे ही नही दिखाई देगी और बच्चा पूरी तरह एक पुशु समाज का हिस्सा बनता चल जायेगा | ऐसा नही कि यह सब कोई काल्पनिक बात हो क्योकि आज कल जिस तरह बच्चो में सेक्स के पार्टी रूचि बढ़ी है और जिस तरह से शिचिता में कमी आई है \ बिना विवाह के गर्भपात  के केस बढे है उस से तो यही सिद्ध होता है बच्चो में नग्नता का प्रभाव पड़ रहा है और मूल्य घट रहे है | किसी के भी घर में बच्चा जन्म के बाद से ५ वर्ष तक जो रिश्ते समझ लेता है वही रिश्ते वह पूरी सिद्दत से निभाता है और उस उम्र के बाद बने रिश्ते में वह गहराई नही रहती है | लियों क्या यह बता पायेगी कि जिस माँ ने एक बच्चे को अपने वक्ष से लगा कर दूध पिलाया होता है वही माँ एक समय बाद अपने बच्चे से भी अपना  वक्ष ढक लेती है  क्या वह नही कह सकती इ मई तो इसकी माँ हूँ और मैंने तो इसको जन्म दिया है , दूध पलय है तो इससे क्या श्रम और वह अपने बच्चे के सामने ऐसे ही कड़ी हो जाये पर ऐसा नही है क्योकि माँ जानती है कि संस्कृति सिर्फ जैविक प्रकृति को एक आअकर देने का कृत्य भर है और यह एक ऐसा संघर्ध है जिसमे जैविक इच्छा और सांस्कृतिक इच्छा के बीच एक द्वन्द चलता रहता है और इस द्वन्द में वही जीतता है जिसको मूल्य की सही शिक्षा दी गई है | पर माँ के इस दर्शन को लियों को समझना मुश्किल होगा क्योकि आर्थिकी की दुनिया में पशुता वाले कृत्यों के लिए पैसा मिलने का  जो प्रक्रम चला वह भी संस्कृति का एक प्रकार कह कर परोसा जाने लगा और मानव को एक ऐसे झंझावाद की तरह ले जाया गया जहा वह अपने को आधुनिक और समय के अनुसार चले वाला कहलाने के लिए वह सब करने को आगे आने लगा जो संस्कृति बनाने से पहले था | अब यक्ष प्रश्न यही कि अगर मानव को नग्नता में आधुनिकता दिखाई देती है या फिर यह एक व्यक्तिगर कार्य लगता है तो आग से ५ लाख साल पहले नंगा खड़ा जंगल में रहने वाला आदमी तो काफी आधुनिक कहा जाना चाहिए और आज से ४००० हजार वर्ष उर्व उसके द्वारा कपडे पहनने की घटना एक पिच्छ्देपन की बात कहलाई जानी चाहिए \ संसद में लूको नंगा बथना चाहिए | नग्नता कितनी ख़राब है यह इसी से पता चल जाती है कि किसी बड़े अभिनेता ने कभी अपने लड़की को फिल्म में लेन कि कोशिश नही की और अगर उसने इसी फिम अभिनित्री से शादी की तो उसे फिल्म में काम नही करने दिया | अब आप ही सोच ले की नग्नता दिखने वाले खुद इस तरह के काम को कितना ख़राब समझते है और किता इससे परहेज़ करते है | जहा तक बात मीडिया की है तो मीडिया एक आर्थिक कार्य ज्यादा है और इसी लिए उसने संचार के नम्म पर कुछ भी छापना स्वीकार कर लिया इसके कारण जो बाते कभी समाज के लिए गोपनीय हुआ करती थी वह बड़ी आसानी से जनता तक उपलब्द्ध हो गई | बुक स्टाल पर कोई ऐसी किताबो  को हाथ नही लगाता था जिस पर किसी नग्न महिला की तस्वीर बनी हो क्योकि उससे समाज में उसका चरित्र गिर सकता था पर आज तो घरो में खुलेआम समाचार पात्र में एक पन्ना ऐसे नग्न तस्वीरो को समेटे आता है और पूरा घर उसको अपने नजरो से होकर गुजारता है तो मीडिया में कही न कही समझ को ज्यादा नग्न होने और नग्नता को सोचने के लिए प्रेरित किया है पर बात यही आकर अटक जाती है कि शराब , सिगरेट सब तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है पर क्या वह बंद कर दिए गए बल्कि इनकी खपत ही दिनों दिन बढ़ी है और जिनको नही पीना है वो आज भी नही पी रहे है भले कितने विज्ञपन दिखाए जा रहे हो यानि सब कुछ आप पर निर्भर करता है कि आप क्या चाहते है पर फिर भी आँखे जो देखती है और बचपन जो देख लेता है उसे न भूल पाता है और न ही पूरे जीवन उस से उबार पाता है | इस लिए पोर्न स्टार को सोचना चाहिए कि उनका नग्न होना आधुनिकता से ज्यादा पशुता और जंगलीपन है जिससे मानव हजरों वर्षो के प्रयास के बाद निजात पाया था |    डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन