Monday, 28 September 2015

माँ के नाम पर राजनीति

माँ पर भी राजनीति!!!!!!!!!!!!!!
देश का प्रधान मंत्री अपनी माँ की बार करते करते अमेरिका के एक कार्यक्रम में रोने लगते है और उनको अपनी माँ के वो कठिन समय याद आते है जब उन्होंने अपने ६ बच्चों को पाला पोसा लेकिन भारत की एक अवशेष पार्टी के शेष लोगो ने उसको भी राजनीति का मुद्दा बना दिया | पर इस में उनका कोई दोष भी नहीं है जिस पार्टी ने भारत माँ के दर्द को ना समझा हो और अपने सुख के लिए उसे १९४७ में दो भागो में बाँट दिया हो उस पार्टी के लोगो को तो इस देश में रहने वालो करोडो माँ एक कीड़े मकोड़े से ज्यादा क्या लगती होंगी | हो सकता है आपको ये बात अतिश्योक्ति लगे पर मुस्लिम धर्म के पैगम्बर मोह्हमद साहेब के अनुसार अगर जन्नत कही है तो वो माँ के कदमो में है और जो जन्नत से दूर होगा उसके आँखों में आंसू तो आएंगे ही वो बात और है कि जीवन को नरक बनाने वालो को ये बात नहीं समझ में आएगी | मेरी ऐसे बुद्धिजीवियों से अनुरोध है कि आप हिटलर की आत्मकथा मिनकाफ निम्फ पढ़ डालिये आपको पता चल जायेगा की दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करने वाला हिटलर माँ के लिए कितना तडफता था | क्या वो भी नाटक था पर आप तो हिटलर भी नहीं है क्योकि आप ने नता जी सुभास चन्द्र बोस तक के जीवन को बर्बाद कर डाला क्योकि वो सही अर्थो में माँ को आजाद करना चाहते थे | एक बात और जोर शोर से कही गयी कि अगर देश के प्रधानमंत्री को अपनी माँ की इतनी चिंता और दर्द है तो क्यों नहीं वो उनको अपने पास रखते है ? ये सब उनका नाटक है | ऐसे लोगो को संस्कृति का तनिक भी भान नहीं है उनके लिए लड़की का  मतलब सिर्फ एक गोश्त है इसी लिए इस देश में लड़की का सम्मान नहीं हो पा रहा है | ये सच है कि लड़की की शादी होने पर विदा करने पर हर घर में आंसू गिरते है पर जब वो लड़की किसी को अपने पति के रूप में वरण करती है तो वो सिर्फ शारीरिक मिलान तक सिमित नहीं रह जाती है बल्कि वो आत्मा से उस मिलान को स्वीकार करती है | हो सकता आज के सन्दर्भ में ये बात गलत लगे पर आज से ४० -५० साल पहले की शादियों में लड़की एक बार जिसके साथ बांध गयी तो बांध गयी अगर वो विधवा भी हो गयी तो उस घर द्योढ़ी को नहीं छोड़ना चाहती जिस पर वो ब्याह कर लायी गयी थी | आज भी कितनी माए अपने बच्चो के साथ दूसरे शहर में जाकर रहना स्वीकार नहीं करती क्योकि वो अपने पति के साथ या उनकी यादो के साथ जिन चाहती है और चाहती है कि जब उनकी जान निकले तो वो घर उनके पति का हो | संस्कृति की इसी मिसाल के कारण इस देश के प्रधान मंत्री की माँ हो या फिर किसी भारतीय की बूढी माँ वो अपने घर की चुखात नहीं छोड़ना चाहती और इसी लिए नरेन्द्र जी की माँ भी उनके साथ नहीं रहती |मुझे देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकर डायल शर्मा जी उत्तर प्रदश केश्रावस्ती का दौरा याद है जब उन्होंने कहा था कि ये सच है कि आज गौतम बुद्ध नहीं है पर हवा आज भी वही है जिसने उनको स्पर्श किया था और मैं आज भी उनको महसूस कर रहा हूँ | उनकी इसी बात को इस देश के वो माँ भी मानती है जो किसी की पत्नी भी है वो अपने पति की मृत्यु के बाद भी उनको उन हवाओं में महसूस करती है पर इस दिव्यता को अनुभव करना इतना आसान नहीं है | अगर आपको पता हो तो देश के प्रसिद्द वैज्ञानिक माशेलकर की माँ भी लोगोके घर बर्तन और कपडे सी कर उनको पालती थी | एक माँ अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुजरती है फिर चाहे वो बच्चा एक जानवर का हो या आदमी का | क्या हम सब को माँ के नाम पर राजनीति करनी चाहिए | पर आप ने तो कभी इस देश को माँ नहीं समझा तो एक हाड मांस की माँ का नाम लेकर अगर देश का प्रधान मंत्री रोता दिखाई दे तो आपको सिर्फ ये सब एक ढोंग या मजाक लगेगा | कहिर आपका दोष भी नहीं है गोस्वामी तुलसी दास कह भी गयी ........जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तेहि तैसी ...कभी तो हाड मांस से ऊपर माँ को सिर्फ माँ रहने दीजिये फिर वो चाहे आपकी हो या प्रधानमंत्री की | माँ कहने का सम्मान पाने  के बाद भी इनके शासन में गंगा मैली हो गयी इस लिए इतनी मैली राजनीति !!!!!!!!!!!!! आइये थोड़ी शर्म इनको दे दे ताकि माँ का सम्मान जिन्दा रहे राजनीति से इतर.....डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 20 August 2015

लड़की का अपहरण एक नासमझ कोशिश

४० प्रतिशत लड़कियों का अपहरण शादी के लिए होता है !!!!!!!!!!!!!
ये बात राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो कह रहा है | पता नह उन लड़की के माँ बाप कहा रह गए जो वर्षो से अपनी बेटी की शादी के लिए पैर रगड़ रहे है और ना जाने क्यों उनको शादी नहीं हो पा रही है और जो करना नही चाहती उनका अपहरण करके हो रही है | कही ये आंकड़े हो जनजाति या कतरा भील के तो नहीं है जहा पर अपहरण विवाह ही होता है | पिछले साल ७७००० हज़ार लड़कियों का अपहरण इस देश में हुआ ( क्या मजाल जो देश के कानून और सुरक्षा पर आप कोई संदेह भी करें अब हर जगह तो पुलिस नहीं रह सकती ना )और उनमे से ३१००० लड़कियों का अपहरण शादी के लिए हुआ ( अरे भैये इतना शादी के लिए परेशान क्यों हो जरा उन पतियों से पूछो तो वर्षो से तलाक के लिए लड़ रहे है ) जरा उनसे पूछो जो समझ ही नहीं पा रहे की भगवन ने किस जन्म का बदल लिया है जो ऐसी पत्नी दी और एक आप है कि अपहरण करके पत्नी ला रहे है वैसे आप इनको पत्नी ही बना कर रख रहे है या फिर ???????????? माफ़ कीजियेगा मेरी इतनी माजल कहा जो आपके चरित्र पर ऊँगली उठाऊं पर १८ -०८-२०१५ के टाइम्स ऑफ़ इंडियन में सम्पादिकीय में एक लेख आया कि अब माता पिता को लड़की के कौमार्य पर बात नहीं करनी चाहिए शादी के पहले वो कुछ भी करें माता पिता कोपुराने विचार त्यागने होंगे अब आप ही बताइये क्या इस विचार के बाद भी इस देश में लड़की के अपहरण की जरूरत है ???? बसंती का अपहरण करोगे फिर वीरू आएगा और गब्बर मारा जायेगा | इससे क्या फायदा !!!!!!!!!! आप तो इस देश में लड़की की केवल इज्जत करों बाकि देश का कानून सब देख रहा है उसे भी देश के लोगो का ख्याल है | इसी लिए लड़की केलिए उम्र सीमा १६ की जा रही है | लड़की किसी के साथ बिना शादीके रह सकती है | अब सरकार आपके लिए इतना कुछ कर रही है और आप लड़की के अपहरण में लगे है | भाई  लड़की भी इस देश की ही है उसको भी जीने  का हक़ है तो जियो और जीने दो बाकि तो सारे सुख कानून देने को बेचैन है ही |अब आगे से फर्जी में कानून हाथ में लेकर लड़की का अपहरण ना करियेगा | ऐसा करेंगे ना ( क्यों नहीं करेंगे भंडारा का प्रसाद हर कोई हाथ फैला कर लेना चाहता है ) व्यंग्य को समझ कर पढ़िए आलोक चान्टिया

Wednesday, 19 August 2015

नागिन पंचमी भी तो मनाइये

नागिन पंचमी नहीं मानते हम !!!!!!!!!
दुनिया में सारा खून खराबा तो पुरुषो ( नर ) ने ही किया है वो तो फर्जी हम सब नागिन को ओढ़ देते है कि वो ज्यादा जहरीली होती है ( वैसे नारी के लिए भी भतृहरि ने भी यही कहा है ) अब फर्जी तक्षक ने कुरु के वंशज परीक्षित को काट कर मार क्या डाला कि परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सरे सांपो को मारने का ठेका  ही ले डाला | वो तो भला हो भृह्मा के पुत्र कश्यप की चौथी पत्नी ( औरत ) का जो नागलोक की राजकुमारी थी और कश्यप से उनके एक नाग पुत्र आस्तिक ( अब ये ना पूछियेगा की क्या आदमी और नागिन के सम्बन्ध से कोई बच्चा पैदा हो सकता है कि नही बस  आस्था मान कर अनुवांशिकी का मजा लीये ) और आस्तिक ने जनमेजय को समझाया कि क्यों नागो को बर्बाद कर रहे हो और बस उनके ज्ञान से खुश होकर सांपो को मारने का यज्ञ रोक दिया गया और सिर्फ सांपो का राजा तक्षक बचा गया ( अब ये भी ना पूछियेगा कि बिना नागिन के तक्षक ने फिर इतने साप कैसे पैदा किये और सांपो कि २००० प्रजातियां कहा से आई ) और सांपो के जान की रक्षा आज पंचमी के ही दिन हुई थी इस लिए तब से नाग पंचमी मनाई जाने लगी अब बात रही की क्यों नहीं नागिन पंचमी मनाई जाती है तो मैंने पहले ही कह दिया की सिर्फ तक्षक बचे थे और जब कोई नागिन बची ही नहीं तो भला हम क्यों मनाये नागिन पंचमी ( वैसे दुनिया में नागिन का रूप फिर मिला किसको अब मेरी तो हिम्मत नहीं की मैं कह सकूँ आखिर कौन नागिन के सामने पड़े और उनकी आँखों में बसे पता नहीं कब कहा बदला ले ले मेरे पास तो जनमेजय भी नहीं जो बदला ले सके )  क्या आपको भी लगता है कि आपके पास कोई नागिन जिन्दा है तो पंचमी उसके साथ मनाइये और गाना गाइये तन डोले मेरा मन डोले मेरा ......दिल का गया करार .अब ये ना पूछियेगा कि मैं किसके लिए कह रहा हूँ ? आप सभी को नागिन पंचमी की शुभकामना ( व्यंग्य को समझ कर पढ़े ) आलोक चान्टिया

Monday, 17 August 2015

मोदी जी मुस्लमान है

मोदी जी मुसलमान है !!!!!!!!!!!!!!!!
अब जब इस देश में कोई मानने को तैयार ही नहीं कि हम सब सिर्फ भारतीय है तो ये बहस तो होनी ही चाहिए ना कि मोदी जी हिन्दू है कि मुसलमान और लीजिये कीजिये बहस कि मोदी जी मुसलमान नहीं है | अब आप कहेंगे कि उन्होंने टोपी नहीं पहनी तो हिन्दू हुए ना और रोजा इफ्तार में नहीं गए तो बिलकुल ही हिन्दू सिद्ध हो गए पर शेख मस्जिद में जाकर तो सिद्ध हो गया ना कि मोदी जी मुसलमान है | वैसे आप को क्या लगता है कि मोदी जी हिन्दू ज्यादा है बिलकुल नहीं क्योकि मोदी और मंदिर में ही सिर्फ म अक्षर आता है और मुस्लिम , मस्जिद , मोदी सब में म ज्यादा आता है तो हुए ना मोदी जी मुसलमान तो कब शुरू कर रहे है देश में इस पर बहस कि मोदी जी नाम में म है और मुस्लिम , मस्जिद में भी म है तो मोदी जी को मुसलमान माना जाये न कि हिन्दू क्योकि हिन्दू ह से शुरू होता है और बस मंदिर में म आता है ( अगर हम सब ऐसी बातें नहीं करेंगे तो दुनिया जानेगी कैसी कि हम जगत गुरु क्यों कहलाये और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र जिन्दा कैसे है ?) अब आप ही बताईये लोक तंत्र में जिधर वोट ज्यादा वही विजयी तो म जिधर ज्यादा वही बात सच तो हुए ना मोदी जी मुसलमान!!!!!!!!!!!!!!!!!देखिये चुकियेगा नहीं ऐसी बहस कराने में आखिर मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री थोड़ी है वो तो एक धर्म जाती के है और आप बिलकुल उनको भारतीय बनकर रहने ना दीजियेगा वरना देश में सबका साथ सबका विकास हो जायेगा और आप ऐसा होने ना दीजियेगा आखिर २०१९ में आपको चुनाव लड़ना है ई नहीं तो कुछ तो मसाला होना चाहिए ना !!!!! तो शुरू कीजिये म पर बहस ( पता नहीं कब हम सब देश के लिए सोचेंगे ) ( इस व्यंग्य को समझिए और सोचिये ) आलोक चान्टिया , अखिल भरित्ये अधिकार संगठन

Sunday, 16 August 2015

एक अरब इधर भी ........एक अरब उधर भी

एक अरब इधर भी और एक अरब उधर भी
अब क्या बताऊँ मोदी जी तो पिछले १५ महीने से एक अरब से ज्यादा लोगो के लिए जी रहे है तो आज उनके अरब जाने पर इतना शोर क्यों हो रहा है ? रही बात उनके शेख जायद मस्जिद पर जाने की तो बिलकुल सही है भला मोदी जी क्यों गए वहा की मस्जिद में ? क्या यहाँ की मस्जिद में वो राम को आजाद कर पाये !!! कही उन्हें ये तो याद नहीं कि कण कण में भगवान है | पर लोग तो यह भी चिल्ला रहे है कि उन्होंने टोपी क्यों नहीं पहनी ???? क्यों पहने टोपी जब उनको टोपी पहनाना ही पसंद नहीं | मोदी जी आप भारतीय नहीं है ये तो सिद्ध हो गया ना कि आप हिन्दू या मुसलमान है ये बहस चल रही है | और ये बहस हो भी क्यों न हो क्योकि हम सब कभी भारतीय बन ही नहीं पाये | और आप बने भी क्यों क्योकि आप बगरंगी भाईजान तो इस लिए देखने गए क्योकि वो ४०० करोड़ के क्लब में शामिल हो सके आपके ना कान है ना आँख ( ब्रह्म के कहा होता है ये सब ) जिसमे ओम पुरी मस्जिद के बाहर पाक पुलिस से कहते है कि मस्जिद में टला नही लगाया जाता है ये तो अल्लाह का घर है जो हर समय खुला रहना चाहिए अब खुले घर में अगर मोदी जी घुस गए तो कौन सा पाप हो गया आखिर वो गुरु द्वारा भी तो गए थे और तभी उनको गुरु नानक जी से समझ में आ गया कि काबा तो हर तरफ है और जब काबा हर तरफ है तो क्या उससे बच के निकलना आसान है है क्या ?? पर आपने तो तय कर लिए है कि  मोदी जी को हिन्दू ही सिद्ध करना है पर भैया कानून खुद ये कहता है कि भारत में जो मुस्लिम सिख , ईसाई नहीं है वो हिन्दू है तो इसके लिए इतनी हाय तौबा क्यों | ये तो शुक्र है कि हमने हवा किसकी है इस पर लड़ना नहीं शुरू किया वरना हर सेकंड पर ये बहस होती कि अब हिन्दू कौन है और मुस्लिम कौन है ? पर आप सब चालाक है इस लिए पानी और हवा के लिए नहीं लड़ेंगे !!!!! वैसे मस्जिद के अंदर जाने से क्या अल्लाह मिलेगा ???या भगवान ( कितने चालाक  है आप अपने देश में हिंदी में अमरुद को अंग्रेजी में ग्वावा कह कर अपना लेते है पर अल्लाह को भगवान कह कर अपने में !!!!!!!!!!!!!!!) मोदी जी आप खूब घूमिये मस्जिद में क्योकि आप ही तो जानते है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तेहि तैसी..............( व्यंग्य को समझ कर पढ़े ) आलोक चान्टिया

Saturday, 15 August 2015

स्वतंत्रता .दिवस का मतलब पता है

स्वतंत्रता दिवस .......या स्व ...........तंत्रता दिवस
वैसे तो अगर आप १५ -०८-१९४७ को जोड़े तो कुल जोड़ आएगा ०८ और फिर १५-०८-२०१५ को जोड़े तो आएगा ०४ अब क्या कुछ कहने को बचा है ६९ साल में देश ०८ से ०४ यानि आधा रहा गया अब ये ना पूछियेगा की ये किसने किया क्योकि प्रजातंत्र में ये पूछना यानि खुद मान लेने की राजतन्त्र है |खैर मैं तो ये जानना चाहता था कि आज स्वतंत्रता दिवस है या फिर स्व ...........तंत्र है लीजिये ये आपको नहीं समझ में आ रहा है अरे देश में गुलामी अभी खत्म तो हुई नहीं अगर अंग्रेजी न बोलो तो पढ़े लिखे नहीं कहलाते अब आप ही बताइये क्या आप अपने हस्ताक्षर हिंदी में करते है !!!!!!!!!!! बस बात  साफ़ हो गयी ना | तो क्या हम सब स्व .....तंत्र  में रह रहे है लीजिये अब इसको भी बताओ ???????////दूध में पानी मिलाने का पूरा तंत्र है , मिठाई में मिलावट का पूरा तंत्र है | कोयले में दलाली का अपना तंत्र है | नौकरी दिलाने का अपना तंत्र है | बेईमान का अपना तंत्र है | खून बेचने वालो का अपना तंत्र है | अंग बेचने वाले , नर्सिंग होम चलने वाले , लड़की बेचने वाले , झूठे केस में फ़साने का अपना तंत्र है | नेता बनना हो या फिर चार चोरो से शाह का प्रमाण पत्र लेना हो सभी का तो तंत्र विकसित है तो हुआ न स्व ........तंत्र और अगर आप ने कही गलती से कहा कि देश में भ्रष्टाचार है तो लीजिये आप सिद्ध हो गए पागल .....ये भ्रष्टाचार थोड़े ही ना है ये तो है स्व .............तंत्र ....अब आप बताइये कि स्वतंत्रता दिवस आपने मनाया या आपने किसी स्व .......तंत्र का आनंद लिया और काट ली जिंदगी इस सोने की चिड़ियाँ में ......अब आप कहेंगे इसी लिए इक़बाल साहब कह गए सारे जहाँ से अच्छा ..............वैसे स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जायेगा इस देश में !!!!!!!!!!!! क्या देश से सीमा पार जाने का भी स्व ...तंत्र है !!! इसी लिए तो स्वतंत्रता दिवस के दिन कोई अपने घर में कुछ नहीं मनाता क्योकि ये कोई जनता के मानाने की चीज है ये तो स्कूल और सरकारी दफ्तरों का काम है क्योकि इस देश की जनता जानती है स्व .................तंत्र का मतलब !!!!!!!!!!! तो क्यों करें अपना समय बर्बाद वैसे क्या आप झंडे के नीचे खड़े हुए !!!!!!!!!!! क्यों खड़े हो खड़े तो वो होते है जिनको दिखावा करने की आदत है और जिसके मन में तिरंगा बसा है वो दिखाए क्यों .जाकी रही भावना जैसी ................ ओह हो इसी लिए आज आपने इस दिन को छूटी समझ कर बिताया वह क्या स्व ............तंत्र है आपका !!!!!!!!!!!!!!! आप सभी को स्वत्नत्रता दिवस की बधाई ( व्यंग्य को ध्यान से पढ़े ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन , आलोक चान्टिया

Tuesday, 11 August 2015

नरेंद्र मोदी क्यों सच बोले !!!!!!!!!!

नरेंद्र मोदी बिलकुल गलत बोलते है !!!!!!
अब जो दिल्ली की गद्दी पर नहीं बैठ पाता तो वो तो हरिश्चंद्र है क्योकि अगर उसका झूठ ना पकड़ा जाता तो वो फिर दिल्ली की गद्दी पर फिर ना बैठ जाता और इसी लिए अब नरेंद्र मोदी सबसे  बड़े झूठ्ठे है और बाकि सब सबसे बड़े सच्चे !!! आँख न नचइये ये मैं नहीं कह रहा हूँ ये तो नीतीश कुमार जी कह रहे है कि बी जे पी का मतलब बड़का झूठ्ठा पार्टी | ये लीजिये मैं भी झूठ बोलने लगा अब करूँ भी क्या जब एक झूठ्ठा के साथ काम करूँगा तो जबान तो फिसलेगी ही !!! वो हुआ ये कि हमारे नरेंद्र भाई ने बिहार में जाकर कह दिया कि आर जे डी का मतलब रोज रोज जंगलराज का डर.....बस फिर क्या था लीजिये नहले पे दहला और नितीश जी ने कह डाला की बी जे पी का मतलब बड़का झूठ्ठा पार्टी !!!!!!!! बिलकुल सही कहा नितीश ने और मैं क्या न समर्थन  करूँ ( अब सच का साथ देने की हिमायत तो है नहीं वरना इस देश में भरष्टाचार ही क्यों फैलता ) बिलकुल सही कहा बड़का झूठ्ठा पार्टी ही है बताइये ये कोई बात है कि कह दिया रोज रोज जंगल राज का डर !!!!!!!!! अब भला लल्लू के रहते कोई जंगल राज रह सकता है चारा तक खा डाला और क्या लालू को जंगल का मतलब पता नहीं !! अगर जंगल राज होता तो देश में जंगल ३३ प्रतिशत के बजाये १९ प्रतिशत क्यों बचते बताइये ना !!!!!! हो गयी ना बोलती बंद और अगर जंगल राज होता तो देश में अच्छी बारिश होती अच्छी फसल होती अब इन लोगो ने जंगल अगर रहने दिया होता तो देश उन्नति करता | न जाने कितने अनमोल जीव जंतु जंगल खत्म होने से समाप्त हो गए | इतना पर्यावरण असंतुलम हो गया है |भला लालू क्या जाने कि जंगल से कितने लाभ हो सकते थे वो कैसे मान ले कि नरेंद्र जी कोई सही बात कह रहे है और कम से कम वो इस मोड़ पर सच बोल रहे है तो नरेंद्र जी को मान लेना चाहिए आखिर देश, प्रकृति , पर्यावरण , जैव विविधता से लालू को क्या लेना देना वो तो गीता के ज्ञाता है जिनको पता है जीवन नश्वर है इस लिए जियो दिल भर के भले ही आने वाली पीढ़ियां कंगाल हो जाये | उन्हें बिहार से क्या मतलब कौन अपने साथ लाद कर ले जायेंगे और इस लिए मोदी जी को ऐसी गलत बात की आशा करनी ही नहीं चाहिए थी चलिए अपनी गलती सुधारिये और लालू से कहिये आर जे डी का मतलब है राष्ट्र जाये दंगलमे ( वैसे अगर आप चाहे तो डी को डी कंपनी भी कह सकते है आखिर देश की लिए ये डी कंपनी से कोई कम नहीं ) और बी जे पी का मतलब ...............भारतीय जनता .......................पार्टी ही है ( कुछ समय पहले मैंने इस पर व्यंग्य लिखा था ) अब आप बताइये कि मोदी जी ने झूठ बोला कि नहीं और ऐसे कर्तव्यहीन नेता को कहा ये बर्दाश्त और इसी लिए उन्हों कह डाला .........बड़का झूठ्ठा पार्टी ( व्यंग्य के भाव को समझ कर पढ़िए ) आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

संसद की संस्कृति

क्यों न करें हम संसद में दंगा !!!!!!!!!!!
देश के लोगो को देश के हित में सब सीडी छोड़ देनी चाहिए आखिर देश की संसद में होने वाला रोज का खर्च १४.५ करोड़ कहा से आएगा | अब तक करीब १७० कॉर्ड रुपये खर्च हो चुका है और काम कितना हुआ ?????? पर आप तो महाराणा प्रताप के देश में रहते है और आप अपनी काम वाली से पूछ सकती है कि जब आई ही नही तो पैसा कैसे और नौकरी वालो से कह सकते है कि जब जब काम ही नहीं किया वेतन किस बात का | पर क्या मजाल जो आप अपने नेताओ से पूछ ले कि जब संसद में काम ही नहीं किया तो किस बात का बाटता और किस लिए रोज करोडो कि बर्बादी | पर आप तो दया के सागर है और फिर सब्सिडी भी तो इसी लिए छोड़ रहे है क्योकि नेता मनुष्य ????????? की तरह संसद में लड़ सके | शायद आपको १९७३ की रेलवे हड़ताल याद नहीं जिसमे जिन लोगो ने हड़ताल की थी उनकी नौकरी का क्या हुआ वो आज तक लड़ रहे है | वैसे आप जानते है क्यों नेता लड़ते है इतना संसद में !!!!!!!!!!!!!!!!! बताइये बताइए .........अब अपने मुह मिया मिठ्ठू क्यों बनने लगे हा हा कह डालिये कि हमारे देश कि ज्यादातर जनता अशिक्षित है तो उसके प्रतिनिधि भी तो वैसे ही होंगे लेकिन मैंने तो सुना है कि पढ़े लिखे जाहिल ( बेवकूफ ) होते है अब ऐसा कह देंगे तो देश के जगत गुरु होने पर प्रश्न  चिन्ह लग जायेगा और आप देश के लिए कुछ नहीं सुन सकते भले जान चली जाये लेकिन नेता इतना संसद में लड़ते क्यों है ? कहते है कि तुमहरा नेता चोर है तो दूसरा कहता है कि तुम्हारा नेता चोर है पर इतना हाय तौबा क्यों हमने तो संविधान में मान ही लिया है कि अनुच्छेद १४ के अनुसार विधि के समक्ष सब समान है तो सब चोर है सिद्ध है तो क्यों झगड़ा हो रहा है ???अच्छा अच्छा जाति पाती वाले देश में  बढ़ा चोर और छोटा चोर बराबर कैसे हो सकते है आखिर इतनी म्हणत से बड़े चोर का दर्ज हासिल हुआ है तो कैसे छोड़ दे आखिर किसी चीज में तो जमींदारी बची रहे | लीजिये अब आप कहने लगे कि सब्जी महंगी हो गयी बैया १४ करोड़  रुपये रोज खर्च करवाओगे तो सब्जी तो महंगी होगी ही और बोलोगे इस लिए नहीं क्योकि संतोषम परम सुखम .......जियो और जीने दो सब तो आप जानते है और इसी लिए घर के भेदी लंका ढाह रहे है और कह रहे है कि हम सब संसद में लड़ेंगे मेरी मर्जी आखिर हम भारतीय संस्कृति के पोषक है तो कैसे पता चलेगा कि भसमासुर यही हुआ था ( जिसने खुद को मूर्खता में भस्म कर डाला था ) अब तो आप मान गए होंगे कि संसद ना चलने देना कितना सही है और आप सही के साथ हमेशा रहे है ( व्यंग्य समझ कर पढ़े ) आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 5 August 2015

हमको नंगापन देखने की आदत है

पोर्न साइट .........
सरकार ने अपने द्वारा ८५७ पोर्न साइट पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद होने वाले विरोध पर विचार करते हुए अपने प्रतिबन्ध को हटा लिया और कहा कि ये प्रतिबन्ध बच्चो पर लागू रहेगा | पर ये बच्चा है कौन ???????? बच्चे तो भगवन की मूरत होते है और भगवन से क्या छिपा है ?? पर आपको मेरी बात समझ में नहीं आएगी तो लीजिये पाश्चात्य सभ्यता की कहावत सुन लीजिये " बच्चे आदमी के बाप होते है " पर चाइल्ड राइट कमीशन की पहली धारा ही ये कहती है कि जिनकी आयु १८ वर्ष नहीं हुई है वो बच्चे है | उधर लव कमीशन कहता है कि सम्बन्ध बनाने के लिए सहमति की आयु १६ वर्ष लड़की की कर देनी चाहिए | अब जरा  सोच कर बताईये ( आखिर लड़की का मामला हो और .........) अगर एक १७ साल की लड़की पोर्न साइट देख रही है तो सरकार के अनुसार वो गलत कर रही है | पर सरकार के ही बनाये चाइल्ड राइट कमीशन के अनुसार वो अभी बच्ची है | पर सरकार के ही लॉ कमीशन के अनुसार वो ऐसा कर सकती है | अब जान तो लड़की की ही गयी | क्या लड़की को ही बलि का बकरा बनाने केलिए ये पोर्न साइट बंद की गयी या फिर लड़को के लिए भी कुछ है | वैसे मानिये न मानिये ये जादू है बड़ा मजेदार पहले पैदा हो तो बिना कपडे के और फिर आपको सभ्य  बनाया जाये और जब आपको अपने तन को ढकने का सऊर आ जाये तो सीखिये कैसे कपडे उतार कर पैसा बनाया जाये | यही जादू तो आपको परेशान करता है और आप देखने लगते है जादू और सरकार कहती है कि इसे बंद करो | क्या आप भी जादू में विश्वास नहीं रखते ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Tuesday, 4 August 2015

ऐसे सोचती है हमारी सरकार बूढ़ो केलिए

सभी को आवास ......बुजुर्गो के साथ मजाक
कितना अच्छा लगता है जब सरकार कहती है की वो सबको मकान देगी आवास देगी | आखिर आप जानते है कि आज तक सरकार ही झूठ ( शायद  ही किसी बात पर सच बोलती हो ) नहीं बोलती है | अब आपको यही लगेगा कि मेरे पास सिर्फ कमी ढूंढने के अलावा  कुछ भी नहीं है | पर आप जरा सोचिये इस देश का एक ७० साल का बुध आदमी जो प्राइवेट काम करता है | अपनी कमाई भर का कमाता है | वो एक विज्ञापन पढता है कि सरकार ने आवास विकास में १% भूखंड वृद्ध जन के लिए आरक्षित रखे है | वो ७५०० रुपये लगा कर अप्लाई करता है || उसको भूखंड के लिए नामित किया जाता है | पंजीकरण राशि पर तो उसको वृद्ध कह कर छूट दी जाती है पर जब आवंटन होता है तो उसको एक पत्र मिलता है कि आपको पांच लाख नगद जमा करने पड़ेंगे और बाकि १२.५% बयाज के साथ १४००० के साथ मासिक ४८ महीने तक जमा करना है | कहा से लाएगा इतना वो पैसा ???????? अब यह से शुरू होती है सरकार का दूसरा ड्रामा | आप लोन ले सकते है अपनी रकम को अदा करने के लिए | अब वृद्ध बहुत खुश होता है वो लोन लेने पहुचता है | उसकी उम्र पुछि जाती है | वृद्ध बताता है ७० साल !!!!!!!!!!!!!! तब तो आपको ऋण नहीं मिल सकता क्योकि लोन पाने की उम्र निकल चुकी है | उसके सामने अँधेरा छ जाता है | वही एक दलाल खड़ा होता है और बोलता है आप परेशान क्यों है आपको अलॉट है ही किसी को बेच दीजिये आपको अच्छा पैसा मिल जायेगा | क्या सरकार इसी लिए ७० साल के एक आदमी को भूखंड देती है ताकि वो ले ना सके और दलाल उससे कम दामो में खरीद सके ? क्या यही सार है वृद्ध के लिए इस देश में !!!!!!!!!!! क्या ऐसे ही वृद्ध लोगो को आवास मिलेगा ??? अब आप क्या कहेंगे कि मैं कमी निकलता  हूँ या फिर देश में भ्रष्टाचार को आपने भी कभी महसूस किया | कैसे सुनिश्चित करेगी सरकार वृद्धो केलिए आवास सोचिये और कुछ कहिये ..............( वैसे आपको दूसरे के फाटे में टांग आड़ना पसंद नहीं ) क्योकि आप शांति प्रिय लोग है और जियो और जीने दो पर विश्वास करते है | इस लिए क्यों बोले देश कौन अपने बाप का है ( व्यंग्य समझ कर समझे ) आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday, 24 May 2015

ऐसे होता है अपराध


All Indian Rights Organization Shares
Don't give PAN number for railway Tatkal booking as proof of ID
 .
The Railways display the PAN. name, sex and age of passengers on reservation charts pasted on railway compartments.

This is a boon for benami transactions. It is mandatory for traders like jewelers to collect tax (TDS) from customers on purchase of jewelry worth Rs 5 lakh & bullion worth Rs 2 lakh.

To accommodate high net worth customers, traders have a easy source of benami PAN numbers, name, sex and age from reserved railway compartments. A traveller recently noticed a chap copying PAN particulars along with name, age and sex pasted on reserved compartments, and when confronted with the help of railway police, he admitted that he gets Rs 10 per PAN particulars from jewellers. These persons are copying PAN information of senior citizens, women etc from sleeper class with the intention that passengers in sleeper class are not serious tax payers and generally salaried class..

In that case the department will first initiate action from the tax payer's side asking him to explain the sources of money for the above transaction done in his name and also to prove that he has not carried on the above transaction..

You may quote your driving licence #, Voter ID # etc as your ID Proof but definitey not your PAN.
Beware!!!!.
Spread this msg to all ur frndz and relatives.

Thursday, 21 May 2015

स्वस्थ हो तो मस्त हो

अखिल भारतीय अधिकार संगठन सदैव ही जागरूकता के माधयम से आपको आपके स्वस्थ्य के प्रति सजग करना चाहता है और इसी लिए ये जानना बहुत जरुरी है ...
हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद।
क्या कारण है |

हमने दाल खाई,
हमने सब्जी खाई,
हमने रोटी खाई,
हमने दही खाया
लस्सी पी ,
दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|,
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया
ये सब कुछ हमको उर्जा देता है
और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |
पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय"
उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"|
उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है
" epigastrium "|

ये एक थेली की तरह होता है
और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे
महत्वपूर्ण है
क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है।

ये बहुत छोटा सा स्थान हैं
इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है |
हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है|

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"।
|ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।

ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |
यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई|
▶ ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है | ◀

🔹अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया|

और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी|

🔹आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी|

🔸अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,

एक क्रिया है जिसको हम कहते हे "Digestion" और दूसरी है "fermentation"
फर्मेंटेशन का मतलब है सडना
और डायजेशन का मतलब हे पचना|

🔸आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा|

जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा|

🔸ये तभी होगा जब खाना पचेगा|🔸

यह सब हमें चाहिए|

ये तो हुई खाना पचने की बात
🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid )

कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है,
मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है

तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ
यूरिक एसिड कम करो|

और एक दूसरा उदाहरण खाना

जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे
LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )|

जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है (HIGH BP )

हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ?

तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ?

तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा खतरनाक एक विष हे
वो है VLDL
(Very Low Density lipoprotive)|

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।
अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

खाना सड़ने पर और जो जहर बनते है उसमे एक ओर विष है जिसको अंग्रेजी मे हम कहते है triglycerides|

जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका "triglycerides" बढ़ा हुआ हे तो समज लीजिए की आपके शरीर मे विष निर्माण हो रहा है |

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे,कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे, कोई LDL -VLDL के नाम से कहे समझ लीजिए की ये
विष हे और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता हे मेरा triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे डायग्नोसिस कर लीजिए आप ! की आपका खाना पच नहीं रहा है |

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|

खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त ,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि

और

खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल
,LDL-VLDL|

और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !

पेट मे बनने वाला यही जहर जब
ज्यादा बढ़कर खून मे आते है ! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है
*जिसे आप heart attack कहते हैं !

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है
कि जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए
और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है

🔹* महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |

आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे।

खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!

"भोजनान्ते विषं वारी"
---------------
🔸🔸 (मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर
है )🔸🔸

* इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये!*

अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??

बात ऐसी है !

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है !

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट
का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है !

(बुझती तो नहीं लेकिन बहुत
धीमी हो जाती है )

पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है !

तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं ।

तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!

जो बहुत मेहनती लोग है (खेत मे हल चलाने वाले ,रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले)

उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने
लगता है उनको घंटे बाद
पानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ????

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं
तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है !

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !

इसका जरूर पालन करे !

अधिक अधिक लोगो को बताएं
post share करे !!

बहुत बहुत धन्यवाद !

औरत पूर्ण है

अगर आप औरत का सही आंकलन करना चाहते है तो आपको एक महिला के अनुवांशिक गुणों को ध्यान में रखना होगा | पुरुष को अपने अनुवांशिक गुणों में भी महिला का साथ चाहिए यानि पुरुष बनने के लिए एक्स वाई गन सूत्र होना चाहिए ( एक्स महिला को और वाई पुरुष को दर्शता है ) पर महिला बनने के लिए दोनों एक्स एक्स ही चाहिए | यानि महिला को अनुवांशिक आधार पर भी पुरुष की सहभागिता नहीं चाहिए | और इसी लिए महिला पुरुष के बिना भी चल सकती है लेकिन पुरुष नही | अध्ययन ये बताते है कि विवाह के बाद विधुर पुरुष जल्दी मर जाते है जबकि महिला विधवा होकर भी लम्बी उम्र जीती है | लेकिन हम इस सच को मैंने को तैयार नहीं है और इसी लिए पुरुष एक ऐसा रास्ता अपना रहा है जिसे हिंसा या सामाजिक रूप में पुरुषत्व कह कर लीपा पोती होती रहती है | लेकिन सच यही है कि प्राकृतिक रूप से महिला पूर्ण है और पुरुष महला के तत्वों के सहारे एक अपूर्ण रचना | तो आइये हम मान ले एक बार की महिला को खुद को पैदा करने के लिए पुरुष की जरूरत ही नहीं है और इस बिंदु पर उसे अपने से श्रेष्ठ मान ले ( क्या हम ऐसा कर पाएंगे ????)

Wednesday, 20 May 2015

इसे कहते है महिला सशक्तिकरण

देश में भारतीय महिमा का २१ वीं सदी में सशक्तिकरण ...................
महिला पुरुष की गुलाम नहीं है |
वो अपनी इच्छा से शादी तोड़ सकती है ||
ज्यादातर महिला अभी भी या तो नौकरी में नहीं है तो उनको गुजारा भत्ता चाहिए |
जिन महिलाओ के पास नौकरी है पर बच्चे है तो बच्चे की जिम्मेदारी तो पुरुष की भी है और इस लिए बच्चो के लिए गुजारा भत्ता चाहिए |
वो इसकेलिए परिवार न्यायालय जा सकती है
परिवार न्यायलय में वकील का कोई स्थान नहीं है |
अगर न्यायाधीश उचित समझे तो वकील बतौर वाद मित्र हो सकता है जिसका खर्च सरकार देगी |
अब शुरू होता है महिला सशक्तिकरण का असली चेहरा |
पीड़ित महिला की बात को सुनने के लिए वकील ही चाहिए | जो २००० से ५००० तक शुरआती दौर में फीस लेगा |
पहली ही सुनवाई में न्यायाधीश नैसर्गिक नियमो को धायण में रखते हुए | ५००, या १००० या १४०० या २००० रुपये अंतरिम भत्ता बांध देंगे |
वकील अपनी हर पेशी पर आपसे पैसा लेता रहेगा |
केस चलेगा करीब ८ साल आया १० साल पर अंतरिम भत्ता तभी बढ़ेगा जब अंतिम बहस होगी\
इतनी छोटी को देकर पीटीआई को अघोषित रूप से सरकार की तरफ से वैधानिक आजादी  मिल जाती है |
महिला अपने बच्चो के जीने , पढ़ने , भविष्य के लिए कमर तोड़ती है |
आप सोच कर देखिये क्या आज के भारत में १४०० या २००० रुपये में पूरा महीना निकला जा सकता है |
पर सरकार की दृष्टि से महिला को न्याय तो मिला ना |
उसके गरिमा की रक्षा तो हुई न |
अब तो पुरुष की गुलाम तो नहीं है |
क्या ये आजादी है ?
क्या ये महिला सशक्तिकरण है |
आज बच्चो के पढ़ाई पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है |
दो बच्चो के लिए १४०० या २००० कितना होगा ?
जबकि एक बच्चे की फीस अच्छे स्कूल में ३००० से कम नहीं है |
तो क्या महिला को स्वतंत्र करने से ज्यादा उसे बच्चो के लिए जीने वाली बना कर सरकार ने छोड़ दिया |
जय ये महिला सशक्तिहै |
अखिल भारतीय अधिकार संगठन के इस विमर्श में शामिल होकर हमारा ज्ञान बढाइये |



Thursday, 7 May 2015

क्यों करें हम अच्छे लोगो की बात ???समय कहा है

एक खबर जो खबर न बन सकी
कविता करकरे का पार्थिव शरीर आज सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया। शहीद हेमंत करकरे की पत्नी नहीं रहीं, जाते-जाते एक बार फिर उन्होंने ज़माने को संदेश दे दिया कि वो एक वीर की पत्नी ही नहीं, खुद भी एक वीरांगना हैं।
उनके पति हुए थे देश के लिए कुर्बान, उन्होंने मरने के बाद कइयों को दिया जीवनदान! ये कहानी है कविता करकरे की, शहीद हेमंत करकरे की पत्नी। वही हेमंत करकरे जो 26/11 के आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। 6 साल पहले हेमंत करकरे डिनर के लिए पत्नी के साथ आउटिंग पर गए थे। एक फोन कॉल के बाद आधे में डिनर छोड़कर निकले और फिर कभी नहीं लौटे।
उसी वीर की पत्नी ने साबित कर दिया कि वो भी किसी से कम नहीं। सोमवार सुबह मष्तिष्क घात के बाद कविता दुनिया छोड़ गईं। लेकिन जाते-जाते तीन लोगों को जिंदगी दे गईं। कविता की एक किडनी 48 साल के एक शख्स को दी गई, जो 10 साल से डायलिसिस पर बस इस इंतज़ार में था कि कोई उसे जिंदा रहने के लिए एक किडनी दे दे।
दूसरी किडनी जसलोक अस्पताल में 59 साल के एक शख्स को दी गई, जो सात साल से किडनी ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहा था और कविता के लीवर ने कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल में 49 साल के एक शख्स को नई ज़िंदगी दे दी।
परेल के हाजी बचूली में दान की गईं कविता की आंखें भी दो अंधेरी जिंदगियों की रोशनी बन रही हैं। कविता करकरे के इस महादान के पीछे उनके तीन बच्चों का भी हाथ है, जिन्होंने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अपनी मां के शरीरदान की इजाज़त दे दी।
कविता करकरे ने जाते-जाते ये बता दिया कि उनका परिवार जान देना भी जानता है और जिंदगी देना भी। इसे वीरों का परिवार कहें, तो गलत नहीं होगा। इस परिवार को शत शत नमन।

Tuesday, 5 May 2015

भरित्ये सेना के गरिमा की जीत - अखिल भारतीय अधिकार संगठन

अखिल भारतीय अधिकार संगठन की भारतीय सेना के लिए गरिमामयी सफलता
संगठन ने हमेशा यही चाहा है कि वो सदैव राष्ट्र के लोगो की गरमी और अधिकार के लिए काम करें |
घटना ये है कि लगातटर पीडी लाइट एडहेसिव वाले एक विज्ञापन में ये दिखाते थे कि बाघा बॉर्डर पर एक भारतीय सैनिक पाक सैनिक के जूते जोड़ता है और संगठन को लगता था कि ये भारतीय सेना का अपमान है और इसी लिए पहले देश के प्रधान मंत्री को लिखा गया | फिर एक पोस्ट भी लिखी गयी " भारत के सैनिक पाक सैनिक के जूते जोड़ते है " इस व्यंग्य का भी काफी असर रहा और उसके बाद भारतीय सेना के वेबसाइट पर जाकर कांटेक्ट अस पर जाकर विरोध दर्ज किया है |मुझे ख़ुशी है कि संगठन के इतने लम्बे प्रयास के बाद ऐसा आपत्ति जनक विज्ञापन बंद कर दिया गया है | आप सभी को इस मुहीम में साथ देने के लिए बधाई अगर किसी भारतीय को फिर ये विज्ञापन दिखाई दे तो तुंरत मेरे या संगठन के फेस बुक पर लिखे | आइये हम सब मिल कर अखिल भारतीय संगठन के साथ देश के लिए काम करें | डॉ आलोक चांटिया
अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 1 May 2015

मजदूर या मजा ...दूर दिवस

मजदूर ......या मजा ..........दूर दिवस
कल कोई अखबार नहीं आएगा क्योकि आज मजदूर दिवस है | आज ना जाने कितने संगठनों ने मजदूर दिवस मनाया होगा | क्या मैं घर में खाना बना रही महिला , माँ , पत्नी बहन को मजदूरर कह सकते है !!! मजदूर !! क्या दिमाग ख़राब हुआ है वो तो अन्नपूर्णा है उन्ही के कारण तो हम सबको भोजन मिलता है पर उन्हें क्या मिलता है ? बिना किसी मजदूरी के हमरे सुख दुःख का ख्याल करने वाली इस महिलाओ के लिए मजदूर शब्द क्यों नहीं ??? पर जो आप सुन्ना चाहते है उन्ही को मजदूर कहना पड़ेगा
लेकिन वो कौन है जो ठेके पर , अंश कलिक , अतिथि प्रवक्ता के रूप में पढ़ाते है | जिसे आप मजदूर कहते है उसकी मजदूरी है ३५० रूपया प्रतिदिन पर इस उच्च शिक्षा के शिक्षको को ७००० या ८००० मासिक मिलते है पर ये भी मजदूर नहीं हो सकते क्योकि आप नहीं मानते ? क्या इनके ऊपर कोई सोचेगा ??
अच्छा जो किसान अपनी मेहनत को बर्बाद होते देख कर आत्महत्या कर रहे है क्यों वो मजदूर नहीं !!! आरे क्या आप पागल हो गए है वो तो अन्न दाता है जिस=नके डैम पर पूरा राष्ट्र खाता है | उनके पास अपने खेत है वो बात अलग है कि उनके पास कपडे नहीं है , कच्चे मकान है | बिजली नहीं है , पानी नहीं है , उच्च शिक्षा नहीं है , अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नहीं है पर उनको गलती से भी मजदूर ना कहियेगा !!!
तो ये मजदूर है कौन ????? जी जी क्या बात है आप कितने सच्चे राष्ट्र भक्त है जी वही लोग मजदूर है जो कामरेड है , जो जिन्दा बाद मुर्दाबाद लगा ते है जो कारखाने बंद करा देते है और यही नहीं जो एक दिन में चक्का जाम कर के सरकार को घुटनो पर टिका देते है | अब आप समझ गए होंगे कि मजदूर कौन है पर जिन लोगो के बारे में मैंने कहा वो क्यों मजदूर नहीं ..............पर मजदूर तो वही है  ना जिनसे मजा दूर ( मजदूर = मजा +दूर ) नहीं है वो हर समय अपने सुख , वेतन , सुविधाओ के लिए लड़ रहे है | और एक माँ पति , शिक्षक , किसान इस देश के आधार है संस्कृति है ना कि मजदूर  इस लिए उनके लिए मजदूर दिवस !!!!!!!!!!! जी मजा ............दूर है ..तो आज समझ गए ना मजदूर दिवस का दर्शन !!!!!! अरे ये क्या आप कहा चले क्या आपको मजदूर दिवस को सम्बोधित करना है .अरे चाय तो पिटे जैसे देखिये बिना दिहाड़ी की मजदूर आपकी पत्नी ने बनाई है जिसकी उस कोई कीमत नहीं मिलेगी सिवाए आत्मिक सुख के ...............कभी ऐसे मजदूर और मजदूरी के लिए भी सोच लीजिये किसी १ मई को ....................आप सभी को मई दिवस की शुभकामना ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन )

Saturday, 25 April 2015

भूकम्प से जाना प्रेम की तीव्रता

भूकम्प और प्रेम की तीव्रता
मुझे नहीं मालूम कि आज आपको कैसा लगा पर प्रकृति ( नारी ) की लगातार उपेक्षा ने जिस तरह अपने अस्तित्व का बोध कराया वो करीब ८७६ जान लेकर शांत हुई | पर इन सबके बीच मैं मानव मन को टटोलने में लगा था | लखनऊ के एक कालेज में कार्यरत में व्यक्ति की मंगेतर उससे नाराज चल रही थी ( जैसा उसने कहा ) और आज उसका बर्थ डे था अब वो परेशान कि कैसे उससे बात करें और तभी भूकम्प आ गया और भूकम्प बंद भी नहीं हुआ था कि उस लड़की का फ़ोन आ गया | पुरुष महोदय बहुत खुश हुए उनको इससे कोई मतलब नहीं कि कितने आज मर गए उन्होंने बस यही कहा कि वो मुझसे सच्चा प्यार करतीहै तभी तो नाराज होने के बाद सबसे पहला फ़ोन उसी का आया मेरा हाल जानने के लिए .............शायद इसी लिए दुनिया के कई रंग होते है मेरी जान गयी उनकी अदा ठहरी .कही भूकम्प के दर के साये में लोगो की सांसे चलना मुश्किल है और कही भूकम्प से प्रेम की तीव्रता आंकी जा रही थी | सच है हम सिर्फ अपने लिए सोचते है | क्या आप ने मानवता की तीव्रता महसूस की या फिर आप भी ????????????????

भूकम्प और माँ

भूकम्प और माँ .............
आज कल मैं ख़राब  स्वास्थ्य का पूरा आनंद ले रहा हूँ और इसी लिए आज काफी देर से उठा सर दर्द अपना नृत्य दिखा रहा था पर एक पेपर लिखना था इस लिए जैसे ही लिखने बैठा मुझे लगा कि मेरा सर घूम रहा है पर कुछ पल बाद लगा कि कमरे के सामान भी घूम रहे है तो मैं बाहर आया देखा कालोनी में हल्ली अछा है भूकम्प आया भूकम्प आया ,,,,भागो भागो पर मुझे कोई चिंता नहीं थी क्योकि मरने पर भी मेरे पीछे कुछ नहीं था और जिन्दा रहने पर भी कुछ नहीं है खैर मैंने सोचा जरा यही देख लूँ कि आज के दौर में जब लोग किसी की जान जाने पर झांक कर नहीं देखते तो अपनी जान बचाने के लिए कैसे पागल हुए जा रहे है | भारत पाकिस्तान बटवारे की भीड़ की तरह लोग खुले में दौड़ रहे थे | एक महिला भी एक बोतल में पानी लिए दौड़ रही थी | एक दूसरी महिला ने पूछा कि ये पानी किस लिए लिए जा रही हो ? बोलतल वाली महिला ने कहा कि बच्चे स्कूल से आ रहे होंगे और अगर उनको प्यास लगी तो पानी लेने घर के अंदर कैसे जाउंगी भूकम्प के कारण बच्चे पानी के बिना प्यासे ना रह जाये इस लिए अपनी साथ ले  आई हूँ | इतनी विपरीत क्षणों में भी एक माँ को अपने से ज्यादा अपने बच्चे याद रहे क्या अब भी हम समझना चाहते है कि मानव और मानवता कहा बस्ती है | एक भूकम्प मुझे बहुत कुछ समझा गया था क्या आपको भूकम्प में कोई याद आया | और एक बात भूकम्प के दौरान ही मेरी माँ का फ़ोन आ गया .कहा हो कैसे हो जल्दी से घर से बाहर जाओ और हां ४ बजे फिर बहुत तेज भूकम्प आएगा अपना ख्याल रखना | मैं सोच रहा था कि माँ को अपनी चिंता क्यों नहीं होती !! क्या वही समाज की असली रक्षक है तो महिला दुखी क्या है ????????????

Wednesday, 8 April 2015

किसान !!!!!!!!!!!!!!! किस .........आन

किसान ............................या किस ........आन
सारे किसान फसल बर्बाद होने के कारण आत्महत्या नहीं कर रहे है वो तो परिवार का आकर बड़ा होने के कारण आत्महत्या कर रहे है !!!!!!!! जी आप ठीक समझे ये मैं नही सरकारी विश्लेषण बता रहे है और देश इस बात पर क्यों दुखी हो या किसानो के लिए कोई बड़ी योजना क्यों चलाये ?? कम से कम किसान ही देश के लिए रोटी के लिए भी सोचते है और बढती जनसँख्या के लिए भी सोचते है ( सरकार के पास तो विदेश जाने से ही नहीं फुर्सत है खैर जिसने गरीबी देखी है वो देश में पैसा लाने के लिए दौड़ेगा ही ) और तो बेचारे किसान कुछ कर नही सकते , इस लिए आत्महत्या ही करके देश के लिए रोटी बचा रहे है ( जिन्दा रह कर तो खुद रोटी को तरस जाते है ) वैसे देश को ऐसे किसानो को राष्ट्रीय पुरूस्कार देना चाहिए जो कम से कम जान देकर देश में अन्न की कमी को कम करना चाहते है | देखिये मैं नहीं कह रहा हूँ ये तो देश का प्रधान सेवक कह रहा है कि किसान अन्नदाता है पर मैंने कब कहा वो गुलाम है !!! आरे वो देश की मज़बूरी है कि आज तक किसान देश की जेलों में बंद कैदियों के बराबर भी अपने घर में बल्ब की रौशनी नहीं पाता है |अब आप उसको गुलाम कहना चाहते है तो कहिये | अगर देश के जेलों में बंद कैदियों को डॉक्टर और सरकारी नल का पानी मिलता है तो वो अपराध भी तो करते है बेचारे किसान ने कौन सा अपराध किया जो सरकार उसको सरकारी नल का पानी और डॉक्टर उपलब्ध कराये | सड़क पर किसान चलेगा तो नखरे नहीं करने लगेगा गीले खेतों में बीज बोने से उसके पावों में कीचड़ लग जाने पर उसे भी तो शहर वालों की तरह घिन आने लगेगी | वो तो भगवन है उसको तो कोढ़ जैसे भिनभिनाते जीवन में भी अनुराग ढूँढना है | और इसी लिए तो किसान के पास अच्छी सड़क नहीं है | अब आप बताइए आप को नींद कब आएगी जब आपका पेट भरा हो और हमारे देश में तो कहा भी गया है कि भूखे पेट न भजन गोपाला............ अब शहर वालों , संसद विधान सभा में बैठे लोगो का पेट भरा नही होगा तो देश के विकास के लिए सोचेंगे कैसे | और भूखे पेट अगर इन महान लोगो को नींद नही आई तो देश को उच्चा उठाने के लिए काम कौन करेगा ??? इसी लिए तो किसान को भूखा पेट सोना पड़ता है ताकि उसको नींद ना आये और जब आप सुबह की उन्माद में किसी सपने में डूबे हो तो उस समय यही किसान आपके लिए खेतों में अन्न उगा रहा हो पर क्या मेरी मजाल तो आज प्रजातंत्र में किसान को आप गुलाम कह दे | ये तो सिर्फ देश की मज़बूरी है कि देश के किसान को पानी बिजली के बिना सड़क के बिना अच्छे स्वस्थ्य के बिना और भूखे रहते हुए पथरायी आँखों से संसंद में बैठने वाले जे ज्यादा आसमान में चल रही संसद से कहना पड़ता है कि इस बार तो पूरा खाना दे दो भगवन .............इस बार तो मैं भी अपने तन को पूरा ढक लूँ भगवन .........मेरी भी बेटी के हाथ पीले हो जाये .............हम तो गीता पढने वाले लोग है जो आया है वो जायेगा तो क्यों करे किसान के मरने पर शोक ( क्या किसी दिन आपने देश के किसान के ५ मिनट भी सोचा ) आप को तो लगेगा लिख डाला फिर ना जाने क्या क्या ......................पर गावं का रहने वाला वो आदमी किस .............आन से कहे किसान ....खुद को ...................... आपने किस आन( किसान ) को पाया उस गावं के आदमी में !!!!!!!!!!!!!!!! क्या आप आदमी है !!!!!!!!!!!!!!!! तो वो किसान !!!!!!!!!!!व्यंग्य समझ कर देश के दर्द को पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपको सिर्फ विचार दे सकता है आगे आप स्वयं देश के निर्माता है डॉ आलोक चान्टिया

Monday, 23 March 2015

भगत सिंह .................भुगत सिंह

भगत सिंह .......................भुगत सिंह
छाती ५६ इंच की हो जाती है आपकी और हो भी क्यों ना आखिर आपके देश में ही तो भगत सिंह हुए थे ना !!!!!क्या नहीं जानते भगत सिंह को ??????????/अरे वही वाले भगत सिंह जिनके पिता ने उनसे पूछा कि भगत खेत में क्या बो रहे हो जमीन को खोद रहे भगत बोले पिता जी बंदूक बो रहा हूँ और एक दिन उनकी बंदूक जमीन से निकली भी और देखते देखते अंग्रेज की तबियत नरम हो गयी पर भैया भला हो गांधी जी का जिनको ये खून खराबा बिलकुल पसंद नहीं था और उनको पता था कि अंग्रेज अंहिसा प्रेमी है उनको भी गोला बारी प्रिये नहीं ( अब ये ना कहियेगा कि मैं इतिहास नहीं जानता भला कभी अंग्रेजो ने कोई गोली चलायी वो तो उन्होंने सिर्फ तफ़रीह में अनेको क्रांतिकारियों को मार डाला आखिर अंहिसा वाले को भी तो मारने का मजा मिलना चाहिए ) बस फिर क्या था गांधी जी भी हो गए भगत के विरोधी और जो व्यक्ति १९१० में पैदा हुआ उसका अंग्रेजो ने १९३१ में फांसी दे दी वो भी रात में क्योकि जैसे ही देश के लोगो ने सुना ( अरे भैया गांधी की नेहरू की बात नही कर रहा मैं तो देश वासियों की बात कर रहा हूँ ) वो सब जेल के दरवाजे पर इकठ्ठे हो गए और बवाल के डर अंग्रेजो ने भगत सिंह को रात में ही फांसी दे दी | वैसे गांधी जी चाहते तो भगत सिंह छूट सकते थे ( भैया मैं नहीं इतिहास कार लिख गए है ) पर भला गांधी जी ये कैसे बर्दाश्त कर लेते कि अतिथि देवो भाव वाले देश में कोई भारतीय अंग्रेजो को आँख उठा कर देख ले या मार दे | गांधी के लिए देश बड़ा व्यक्ति नहीं था और तब तो बिलकुल नहीं जब विदेशी का अपमान हो उसे मार जाये आखिर गांधी उसी अंग्रेज के देश में वकालत पढ़ कर आये थे तो क्या उनका इतना भी फर्ज नहीं बनता कि वो भगत सिंह की फांसी को सही ठहराए | गांधी के लिए अपने देश ( पता नहीं क्या फिर भी पाकिस्तान बनवा गए ) और देश में अतिथि ( अंग्रेज जैसे लुटेरों ) से ऊँचा कुछ नहीं था और यही बात देश के भगत सिंह नहीं समझ पाये और देखते देखते भुगत गए .....अब ना कहियेगा कि भगत सिंह को भुगत सिंह क्या कहना चाहिए ( व्यंग्य के अर्थ को समझे , अखिल भारतीय अधिकार संगठन ऐसे महान सपूत को नमन करता है ) डॉ आलोक चान्टिया

Sunday, 22 March 2015

स्वस्थ जीवन का अधिकार

अखिल भारतीय अधिकार संगठन आपके स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील है ........
आपके शरीर में और कोई भी समस्या हो जाये उससे व्यक्ति तुरंत मर नही जाता पर आज कल साइलेंट हार्ट अटैक का जमाना आ गया है और आप जान ही नहीं पाते कि आपको हार्ट  की कोई समस्या हो गयी है ..व्यक्ति हर समय मेडिकल डॉक्टर के पास समय से पहुंच सके जरुरी नहीं तो एक सामान्य आदमी क्या कर सकता है ........
हफ्ते में एक बार अपने पल्स रेट को नापिये| बायें हाथ में कलाई के पास आपको आगे की तरफ पल्स का अनुभव होता है अब आप घडी लगा कर एक मिनट में पल्स नापिये अगर पल्स ६० से नीचे आये तो और अगर पल्स १२० से ज्यादा आये तो समझ लीजिये आपको दिल की समस्या हो सकती है और आप तुरंत सतर्क हो जाइये ......क्या आप अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए इतना करेंगे आज से ..............अखिल भारतीय आपके स्वस्थ जीवन की कामना करता है

Friday, 20 March 2015

how to save tax?????????????

Why you should collect that 1 rupee change from the supermarket.
Suppose 500 people visit bigbazaar daily. No one collects change.
500×1= rs500.
For 365 days, 500×365 = rs 1,82,500
This is from ONE bigbazaar MARKET.

There are 1500 bigbazaar markets in the country.
rs 1,82,500×1500 = rs 273,750,000
27crore per year.
& the worst part about this is, IT'S NOT EVEN TAXABLE because the bill doesn't count the one rupee, remember?
Now you know why they always put price tags like 49/- 99/- 999/- only?
Please forward this information

Saturday, 14 March 2015

सैनिको की गरिमा की बात न करना यहाँ!!!!!!!!!

भारतीय सैनिक पाक सैनिक के जूते जोड़ते है ???????????
कितना अजीब लगा होगा आपको और लगे भी क्यों ना आप तो सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं | आपके देश के सैनिको के सर काट कर भेजे जा सकते है लेकिन आपको पाक सैनिक के फटे जूते तक का इतना दर्द है कि आप भारतीय सैनिक होकर भी उसके जूते जोड़ने में जुट जाते है | खैर आप मुझे दिल भर कर गालियां दीजिये और पाइए तो गोली से उदा दीजिये कि मेरी हिम्म्मत कैसी हुई देश के सैनिको के लिए इतनी घाटियां बात कहने की क्योकि विश्व के सबसे ज्यादा सूरदास ( अगर अँधा कह दूंगा  तो देश की संस्कृति में दाग लग जायेगा) पर मेरे नयन तारों हमेशा टी वी से चिपके रहने वालों कभी तो पीडी लाइट  लोशन का विज्ञापन देख लो जिसमे बाघा बॉर्डर पर दरवाजा खुलने के दृश्य को दिखाया गया और परम्परागत तरीके से प्रतीकात्मक रूप से भारत और पाक के सैनिक अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते है और तभी भारतीय सैनिक को पाक सैनिक का फता जूता दिखाइए देता है ( आखिर हमारी बुआई देखने की आदत है कोई ऐसे तो जाएगी नही ) और भारतीय सैनिक का दर्द उमड़ पड़ता है और वो अपनी जेब से पिली लाइट लोशन निकल का पाक सैनिक के जूते का सोल जोड़ देता है ( आखिर भारतीय को यही पता की जेब में और कुछ हो ना हो पर जूता जाोड़ने का लोशन जरूर होना चाहिए इस से ज्यादा और भारतीय सैनिक को दिखाया भी क्या जा सकता था ) और वो पाक सैनिक खुश होकर वापस लौट जाता है और फिर पीडी लाइट का नारा उभरता है तोड़ो नही जोड़ो .......खैर आपको इस तरह के विज्ञापन में ना तो भारतीय सैनिको का अपमान दिखाई दिया होगा और ना ही ये कि भारतीय सैनिको को किस काम के लायक दिखाया गया है आखिर अपमान को पी कर ही हम महान बन सकते है | और वैसे भी हमारे देश केलोगों कितने उदार है ये भी तो दिखाना है ( आखिर क्या मजाल पीडी लाइट की जो वो पाक सैनिक को भारतीय सैनिक का जूता जोड़ते  हुए दिखा देती क्या उस कंपनी को चलना है कि नहीं ) वैसे भी इस देश कि सरकार के पास कहा वक्त कि वो देखे कि किसी तरह एक मामूली कंपनी देश के सैनिको की गरिमा को बेच का अपना उत्पाद बेच रही है | अगर आपको इस विज्ञापन में सब सही लगे तो कृपया इस पोस्ट को शेयर न करे और अगर लगे कि सैनिक से ही मुह से शब्द हमारे निकल पते है तो शेयर कर लीजियेगा इसे किसी व्यक्ति की पोस्ट समझने के बजाये राष्ट्र के सैनिको के सम्मन में किया गया कार्य समझ कर इतना कर दीजियेगा ! क्या आप क्यों करे .चलिए आप ही तो देश के आर्थिक विकास को सोचते है .आखिर सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा !!!!!!!!! है ना जोड़ते रहिये यूँ ही ( अगर मेरी ये पोस्ट देश के बड़े राज नेताओ और सेना के लोगो तक पहुंचे तो ऐसी कंपनी के विरुद्ध कार्यवाही जरूर की जाए जो देश के सैनिक की गरिमा को गिराने वाला विज्ञापन बनाते है और ऐसा विज्ञापन तुरंत बंद किया जाये ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 11 March 2015

भारतीय पुरुष जानवर है ??????????

विदेशी महिला सिर्फ एक मतलब  जानती है औरत होने का !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मैंने मान लिया कि हमने भारत को माँ ( महिला ) कह कर विदेशियों से खूब लुटने दिया लेकिन भैया किसी विदेशी महिला को कोई भारतीय तो लूटने नहीं गया ना ...हा हा अब आप क्यों मैंने लगी क्योकि आप तो इंडियन डॉटर बना कर दुनिया को दिखा रही है कि कितनी असुरक्षित है लड़की भारत में !! ऊपर से तुर्रा ये कि जिन विदेशी महिला ने ये डाक्यूमेंट्री बनायीं वो घर से निकलने के बाद अपने को भारत की सड़कों पर इतना असुरक्षित महसूस करती थी कि जब तक शाम को लौट कर अपने कमरे पर नही आ जाती थी तब तक उनको लगता था उनके साथ कुछ हो ना जाये !! नही हुआ ना तो आप खुद मानती है कि आप झूठ भी बोल लेती है और आप अपने देश ( जहा से आई ) वह सुबह से शाम बलात्कार के डर से जीती है ( मैं नहीं कह रहा ( अमेरिका , इंग्लॅण्ड ऑस्ट्रेलिया मव बलात्कार सबसे ज्यादा होते है ) यही नही सूप बोले सूप बोले चलनी भी बोलने लगी जर्मनी की एक महिला वैज्ञानिक ने किसी भारतीय पुरुष को अपना इंटर्नशिप बनाने से इंकार कर दिया .........ये दोनों बिलकुल सही कह रही है कि इनको भारतीय पुरुषों से डरना ही चाहिए क्योकि ये सच में क्या है वो पता चल जायेगा ...क्या आप मुझे कह रही हूँ कि मैं झूठ बोल रहा हूँ ......क्यों १८९३ में उस भारतीय पुरुष को भूल गयी जिसके शिकागो के कमरे में एक विदेशी लड़की आपत्ति जनक स्थिति में पहुंच कर वो करना चाहती है जिसे आप आज कल नारी की स्वतंत्रता कहने लगी है | अपने सामने एक प्राकृतिक अवस्था में विदेशी लड़की को देख का और उसके प्रस्ताव को सुन कर भी उस भारतीय पुरुष ने कहा कि बहन का स्वागत है और वो महिला लज्जित हो गयी और मार्गेट नोबल नाम की वो महिला बाद में भगिनी निवेदिता कहलायी ........क्या विवेका नन्द की कहानी आपको याद नही खैर क्यों याद रखेंगी विदेशी महिला क्योकि आपको भारतीय पुरुष बस एक ही प्रतिबिम्ब में दिखयी देते है और आपको ये बर्दाश्त नही कि भारतीय पुरुष आपको सिर्फ देह से नही बहन कह कर जोड़े | अब आपकी पोल न खुल जाये तो आप को भारत की सड़को पर डर तो लगेगा ही आखिर आप पाने देश का क्या चहरित्र दुनिया को बताएंगी कि हम विदेश महिला शरीर की भूख मिटने के लिए सामने आये भी तो भारतीय बहन कह कर स्वागत करते है | काश आप झूठ की पाठशाला से ना अति पर क्यों ना आये आखिर आपको निर्भया कांड पर दुनिया में वह वही जो लूटनी है ........लूटिये लूटिये आपको लूटने लुटाने के अलावा आता भी क्या है ?????इस व्यंग्य को ढंग से पढ़ कर शेयर करिये क्योकि ये हर भारतीय पुरुष पर तमाचा है जो एक विदेशी महिला ने निर्भया कांड में अपने बयां से हम पर मारा है ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

खग जाने खगही की भाषा

खग जाने खगही की भाषा ........
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश मार्कण्डेय काटजू जी ने महात्मा गांधी को अंग्रेजो का एजेंट कहा और उनके विरद्ध राज्य सभा में निंदा प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हो गया | अब आदमी कहता वही है जो वो खुद देखता है या सोचता है | कहा भी गया है कि जो जैसा सोचता है वो वैसा ही बन जाता है तो इतनी हाय तौबा क्या | वो जो कह रहे है उसने उनका क्या दोष ? न्याय व्यवस्था में आशय पर जोर दिया जाता है आप भी उनके आशय को समझिए और हम समझ रहे है कि काटजू जी कि आप एजेंट का मतलब समझ ते है आखिर खग जाने खगही की भाषा ............( इस व्यंग्य को ज्यादा खुल कर समझिए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, 16 February 2015

valentine day ka darshan


वैलेंटाइन डे या १४ का दर्शन
इतना ज्यादा व्यस्त हूँ कि प्रेम की बात करने का मन तो नहीं है पर हर साल जितना प्रेम दिवस को लेकर हल्ला मचता है तो लगता है कुछ लोगो को तो जगा दूँ ( आप कहेंगे हम  सोये ही कब थे ) खैर इतना तो आपके जज्बे को मानना ही पड़ेगा कि आप खुल कर ये मानते है कि प्रेम को आप पनपने नही देंगे और जब पडोशी देश आपकी बात मान कर सिर्फ विष का वमन करता है तो आप प्रेम का सन्देश देते है | वैसे आज इस देश के लोग समझ गए होंगे कि जब इतना खुल कर आप प्रेम का विरोध करते है तो दबे पावँ क्या करते होंगे खैर जाने दीजिये मैं तो सिर्फ ये कहना चाहता था कि वललेन्तीने एक रोमन संत थे जो लोगो में प्रेम का प्रचार करते थे और इसी लिए उनको फांसी दी गयी थी और १४ फरवरी को वो पैदा हुए थे पर क्या आपने कभी सोचा १४ के बारे में !!!!!!!!!!!!!!!!!!! खैर आपको हिंदी में कुछ समझ में कहा आता है आप तो सिर्फ अंग्रेजी समझते है ना !!!!!!!!!!! तो लीजिये १४ यानि आई लव यही तो कहते है आप कोड में पर यहाँ १४३ यानि आई लव यू  पर वैलेंटाइन तो सिर्फ यही कहा आई लव ( १४) ये गलती किसकी है आपकी या किसी और की अब ये आप पर है की आप आई लव (१४) के साथ देश , माँ बहन , किसे जोड़ना चाहते है ????????? कुछ समझे १४ फ़रवरी का अटलब खैर आप व्यंग्य ही समझेंगे क्योकि सीधी बात आप ना कहते है ना सुनते है .........डॉ आलोक चांटिया ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 12 February 2015

२०१९ में पूरे भारत में होगी झाड़ू से सफाई

नरेंद्र मोदी चाहते है २०१९ तक पूरा देश हो स्वच्छ .........
जिसे देखिये वही कहते मिल जायेगा क्या दिया नरेंद्र जी ने ९ महीने में | पहले तो जाने लीजिये कि अभी नव महीने पूरे कहा हुए जब तक पूरे होने दिल्ली में अरविन्द ( कमल ) की किलकारी सुनाई देने लगेगी | और शायद कि कभी पैदा हुआ गोल मटोल बच्चा किसी को प्यारा न लगा हो जिसे देखिये वही गोद में उठाना चाहता है | यहाँ तक अगर वो आपके कपडे भी गंदे कर दे तो आप को कहा बुरा लगता है | तो हो जाइये तैयार दिल्ली में नरेंद्र मोदी जी के ९ महीने ( २६ फ़रवरी २०१५) का मजा | वैसे आपको मानने की आदत नहीं और आप किसीकी बात सुनते नहीं | शायद आपको याद नही कि नरन्द्र जी ने खुद कहा है कि २०१९ तक पूरे भारत को स्वच्छ कर दीजिये | अब फिर ये ना पूछियेगा कि सफाई होगी किससे????? झाडूं से और किससे और २०१९ में फिर से लोकसभा चुनाव है तो “आप “ जान गए होंगे कि नरेन्द्रजी २०१९ में क्या चाहते है ???? गाँधी की राह पर चलने वाले नरेंद्र जी अगर गाँधी की तरह ( गाँधी जी एक दीवान के लड़के थे और सुख सुविधा के लिए सक्षम थे ) कपडे से मोह नही छोड़ पा रहे तो क्यों हाय तौबा मची है | नरेंद्र जी को तो बचपन से सारी सुवधा नही मिली ना और अब जब ऐसा कर रहे है तो आप कहते है उन्होंने १० लाख का कोट क्यों पहना ???? क्या आप नहीं चाहते कि इस देश का गरीब कभी कीमती कोट पहने ?????? नरेन्द्रजी हमारे आदर्श होने चाहिए क्योकि उन्होंने वल्लभ पटेल की दुनिया की सबसे ऊची मूर्ति लगवाने जा रहे है और तो और उन्होंने गुजरात में उन्हें जो बट्टा मिलता था उसको भी उन्होंने सरकारी खजाने में दे दिया और चतुर्थ कर्मचारी के लाभ के लिए काम में लगाने को दिया | अब आप ये बात न कहियेगा कि पटेल जब उपप्रधानमंत्री बने तो उनको इतना भत्ता भी नही मिलता था कि उससे पाने परिवार का खर्चा चला पाते इसी लिए एक बार जब उनके घर की चाय पार्टी पर कुछ नेता ने उनकी बेटी की सिली हुई धोती देखकर कहा कि किसी उद्योगपति से कह दो साडी का ढेर लग जायेगा पर उनकी बेटी ने कहा कि मेरे पिता के आमदनी से इतना ही हो सकता है और मैं खुश हूँ | अब मोदी जी अगर इन सब बातो का ख्याल नही रखते तो ठीक ही तो है क्योंकांग्रेसियों की बढाई करें | क्यों करें ??? क्या ये कम है कि वो सबको लेकर चल रहे है क्योकि उनको संविधान के प्रस्तवना हम भारत के लोग का मतलब पता है और इसी लिए दिल्ली में अरविन्द( कमल ) का साथ दिया तो पूरे भारत से गाँधी और पटेल की बात कर रहे है लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि वो चाहते कि २०१९ में पूरे भारत में स्वच्छता के नाम पर झाडू लगे ( व्यंग्य है पर सच है आइये हम समझे ) नरेंद्र जी को इस देश का दर्शन समझना होगा ...डॉ आलोक चान्टिया, अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 11 February 2015

भारतीय जनता .........पार्टी है पार्टी

भारतीय जनता!!!!!!!!!!!!!!!!!पार्टी है
अंग्रेज आकर इस देश से चले गए पर जाते जाते देश के संविधान में अनुच्छेद ३४९ का गिफ्ट दे गए जिसके हिसाब से जो शब्द अंग्रेजी के है और उनका प्रयाग ज्यादा होता हैतो उसको उसी रूप में हिंदुस्तानी भाषा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ....अब आईये पार्टी पर , आप सबका तो पता नहीं पर मुझे बचपन से यही पता है कि पार्टी का मतलब है किसी ख़ुशी को जाहिर करने के लिए मौज मस्ती ...........अब आज के बाद ये तो नहीं कहेंगे कि पार्टी का मतलब नहीं पता और आज जान गए ना कि देश में राजनीति करने वाले अपने संगठन को पार्टी का नाम क्यों देते है | समझे की नहीं हर राजनितिक संगठन चुनाव के समय क्यों इतने वादे करती है अब जब पार्टी है तो कह दिया मौज मस्ती में कि ये करेंगे वो करेंगे पर इसका मतलब ये थोड़ी ना कि मौज मस्ती में कही बात के लिए जान देंगे | तो आज के बाद किसी से ना कहियेगा कि फ्ला पार्टी ने अपना वादा पूरा नहीं नहीं किया | तो अब बताइये कि आप क्यों कहते है कि देश में सरकार बनाने के बाद वो कुछ नहीं हुआ जो कहा गया था | क्यों करे ????????? अरे भारतीय जनता !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! पार्टी है ये बस मौज मस्ती कीजिये देश जाये तेल लेने अपना काम निकालने के लिए कह दिया होगा कि ये करेंगे वो करेंगे पर इस देश में तो विद्वान रहते है क्या वो इतना नहीं समझते ????? तो लीजिये एक बार फिर कहते है भारतीय जनता .....................पार्टी पार्टी है समझे कि नहीं ( व्यंग्य समझ कर शब्द के असली अर्थ को समझे ) डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन


Tuesday, 10 February 2015

बलि बेदी ..........या ........किरन बेदी

बलि ....बेदी यानि किरण बेदी
अब आप ना माने तो मैं क्या करूँ आप स्वतंत्र भारत में रहते है और किसी की क्या मजाल जो आपको मजबूर करे कोई बात मनवाने की पर इस देश को बहुत समय बाद एक बेहतरीन नेता मोदी के रूप में मिला जिको पता है कि शब्द कोष में बेदी का मतलब क्या होता है क्योकि दिल्ली में झाडूं के साथ कोई किरन तो दिखाई नहीं देती अब भला आप ही बताइये झाड़ू कब लगती है ???????? अरे बही सुबह सुबह और जब झाड़ू लगती है तो पूरब से निकलते सूरज से आपके आँगन में क्या आती है किरन !!!!!!!!!!!!!!!है कि नहीं तो झाड़ू को कौन समझ सकता था ??????????? किरन ना !!!!!!!!!! तो क्या बुरा किया चुनाव की बेदी पर झाड़ू के सामना करने के लिए किरन को सामने करके  !!!!!!!! आखिर जो देश के लिए सोचते है वो अपनी बलि देने से कब पीछे हटते है और देश के तो अब तो समझ गए ना की देश के लिए ही सोचने वाले नरेंद्र जी ने क्यों बलि .....बेदी के लिए किरन ....बेदी को चुना !!!!!!!!!!!! मैं नरेंद्र जी का कठोर समर्थक हूँ कि वो शतरंज कि बिसात को चलना जानते है काश कभी मैं भी चेक मेट करता .....देखिये देखिये वो वो कृष्णा नगर में बलि बेदी पर किरन बेदी चढ़ गयी क्या आपको सुबह झाड़ू के साथ किरन देखने का अब भी मौका मिलता है ( शहर में अब घरों में उची बिल्डिंग के सामने जाहदु लगने पर कभी घर के आँगन में किरन नहीं आती ) व्यंग्य के इस सच से आप सहमत है ????? डॉ आलोक चांटिया

क्या दिल्ली ने स्वच्छता का सही अर्थ समझा

दिल्ली ने नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर किया भरोसा .......
हे भगवन क्या होगा इस देश का ....सुबह से ही हर चैनल बस चिल्ला रहा है कि नरेन्द्र मोदी हर गए बी जे पी कीखुल गयी पोल ............कहा खुली पोल नरेंद्र  जी ने पिछले ९ महीने  में यही तो कहा कि सबसे पहले हमको स्वच्छ करना होगा देश को और उसके लिए सबसे पहले आदमी जहा रहता है वही से तो शुरवात करता है और वो तो हमारे आदर्श है इसी लिए उन्होंने दिल्ली से कर दी शुरवात .और सफाई होती किस्से है .........अब ये ना कहियेगा कि आपको नहीं पता कि झाड़ू और ना जाने कितनी बार नरेंद्र जी ने झाड़ू हाथ में पकड़ कर यही सन्देश दिया कि पहले झाड़ू पर विश्वास करो और लीजिये देश का दिल यानि दिल्ली ने नरेंद्र जी की बात दिल से लगा ली और आप कह रहे है कि नरेंद्र जी की ये हार है एकबार फिर सोचियेगा सवचछता में छिपे सन्देश को .......दिल्ली से सफाई अभियान के लिए दे तो दीजिये बधाई ...ना दीजिये मेरी बला से मैं तो नरेंद्र मोदी का हूँ और उन्ही का ही रहूंगा ( व्यंग्य की सच्चाई समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया

Monday, 9 February 2015

और ......त

और ........................त
और क्या अब मुझसे क्यों पूछ रहे है ये तो पूरा देश जनता है कि त से तमाशा | अब मानिये ना मानिये रोज इस देश के घर बाहर सड़क  चौराहे पर कोई मदारी सब से सामने खड़ा होता है , वो जो चाहता है कहता है , हँसता है , नाचने वाले को नचाता है , ताली बजती है , सीटी बजती है पर आप तो केवल तमाशबीन  है आपसे क्या मतलब कौन किसके साथ क्या कर रहा है आपको तो बस देख कर सुन कर मजा लेना है और सबके समाने मदारी कहता है ....................और .(त )  माशा शुरू ............पर आप तो शार्ट फॉर्म में जीते है तो लीजिये अब आपको ज्यादा समझ में आएगा .....और ...................त ( व्यंग्य कीहकीकत समझ कर देखिये की आज मदारी कौन है और हम किसको गली चौराहे पर नचा रहे है शायद आपको चौराहे पर मदारी के सिकंजे बंधे किसी की पुकार सुनाई पद जाये ) महिला के लिए बोलना शुरू कीजिये .......... डॉ आलोक चान्टिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday, 8 February 2015

गौरी जिन्दा तो हो

महिला जिन्दा तो हो ...........
गौरी यानि पार्वती यानि उमा ने शिव को पाने के लिए ३७ हज़ार साल तपस्या की ( मुझे नहीं मालूम इतनी आयु के बारे में राम चरित मानस में लिखा है ) तब जाकर उनको भगवान शंकर के रूप में इस देश में एक इच्छा के अनुरूप व्यक्ति जीवन  साथ के रूप में मिला ......पर हम आप तो जगल और हिमालय पर रहने वाली गौरी से इतर शहर में रहने वाली गौरी का शरीर १९ साल में काट डाल रहे है तो आज की गौरियां कैसे तप करें कि उनको शिव सा व्यक्ति सामने दिखाई दे क्योकि अपनी छोटी सी तपस्या से जिसका भी वरन आज कि गौरी कर रही है वो तो कुटिया में ऋषि वेश बदल के आये रावण की तरह मिल रहा है | मैं जनता हूँ कि आप में से ना जाने कितने मेरी इस बात का विरोध करेंगे कि क्या लड़की सिर्फ शादी के निमित्त ही बनी है !!!!!!!!!!! न न न न मैं भी ये नही कह रहा है पर गौरी की तरह निर्विघ्न तपस्या भी तो आज की गौरी नहीं कर पा रही है | अगर गौरी घर से पढ़ने निकली तो मार दी जाती है | अगर लाँड्री जाती है तो मार दी जाती है |और अगर वो प्रेम जैसे शब्द को जीने लगे तो मार दी जाती है | अगर शादी हो जाये तो मार दी जाती है तो फिर आप भी मान लीजिये ना कि आज की गौरी की तपस्या शायद मौत पर ही खत्म हो रही है क्योकि आप कहेंगे कि औरत उपभोग की वस्तु तो है नहीं अब इतना कुछ करके भी आपको गौरी एक वस्तु से ज्यादा कुछ लगी | ओह हो आप तो रोज शाम को मोमबत्त्ती जला कर उसे ढूंढने निकलते है पर वो नही मिल रही है तो क्या हुआ आप तो संतोषम परम सुखम को जीते है मोमबत्ती की रौशनी में रोज कोई और गौरी मरी , बलात्कार की हुई मिल जाती है तो आपको तो रोज मुद्दा मिल रहा है ना वैसे जिस गौरी के लिए आप लड़ रहे है क्या उसको अमृत पिला का जिन्दा किया जा सकता है ?????? नहीं तो किसी जिन्दा गौरी के चारों और तब तक खड़े हो जाइये जब तक वो उस शिव के पास न पहुंच जाये जिसके लिए तस्य करने वो इस दुनिया में आई है | क्या आपको शिव मिले कभी ??? गौरी की नासमझी को क्या कहे ????( व्यंग्य के अंदर के भाव को समझिए सही ही सत्य है और सत्य ही सुन्दर है ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारीतय अधिकार संगठन

Saturday, 7 February 2015

अबला के जीवन की कहानी

अबला जीवन हाय तुम्हारी  यही कहानी .....
कितना सुखद नाम रखा हमारे  धर्म मनीषियों ने आ .........बला ( मुझे मालूम है आपको मेरे अक्षर ज्ञान अच्छा नहीं लगेगा )  इस नाम के बाद कौन नहीं मानेगा कि हर महिला भस्मासुर खुद ही बनी है पहले माँ बन कर पुरुष दिए और बदले उनको अबला , रमडी जैसे नाम मिले !!!!माँ बनने का इससे अच्छा सम्मान और क्या मनुष्य दे सकता था वैसे आप ये तो मानते है ना कि जिन्दा लड़की का कोई मोल नहीं इस देश में , जब तक निर्भया मर नहीं गयी तब तक लड़की के लिए समाज नहीं उठा और अब लखनऊ में गौरी जब मार डाली गयी तो शुरू हो गया चीखने चिल्लाने की बात | कितना अनोखा है देश कि द्रौपदी की साड़ी उतरने पर नहीं बोला और जब उसका अपमान हो गया तो महा भारत कर डाला क्या हमको जिन्दा लड़की का बोलना अच्छा नही लगता या मरी , गूंगी लड़की पर ही दया दिखाने का मन करता है क्योकि जिन्दा तो सच बोलती नही | !!!!!!!! अब ऐसे झूठ बोलने वाली लड़की को क्या पैदा करना इसी लिए पैदा होने से पहले मार दो ( क्योकि  जिन्दा के लिए खड़े होने की आपको आदत नहीं ) पर आप याद तो करिये कि ना जाने कितने घरों में जब जब पुरुष पर कोई समस्या आई है तो पुरुष को बचने के लिए घर की औरत ( माँ बहन , पत्नी ) सामने आई है पर तब किसी पुरुष ने नही कहा कि इससे घर की इज्जत नीलम हुई पर जब भीकिसी महिला पर संकट आया तो उसी घर के पुरुष ने कहा कि कोई जरूरत नहीं फर्जी में बदनाम हो जायेंगे क्यों नहीं खड़ा हुआ पुरुष महिला के लिए ??????? ओह हो मैं तो भूल ही गया कि इज्जत का मतलब तो सब देख कर भी दुम दबा कर रहना है | खैर मैं कह रहा था कि आपने कितनी आसानी से कह दिया अबला जीवन हाय तुम्हारी  यही कहानी ....आँचल में दूध और आँखों में पानी  और अपनी तरह से अर्थ भी निकाल लिया पर इसका अर्थ ये भी तो है कि औरत के आँचल में भी दूध है जो एक आशय से मनुष्य को इस पृथ्वी पर जीवे का अर्थ देता है और जब दुनिया में सबकी आँखों में सूअर के बा उग आये है तब भी औरत के आँख में आज के दौर में भी पानी ( शर्म ह्या ) है पर आप क्यों मानने लगे मेरी बात ये भी कोई बात है कि औरत में एक भी अच्छाई देखी जाये | लगाये न आवाज कि ...ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ...सकल ताड़न के अधिकारी !!!!!!!!!! आरे पर्थिवीके सबसे बुद्धिमान पुरुष इसका मतलब ये क्यों नहीं कि ये सब तक तक आवाज ही नहीं करते जब तक इनको चोट ना पहुचाई जाये !!!!!!क्या अब भी नहीं मानोगे कि औरत तब तक नहीं बोलती जब तक उसकी अस्मिता गरिमा को चोट ना पहुचाई जाये !!!!!!! आखिर सांस्कृतिक आदर पर कैसे सिद्ध होगा आप महिला नहीं है | देखिये वो लड़की मारी जा रही है पर शांत रहिएगा लड़की लक्ष्मी होती है और लक्ष्मी चंचल  होती है और चंचल को सही रखने के लिए उसको बाँध ( मारना ) कर रखना जरुरी है | आइये किसी गौरी के मरने की खबर अख़बार में पढ़ते है | आखिर पढ़ना भी तो संस्कृति ही है ( व्यंग्य समझ कर अपने अंदर के हनुमान को जगाइए जो मंदिर में आपके नादेर है किसी सीता को बचाने  के लिए ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 5 February 2015

बलात्कार तो माता पिता का दोष है >???????????????

चित्त भी मेरी और पट्ट भी मेरी .......
शब्द ब्रह्म है और शब्द को बहुत सोच समझ कर बोलना चाहिए ..ये मैं नहीं मेरे देश में कहा जाता है और मैं खुश हूँ पर क्या आप मुझे समझा सकते है कि अगली लाइन में किस मार्ग का अनुसरण करूँ
ये रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नही लपटे रहत भुजंग
और तो लीजिये नहले पर दहला
संगत से फल उपजे संगत से फल जाये ,
बांस फांस तो मिश्री एकै भाव बिकाए.....
हुए ना हम जगत गुरु
कभी सांप के लिपटने से भी चन्दन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और कभी कहते है जैसी संगति वैसा आदमी
पर इतनी बाड़ी बात के बात एक बात और
कहते है जस जाइके महतारी बाप तस तयीके लरका
औ जस जैकी घर द्वार तस तयीके फरका...........
अब जिस तरह से देश में लड़की के साथ बलात्कार छेड़ छाड़ हो रही है तो क्या मान ले कि ऐसा करने वाले के माँ बाप भी .............आगे आप कुछ ज्यादा समझदार है ( व्यंग्य जो समाज का नंगा सच दिखाना चाहता है )  सोचिये और किसी लड़की के लिए सुरक्षा का कवच बनिए ( डॉ आलोक चांटिया ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

महिला श्मशान में सुरक्षित है

महिला श्मशान में सुरक्षित है ........
जी आप जो सुन रहे है वो बिलकुल सच है क्योकि मैंने पिछले एक साल की विश्व भर की रिपोर्ट्स , न्यूज़ पेपर्स , टी वी., गूगल , देखने के बाद ये पाया कि किसी महिला के साथ छेड़ छाड़ , बलात्कार , किसी भी तरह की हिंसा श्मशान या कब्रिस्तान या ग्रेव यार्ड में नही हुई तो हुई न ये बात साबित कि महिला सबसे ज्यादा सुरक्षित यही है और बैठे बैठाये आप ये भी जान गए कि महिला शहर में असुरक्षित है | जी जी जीते जागते लोगो के बीच !!!!!!!!!!१ अब जब महिला ने आपकोजीवित मान ही लिया है तो कम से कम उसके साथ हुई किसी बदसलूकी पर बोल भी दीजिये कम से कम उसे ये तो जानने में आसानी रहेगी कि श्मशान कहा है ? आरे आपने ना जाने कितनी बार उसको अपने जीवित होने का एहसास कराया है जब उस पर तेजाब फेका है........... फब्ती कसी है ......... उतनी चंचलता आप उसे अब भी दिखा दीजिये जब वो चिल्लाती है बचाओ बचाओ !!!!!क्या आप नही बचाएंगे क्योकि अगर आप साथ देंगे तो पता चल जायेगा अपराधी कौन है और उसको सजा मिल जाएगी और आप चाहते है कि चुप रहे क्योकि तब लड़की के साथ होने वाले अपराध के लिए गवाही कोई देगा नहीं और औरत हार जाएगी और आप कह सकेंगे कि देखा औरत झूठ बोलती है वो बस फर्जी बात करती है वो पूरी तरह सुरक्षित है | क्या बात है आप ने कितनी आसानी से सिद्ध कर दिया कि जब औरत कुछ सिद्ध ही नहीं कर पायी और आप बाइज्जत छूट गए तो हुआ ना शहर श्मशान जहा औरत सबसे सुरक्षित है ( अब औरत के अपमान पर बोलेंगे नहीं तो शहर श्मशान से क्या कम है आखिर मुर्दे कब बोलते है ) व्यंग्य समझ कर आज की सच्चाई पढ़िए कभी सोचिये एक लड़की के लिए आप कितनी बार खड़े हुए .................डॉ आलोक चांटिया - अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 4 February 2015

महिला का सम्मान क्यों नहीं होता है ????????????

महिला का सम्मान नहीं करना चाहिए ......
स्वंतंत्र भारत में सबसे बड़ा क्या है ???? देश का संविधान और इससे ऊपर कुछ है भी नहीं ( अब इतने संसोधन कर डाले तो बड़ा होगा भी नहीं ).अक्सर  हम सब अपने मूलाधिकार के लिए परेशान रहते है पर सरकार ने सोचा कि देश की जनता को ये भी तो बताना जरुरी है कि उसके दायित्व क्या है ???? और बस देश के संविधान में चौथे भाग में अनुच्छेद ५१ अ  जुड़ गया पर इसमें लिखा क्या है ?????
"महिला की गरिमा के लिए बुरी कुरीतियों का परित्याग " वाह वाह कितनी बढ़िया बात है ये देश कितना सजग है महिला के लिए और हो भी क्यों ना आखिर इस देश में ही महिला देवी समझी जाती है और यही देवी की शक्ति देखने के लिए अक्सर हम महिला के साथ कई अमानवीय हरकत करते है कि देखे देवी मेरा क्या बिगड़ लेती है कभी नाबालिग के साथ बलात्कार  तो कभी महिला पर तेजाब आउट तो और कल के अखबार में था कि लखनऊ में शहीदपथ पर १९ साल की लड़की के शरीर को आरे के काट कर फेका अब बताइये इसमें उन जानवरों का क्या दोष वो बेचारे तो देखने केलिए महिला देवी क्यों है सामाजिक शोध कर रहे है जैसे एडिसन ने अंडे पर बैठ कर देखा था कि अगर चिड़ियाँ के बैठने से बच्चे होते है तो उसके बैठने पर भी होंगे पर ये क्या अंडा तो फूट गया और न माया मिली न राम | यही हाल इस देश में महिला को देवी कह कर किया जा रहा है | वैसे आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है आप महिला के साथ हर दिन ऐसा ही करिये आखिर देवी को देखना है कि नहीं और फिर गीता में कहा गया है कि जब जब धर्म की हानि होगी तब तब भगवन अवतार लेंगे और इसका मतलब है की अभी महिला की इतनी दयनीय स्थिति के बाद भी धरम की हानि उतनी नहीं हुई है कि बगवान का अवतार हो !!!!!!!  वैसे भगवन अाये ना आये पर आप डरिये बिलकुल नहीं क्यों इस देश में संविधान से ऊँचा कुछ भी नही और आप तो जानते ही है कि नीति निदेशक तत्वों में उल्लिखित दायित्वों को न्यायलय में चुनौती नहीं दी जा सकती | तो बनने दीजिये रोज इस देश में महिलाओं के लिए कानून | पर आप महिला की गरिमा के विरुद्ध अपमान वाली कुरीति का परित्याग न कीजियेगा क्यों महिला की गरिमा गिरती रहे कौन उसको न्यायलय में चुनौती दी जानी है ( भैया मैं नहीं ये तो संविधान में लिखा है की ५१ अ को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती ) और तो और महिलाओ के लिए बने सैकड़ो कानून संविधान से ऊपर तो हो नहीं सकते और आप संविधान से ऊपर कुछ मानते नहीं ( सरकार भी संविधान को सर्वोच्च मानती है ) तो अब तो समझ गए ना कि कानून बनने के बाद भी देश में महिला की गरिमा क्यों तार तार हो रही है .आइये हम सब संविधान को सर्वोच्च मान कर उसकी हर बात का सम्मान करें ( इसे एक सच्चा व्यंग्य समझ कर पढ़े और लगे कि अंतरात्मा कहती है कि महिला के लिए कुछ किया जाये तो आगे आये ) डॉ आलोक चांटिया अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, 2 February 2015

चोर चोर मौसेरे भाई

चोर चोर मौसेरे भाई ...........
देखिये अपनी बार शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूँ कि इस देश में नारी की पूजा होती है | उसका रूप देवी का है और इसी लिए दुनिया में ये देश अलग है | हम धरती को भी माँ कहते है और गंगा को भी माँ कहते है | मतलब मैं इतना कह चूका और आप समझ ही नहीं पाये आरे भैया इस देश में अगर किसी आदमी के दो बेटी हुई और उन बेटियों की शादी हुई और जब बच्चे हुए तो वो क्या कहलायेंगे ???????????? मौसेरे भाई और मौसेरे भाई क्या होते है .......चोर हा हा चोर यानि जिनके भी घर दो बेटियां है उनके कारण इस देश को चोर मिलने की संभावना ही ज्यादा  है | पर ये मैं नहीं कह रहा आप ही सदियों से कह रहे है चोर चोर मौसेरे भाई | अब दो भाइयों के बच्चे तो चोर हो नहीं सकते | अब तो समझ गए होंगे ना कि क्यों लोग लड़के ज्यादा चाहते है और लड़की नहीं | और यही नहीं अगर लड़की पैदा भी हो सिर्फ एक क्योकि तब मौसेरे भाई होंगे ही नहीं और चोर भी नही होंगे ( अब ये ना पूछियेगा कि फिर इतने चोर क्यों है पता नहीं आप ना जानते हो कई बहाने लोगो को  पता ही ना हो ) अब जान पाये कि नहीं क्यों लोग एक लड़की चाहते है | अब आप ही बताइये कि जब संस्कृति ही सिर्फ एक लड़की की बात करता हो तो उस देश में लड़की की संख्या घटने पर क्यों शोक | आखिर आप क्यों चाहेंगे कि पूरा देश मौसेरे भाइयो से भरा हो ( वैसे फिर ये चोरों की जमात आई कहा से...अब चरित्र पर ऊँगली तो उठना ठीक नहीं ).| क्या आपको अभी भी शक है कि ये वही देश है जहा औरत को देवी समझा जाता है वैसे क्या आप जानते है कि दो भाइयों के चोर चोर चचेरे भाई क्यों नहीं ????? बताइयेगा जरूर और हा दो बहनो के लड़के ही चोर होंगे अब आप ही बताइये कि इन बहनो के लड़की हुई या नहीं ( अब तो समझ गए न कि लड़की के लिए हम कितने संवेदनशील है ) वो देखिये सामने वाले घर में फिर एक लड़की हो गयी !!!!!!!!!!! क्या एक चोर बढ़ने की सम्भावना बढ़ गयी ( अब ये ना पूछियेगा कि क्यों लड़की की संख्या घट रही है ) क्या आप मौसेरे भाई है ??????????? लड़की के लिए हम सबको अपना दृष्टिकोण बदलना होगा .....डॉ आलोक चांटिया ( अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday, 27 January 2015

नरेंद्र मोदी बुद्धिमान है

नरेंद्र मोदी जी एक बुद्धिमान प्रधान मंत्री है ....
इस देश में हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई का दौर इतना नही रहा जितना पार्टी का हो गया है तो बहुत लोगो को लगेगा कि मैं चाटुकार हूँ खैर कमल मुझे हमेशा अच्छा लगा है क्योकि लक्ष्मी उसी पर बैठती है | खैर आइये सुनिए मजे की बात एक मित्र ने मुझसे कहा कि ये भी कोई बात है कि जिस देश में हर दिन छेड़ छाड़ और बलात्कार कि घटना घट रही हो और निर्भया कांड के बाद सरकार ने सार्वजनिक स्थानो पर कैमरे लगाने की बात  की थी पर ऐसा कुछ नही किया गया और ओबामा के आने पर १५०० कैमरे लगाये गए | ये है असली भारत का चेहरा और गुलामी की दास्ताँ ...अब हम कैसे कहे कि हम लोग जैसे यही चाहते है कि सबसे पहले किसी में गलती किसने ढूंढी प्रतियोगिता के विजेता हम ही बन कर रहे ( जनसँख्या ज्यादा  होने के कारण कीड़े मकोड़े की तरह जीने के कारण हम अपने को अच्छी ????? बातों से प्रकाश में  लाने पर अब विश्वास नही करते) नरेंद्र मोदी को पता है कि गुलामी में वर्षो तक रहने के कारण ( जी जी मैं भी ) अब जब तक हमको कहा ना जाये हम कोई काम तो करते नहीं और कोई लड़की ख़त्म तो हुई नहीं जा रही है जो निर्भया के बाद कोई अफरा तफरी मच जाये | अब काम तो कराना ही है बस मोदी जी ने निकाल लिया  देश की लड़की को दिल्ली में बचाने के लिए अमेरिका का जिन्न बराक ओबामा और लीजिये लग गए १५०० कैमरे !!!!!!!!! क्या मिला ओबामा को वो तो चले गए ना कैमरे कहा रह गए दिल्ली में !!!!!!! किसके लिए देश की लड़कियों के लिए तो मानते है ना कि नरेंद्र मोदी को पता है कि कैसे आम के साथ गुठलियों के भी दाम मिल सकते है पर आप क्यों मानने लगे आखिर वो देश के प्रधानमंत्री है पर आपकी पार्टी के तो नहीं | अपना अँधा लढा भी नयन सुख और दूसरे का !!!!!!!! वैसे मौका अच्छा है लड़िकियों कि सुरक्षा  के लिए कैमरे आपको अगर अपने शहर में  लगवाने हो तो बस बुला लीजिये किसी विदेशी को और आने से पहले दिलवा दीजिये धमकी खतरे की बस देखिये आपका भी शहर महफूज हो जायेगा ( कम से कम लड़कियों में तो आत्मविश्वास जागेगा ही कि चलो अब कैमरे लगे है तो कुछ कम होगा ) वैसे क्या आपकी कोई दुश्मनी है नरेंद्र मोदी से जो आप उल्टा बोलते है ?????अच्छा अच्छा आपको शुगर और ब्लड प्रेशर है और डॉ ने कहा है कि अपनी कैलोरी को मेन्टेन कीजिये \ वह वह क्या बात है नरेबदृ मोदी को आप आरोप लगा कर अपने स्वास्थ्य को ठीक रखते है !!!!!!!! जय जय हो नरेंद्र जी आपकी लीला अपरम्पार है आप देश वासियों का कितना ख्याल रखते है | शरीर एक और काम अनेक !! क्या अभी भी आप नरेंद्र मोदी को बुद्धिमान नहीं मानेंगे ?????? हा हा क्यों मानेंगे पहले जान है फिर जहान आखिर उनके कारण ही तो दिमाग और शरीर को आपके सुकून मिलता है तो कीजिये अपना काम और कहते रहिये कि कैसे आपने मोदी जी को बुद्धिमान कहा ????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ अलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Sunday, 25 January 2015

मरने से पहले गाइये राष्ट्र गान

भला क्यों गए ५२ सेकंड में ........व्यंग्य नहीं
 आज का दिन ऐसा है कि मुझे लगता है मैं कितन कुछ आपसे कह डालूं !!! अच्छा बताइये क्यों राष्ट्र गान ५२ सेकंड में गाते है ???? बताइये बताइये आप तो जगद्गुरु है ज्ञान में बताइये क्यों गाते है ??  नहीं जानते ना तो लिहिये दुनिया के इकलौते अक्लमंद से सुनिए ५२ सेकंड का जादू !!!!!!!!! अपने शरीर के बहने वाले खून को जानते है ना और उसमे जो लाल रक्त कणिकाएं होती है जिससे  पूरे शरीर को  भोजन , ऑक्सीजन  मिलती है वो लाल रक्त कनिका खुले में सिर्फ ५२ सेकंड ही जिन्दा रह सकती है | कुछ समझे की नहीं ?????????? आरे बहिया हम ठहरे गगड गुरु तो हमने अपना राष्ट्र गान ऐसा बनाया कि अगर कोई भारतीय मर भी रहा हो तो जब उसके शरीर की लाल रक्त कनिका ५२ सेकंड में मरे तो कम से कम राष्ट्र गान तो पूरा हो जाये | क्या इतना सम्मान है किसी और देश के पास ( सारा तो बस आप ही के यहाँ है )  तो आज तो बन जाइये सिर्फ भारतीय जिसका रक्त हवा में भी ५२ सेकंड में मरने से पहले राष्ट्र गान ५२ सेकंड में गण जनता है ( है ना मस्त व्यंग्य ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

भारत का गणतंत्र दिवस और दो छक्के

भारत ने मारा दो छक्का ..............
कभी तो देश के लिए भी सोच लिया करो माना कि क्रिकेट मैच भी चल रहा है और आप उससे बड़ा कुछ नहीं मानते पर आज आप के देश ने दो छक्के मारे है ...वह क्या बात है आप तो जल्दी समझ गए कि मैं देश के ६६ वे  गणतंत्र दिवस की बात कर रहा हूँ  अब आप कहेंगे कि मुझे छक्कों का कुछ ज्यादा तजुर्बा है| आप शायद जानते नही कि मैं जनता हूँ कि छक्के ( जिनके प्रजनन अंगो के ज्ञान न होने पर आम तौर पर उनको हिंजडा कहते है वैसे तो देश में प्राकृतिक रूप से एक लाख बीस हज़ार शिखंडी है ) हमेशा भारत के निर्माण में सहायक रहे है | वो छक्का ही था जिससे सामने खड़ा करके अर्जुन ने भीष्म  पितामह को मारा था | और वो मालिक गफूर भी छक्का ही था जो अलाउद्दीन ख़िलजी का सेना पति था और उसने अपनी सारी लाड़ियां जीती | अब सोचिये कि जब देश दो छक्कों के साथ आगे बढ़ रहा हो तो निश्चित रूप से वो जीतेंगे ही | ( व्यंग्य समझ कर इस सच को स्वीकार कीजिये ) डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन 

Saturday, 24 January 2015

देश की औरत हमारी बहन नहीं

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई .....आपस में सब भाई भाई
मुस्लिम का सबसे पहला आक्रमण ७१२ ईसवीं में हुआ | १४६९ ईसवीं में गऊ नानक का जन्म हुआ और १६०० में ईस्ट इंडिया कंपनी आई मतलब ये स्पष्ट है कि ये नारा १६०० के बाद आया होगा वैसे अगर किसी को पता हो बता दीजियेगा | वैसे जब भाई भाई नहीं समझा तभी ये नारा आया होगा खैर आप अगर मान लेंगे तो लगेगा कैसे की किसी सही बात को आप सुन लेते है | अच्छा आप ये तो मान लेंगे ना कि इस नारे में यही कहा गया ना कि हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में सब भाई भाई !!!!!!!!!!!!!!!!!! यानि किसी धर्म की महिला आपस में बहन नहीं हो सकती और कहे भी कैसे आखिर सब भाई और सब बहन तो बेचारे वैलेंटाइन डे का क्या होगा ???और कहा भी गया है कि औरत की कोई जाति नहीं होती | मानते है की नहीं सारे देश के पुरुष भाई बन कर औरत को बस जैविक प्राणी समझे और जो मौका पाये ???????????? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया ???क्या इस देश में महिला की इज्जत केलिए आप कुछ भी कर सकते है तो क्या ये नारा झूठा है !!!! अरे अब मान भी लीजिये इस देश में औरत सब की बहन नहीं हो सकती !!खैर आप कहेंगे सब भं हो जाएँगी तो भला आप जान ही नहीं पाएंगे कि दूल्हा शब्द क्या होता है और वो औरत है कौन जो दूल्हा शब्द को सार्थक करेगी वो आपको पता नहीं , इस लिए भला औरत को बहन कैसे कह दे ???? और जब बहन कह नहीं सकते तो क्या निर्भया और क्या सुनंदा पुष्कर !!! वैसे आप बताएगा जरूर कि क्यों  हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई .....आपस में सब बहन भाई........... क्यों नहीं ??? जी जी बता ही डालिये कि इस देश की औरते , महिलाये क्या है सब धर्म जाति के लिए ??????? सिर्फ मादा कह दूंगा तो आप मेरी मानसिकता को कह कर क्या साडी देश की महिला को आज से बहन समझने लगेंगे ????????( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )
डॉ आलोक चांटिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

बसंत पंचमी या निराला या माँ शारदा

कितनी निराला है शारदा का जादू ............
कल कई लोगो ने मुझसे कहा कि आप को सुभास बाबू के लिए छुट्टी का ख्याल है पर क्या आज तक किसी महिला के लिए छुट्टी हुई अब उनसे कौन कहता कि छट्टी तो मनुष्य के लिए होती है अब भला देवी के लिए कौन सी छुट्टी होती है | भारत में औरत एक मनुष्य कब रही और अगर औरत नही नहीं देवी को छुट्टी दे दी गयी तो ?????  अक्ल की देवी शारदा ने कोई छुट्टी नहीं ली तब तो देश के नेता समझ नहीं पा रहे कि कब या बोले ?? कभी कहते है कि महिला को कपडे कम पहनने से बलात्कार बढ़ रहा है | कभी कहते है महिला पैसे लेकर वोट खरीदा जाता है पैसा लो और वोट किसी को ना दो अब अगर देवी के नाम पर छुट्टी हो गयी तो क्या होगा फिर आप ही कहेंगे हर डाल पे उल्लू बैठे है अंजाम ए गुलिस्तां क्या होगा  वैसे माँ शारदा की कृपा जिन पर नहीं होती वही एक पर एक फ्री का मजा लेते है यानि आदमी भी और उल्लू भी | ओह हो मैं तो भूल ही गया कि आज तो कर्पूरी ठाकुर जी का जन्म दिन है पर ये सूर्य कांत निराला कौन है इस देश में !!!!!! होंगे कोई औने पौने अगर कुछ होते तो भला सरकार इनको याद क्यों ना करती क्या सरकार के पास अक्ल मतलब माँ शारदा का वरदान नहीं है ( सरकार के पास दिमाग होता तो दिल्ली में एक साल में चुनाव क्यों होते अब हम कोई मनुष्य तो है नहीं हम  तो सामाजिक जानवर है और जिसकी लाठी उसकी भैस पर विश्वास करते है अब हम मिल कर सरकार क्यों बनाये जनता में जाये भाड़ में जब तक वो पूर्ण बहुमत नहीं देगी तो चुनाव पर चुनाव कराते रहेंगे अरे महंगाई बढ़ेगी तो बढे कौन नेता को असर पड़ता है जब तक जनता का कचूमर नहीं निकलेगा तब तक उनकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी अब तो समझ गए होंगे माँ शारदा के छुट्टी पर जाने का खमियाजा कैसे देश को भुगतना पड़ रहा है ) हा तो मैं कह रहा था कि भैया निराला जी होंगे तीस मारखा अपने घर के इस देश में अक्ल का क्या काम .यहा तो अक्ल बड़ी या भैस ( और भैस ही  बड़ी है ,देश के जाति धर्म है अब उनको बड़ा माने या नेता अक्ल का माने कोई एक निराला से तो देश चलने नहीं जा रहा उनसे तो जाति के नाम पर भी फायदा नहीं मिल सकता )...और जब चुनाव में भैस जैसी जाति धर्म ही बड़ी दिखाई दे रही तो भला अक्ल की देवी या निराला के लिए किसके पास फुर्सत और आप तो खुद कहते है भैस के आगे बीन बजाओ भैस खड़ी पगुराय ( जनता के आगे कहते रहिये की कौन अच्छा है किसके पास  बुद्धि है , जनता( भैस ) तो देखती है कौन अपनी जाति का है धर्म का है ) वैसे आप किसी दिन माँ शारदा  को छट्टी देकर देखिये अगर लोग पागल कहकर पागल खाना न भेज दे तो कहियेगा और इसी लिए आप चाहे देवी हो या महिला मनुष्य उसे छुट्टी देना ही नहीं चाहते आखिर आप क्यों चाहेंगे क़ि महिला छुट्टी पर जाये और आप पागल हो जाये | अब तो मान लीजिये क़ि हमारा देश कितना बड़ा जगद्गुरु है क़ि उसने जान लिया क़ि महिला को कभी कोई न छुट्टी दो न इसके नाम पर छुट्टी मनाओ क्योकि खाली दिमाग शैतान का घर और बिन ग्रहणी घर भूत का डेरा ..........क्या अब भी आपको लगता है क़ि महिला के नाम पर छुट्टी होनी चाहिए ??? खैर क्या आज आपने  अक्ल की देवी को नमस्ते किया या आज वो छुट्टी पर थी सी लिए आपको याद नहीं रहा ........माँ शारदा तुमको नमन .निराला है तेरा और शब्द है मेरा ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) डॉ आलोक चांटिया ,  अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 23 January 2015

कौन है सुभाष चन्द्र बोस

सुभाष बाबू ......का जन्मदिन है क्या ??
आज की भगति दौड़ती जिंदगी में लोग शादी तो कर रहे है पर किस तारीख को ऐसी घटना घाटी थी आपके जीवन में वो कितनो को याद है ???? अब अब बताइये नहीं अगर ग्रीटिंग कार्ड वालों ने जन्मदिन का प्रचार न किया होता तो आप जान भी ना पाते कि आपकी गर्ल या बॉय फ्रेंड का जन्मदिन कब है | जन्म दिन हो और आप रात में १२ बजे तक जागते न रहे क्योकि आप वो पहले व्यक्ति है जिसने जन्मदिन मुबारक कहा और कितनी खुश हो जाती है ( माँ बहन के लिए रात में जागने की फुर्सत तो है नहीं पर आप मेरी ये बात मानियेगा नहीं ये कोई बात हुई कि आप हर सच बात को मान ले ) वैसे मुझे याद है कि बचपन में जन्मदिन पर गुलगुला ( आटे और गुड से मिल कर बनता है )  बनता था , मंदिर जाते थे और सत्यनारायण भगवान की कथा होती थी पर ये कोई मानव के प्रगति को दर्शाता है जब तक होटल में पार्टी न हो केक न कटे और गले मिल कर एहसास न हो तो जन्मदिन ही क्या ( पर आप कहियेगा कि सब झूठ खुद करता होगा तभी ज्यादा अनुभव है आखिर हम उस देश में रहते है जहा प्राण जाये पर वचन न जाये ),,,,,,अब आप बताइये आज सुभाष चन्द्र बोस का जन्मदिन कोई भला क्यों याद करें !!!! यही तो वो देश है जहा का दर्शन है अपनी उन्नति करों तो देश की उन्नति खुद ही हो जाएगी
तो जब अपना जन्मदिन मनाएंगे तो सुभाष बाबू का जन्मदिन तो हो ही जायेगा ......दिल से बताइये क्यों इस देश प्रेमी का जन्मदिन कल रात १२ बजे आपको याद आया !!!!!!!!!!  नही आया ना क्यों आये आखिर कौन सा एहसान किया देश के लिए काम करके
और काम गर किया होता तो देश में आज सरकार ने छुट्टी न की होती जो काम करता है उसके लिए इस देश में छुट्टी होती है सच को आंच नहीं क्या नेहरू , गांधी और कर्पूरी ठाकुर के लिए छुट्टी नहीं हुई तो भल सुभाष  बाबू के लिए क्यों नहीं अगर कोई तीर मारा था तो सरकार अंधी तो है नहीं जो उनके लिए छुट्टी न करें | तो जब सरकार मानती है कि सुभाष जी ने कुछ खास नहीं किया तो भला हम क्यों करें और क्यों मनाये उनका जन्मदिन !!! सुभाष बाबू इसी लिए कहा था कि गांधी जी का विरोध ( १९३९ में कांग्रेस के चुनाव में गांधी का विरोध किया और फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की ) न करिये अब भुगतिये कोई आज आपको याद नही करना चाहता पर मैं जनता हूँ कि आपको मालूम है कि इस देश का गुमनाम आदमी ( वोटर ) आपको जरूर याद रखेगा ...जी जी आपको जन्मदिन शुभकामना आप अमर रहे ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Thursday, 22 January 2015

सर कटा सकते है लेकिन ..........

सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नही ............
भैया मैं क्यों मानूं अपने को भारतीय ???? आखिर इस देश ने ही सिखाया है कि अपनी संस्कृति अस्मिता के लिए सर कटा लो पर सर न झुकाओ
.....     तो भला मैं क्यों ना हिन्दू मुसलमान सिक्ख और ईसाई बनूँ ??? मैं क्यों न अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए एक दूसरे का सर काट लूँ .........आखिर देश से जो सीखा वही तो करूँगा !!! अब आप तो नाराज होने लगे अगर आपको विश्वास न हो तो आप देश का संविधान उठा कर देख लो पूरे संविधान में कही भरित्ये होने के लिए कुछ करने की जरूरत ही नहीं !!!बस अगर आप अल्पसंख्यक तो ये कर सकते है आप वो आर सकते है !! और ये सब मूल अधिकार है यही नहीं अगर आप मुस्लिम , सिक्ख ईसाई नहीं है तो आपको हिन्दू माना जायेगा | अब आप की क्या मजाल जो किसी को भारतीय बना डेल या पूरे भारत को एक भरित्ये होने का सपना दिखाए , जब जब ऐसी आपक कोशिश की जाएगी तो हम भारतीय होने का पूरा विरोध करेंगे और सिर्फ हिन्दू , मुस्लिम सिक्ख ईसाई बन कर ही सोचेंगे भले ही रोज धर्म के नाम पर सैकड़ो सर काट जाये पर सिर्फ भारतीय कहलाने के लिए सर नहीं झुकाएँगे | क्या आप किसी भारतीय से मिले आज तक ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Wednesday, 21 January 2015

दिल्ली मेरे बाप की

दिल्ली नास्ति दूरे................दिल्ली दूर नही है
दूसरे विश्व युद्ध के समय अपने सैनिकों को सम्बोधित करते हुए देश के महान नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने हिम्मत बांधते हुए कहा था कि दिल्ली दूर नही है लेकिन ७० साल बाद दिल्ली दूर लगने लगी क्यों ???? जी जी मुझको मालूम है आप ट्रैन और एयर बस से चलने लगे है पर दिल्ली किन से दूर है ???????? खैर आपने जब सुभाष चन्द्र बोस का ही सौदा कर लिया तो दिल्ली की दूरी कहा समझ पाएंगे दिल्ली में कोई आये जाये आपसे क्या | वैसे दिल्ली हमारे देश के उत्तर दिशा के खुले हिस्से से इतनी पास थी खैबर दर्रा पार करके दिल्ली को उन लोगो ने ज्यादा हथिया लिया जो इस देश में आक्रमण कारी ज्यादा थे | क्या दिल्ली की दूरी कम हो रही है फिर से ???? ओह हो आप चाहते है कि तुगलक वंश को मैं कैसे भूला जा रहा हूँ न न न भला मोह्हमद बिन तुगलक को मैं कहा भूला वही तो था जिसे दिल्ली से प्यार हो गया था पर दिल्ली अपने ऊपर शासन करवाने की इतनी आदी हो चुकी थी कि बेचारा वो भी दिल्ली के आगे मुँह की खा गया | आप शायद पृथ्वी राज चौहान की दिल्ली फिर गजनी के हाथो में दे रहे है क्या ????? वो राजा अँधा होकर भी अपनी दिल्ली बचाने के लिए लड़ गया पर आप तो आखिरी बार अंग्रेजो के साथ रहे है और जो अंत में साथ दे वही तो सच्चा मित्र है और मित्र जाते जाते सीखा जो गया कि अगर राज करना है तो भाई भाई  को लड़ा दो उनको रोटी में इतना उलझा दो कि ये सोचने का मौका ही न मिले दिल्ली किसके हाथ में जा रही है ???? क्या आपको पता है दिल्ली का दिल क्या चाहता है या वेलेंटाइन डे की तरह दिल को भी बाजार में उतारना और बेचना आपको आ गया है ?? चलिए कह भी डालिये  तुमसे क्या मतलब कोई तुम्हारा  दिया खाता हूँ क्या ?? मैं जिसे चाहूँ  उसे दिल्ली दूँ !!!!!!!! चलिए मैं समझ गया कि आप एक को माँ समझ सकते है अब भला हिन्दू मुस्लिम सिक्ख  ईसाई सबकी माँ ( भारत ) को अपनी माँ मैंने का कोई ठेका थोड़ी न ले रखा है आपने ???पर इस माँ का दिल अपने बेटे की तरह देख रहा है आपकी तरफ ( वैसे दुनिया के सबसे जयदा अंधे इसी देश में है ) क्या आपको दिखाई दे रहा है ???टी ओ किसको ये दिल( वोट ) सौप रहे है ???????????? व्यंग्य समझ कर वोट की राजनीती समझिए और राष्ट्र को एक ही के हाथ में दीजिये ...अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Tuesday, 20 January 2015

दिल्ली में दिल्लगी

दिल ......................ली ..........या बिना दिल की दिल्ली या दिल्लगी
१९११ में लार्ड कर्जन ने जब कलकत्ता से बदल कर देश की राजधानी दिल्ली बनाई तो किस को मालूम था कि दिल्ली में दिल की ही कमी हो जाएगी !! दिमाग पर जोर ना डालिये अगर दिल होता तो निर्भया कांड क्यों होता भला यह तो सब कुछ शर्रेर के लिए ही हो रहा है अब दिल होता तो क्या सुनंदा पुष्कर कर शरीर चोट और जहर कर निशान लिए होता काश उस बेचारी को दिल्ली में दिल मिला होता | अब आपका दिल तो दिल्ली में लगा ही रहेगा आखिर देश का प्रधान मंत्री वही से तो आपको देखता है पर दिल में क्या चल रहा है क्या इसकी एक किरण भी आपको दिखाई दे रही है कही वैसे तो किरण से आजकल हर तरह प्रकाश दिखाई दे रहा है पर  इस प्रकाश से अरविन्द या कमल ( दोनों पर्यायवाची है ) में कौन खिलेगा क्या आप अभी भी दिल्ली में दिल या दिल्लगी का मतलब समझना चाहते है | अगर दिल्लगी करनी है तो आईये दिल्ली में पानी ढँढते है वो देखिये यमुना का काला पानी यही तो पानी है जिसके लिए दिल्ली में चु ............नाव दिख रहा है और कीचड़ में अरविन्द या कमल कौन खिलेगा | दिल्ली में लाइट की चिंता करना आपके दिल्लगी का ताजा उदहारण है वैसे आपके प्रदेश में खुद कितने घंटे लाइट आती है |वैसे आप इस बार के दिल्ली चुनाव में दिल से वोट देने जा रहे या दिल्लगी करने क्योकि आपकी ४९ दिन की दिल्लगी से किसी को अपने वोटो का गर्भपात( अब जबर्दश्ती अपनी तानाशाही में सरकार गिरा देना गर्भपात से कम तो नहीं ) देखना पड़ेगा | तो कम से कम दिल का अपमान तो ना करें वैसे आज कल दिल है कहा सारा दिल तो युवाओ के पास है जो अपनी तरह का दिल ढूंढने में ही खो जाता है पर आखिर दिल्ली के दिल का क्या होगा ?????? दिल उसे दीजिये जो देवदास( वोटर ) का दर्द समझे और प्यार का मतलब समझे दिल्ली से दिल्लगी नहीं दिल का रिश्ता !!!!!!!!!!!!!! कौन बनाएगा ( वैसे अगर दिल का मतलब हम समझ रहे होते तो घरेलु हिंसा , मार पीट , तलाक , बलात्कार , वैश्यावृति होते ही नहीं ) क्या आप वोट ( दिल ) देने जा रहे है .संभल कर आगे कीचड़ है !!!!!!!!!!! ओह आपको पता है कीचड़ में ही कमल होता है ( काश आप इतना समझ पाते )
व्यंग्य समझ कर पढ़िए अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Monday, 19 January 2015

आखिर कौन है अच्छा

भगवान किस को अच्छा मानता है ....

अगर अच्छे लोगो को भगवान जल्दी बुला लेते है तो राजनीति में कौन लोग है ??? अगर अच्छे लोगो से मतलब कम उम्र है तो ज्यादा उम्र के लोग ही क्या अच्छे नहीं होते है ? क्या राजनीति इसीलिए गन्दी ???? अगर अच्छे लोग का मतलब काम से है तो आप जान गए होंगे कि नेता कोई अच्छा काम क्यों नहीं करते !!! आखिर भगवान किसी को बुलाये ये कोई अच्छा काम है !! भगवान तो इस देश में वोटर है जो भूखा प्यासा , बिना लाइट का बिना घर का , बिना अच्छी सडको के रह रहा है अब ऐसे भगवान के पास कोई जाता है भला !!!!!!!!!!! फिर भगवान किन अच्छे लोगो को अपने पास जल्दी बुला लेता है ???( व्यंग्य समझ कर पढ़िए )

Thursday, 8 January 2015

ALL INDIAN RIGHTS ORGANIZATION PRESENTS .........



kutta ...................


 कुत्ता ......................
मैं स्वामी का कुत्ता हूँ ,
स्वामिभक्त कहलाता हूँ ,
आने जाने वालो पर ,
भौंक बेवजह आता हूँ |
बेशर्म बना उनकी खातिर ,
पूँछ उठा कर चलता हूँ ,
दो रोटी पर बेचा जीवन ,
दुत्कार लिए मैं मिलता हूँ ,|
इज्जत की मैं सोचूं ना ,
तू तू करके लोग बोलते ,
नोची हड्डी पाकर भी ,
चहेरे से मैं खिलता हूँ |
काम हुआ या डर लगा ,
गोद में इनकी मिलता हूँ,
लात मिली मुझे सौगात में ,
औकात से जब मैं जलता हूँ,
कुत्ता हूँ फिर भी भरोसा ,
आदमी ही मुझ पर करता है ,
कोई ना कह दे दुम हिलाते ,
कुत्ता सुनने से डरता है |
धन्य है वो जो स्वामिभक्त ,
अंधे बनकर सब करते है ,
चाटुकार बन दुम हिलाते ,
कुत्तों का मान तो रखते है,
कर पाता जो उनकी पूजा ,
हाथ हमारे दो जो होते ,
आदमियों में कोई है अपना ,
चार पैर हमारे सार्थक होते ...........
आज पता नही क्यों ऐसा लगा कि कुत्ता का भी अपना एक दर्द होता है बस उसकी को उकेरने की कोशिश है ..................

Monday, 5 January 2015

कुत्ते कार खर्रेड रहे है ..बचिए

कुत्ते आज कल कार खरीदने लगे है ...........
कर ट्रेड डॉट कॉम ये कह रहा है भला मैं कौन होता हूँ किसी को आइना दिखाने वाला और भला सच बात को कब किस ने माना है  | इस वेबसाइट पर जाइये और देखिये कि अब आदमी नही कुत्ते कार खरीदने लगे है खैर अब मुझे अपने एक्सीडेंट होने का कोई दर्द नहीं है क्योकि शिकायत आदमी से होती तो ठीक अब भला जब कुत्ता कार चला रहा था तो क्या उम्मीद करना | वैसे आज कल जिस तरह से हिट एंड रन के वाद चल रहे है उससे से आप भी मानते होंगे ना कि इस वेबसाइट ने काफी खोज और शोध के बाद ये दिखाया होगा कि कुत्ते कार खरीदने लगे है | आप विश्वास कीजिये कि मैं आपको नहीं कह रहा आप कुत्ता सुनकर क्यों परेशान हुए जा रहे है जब कि अनुवांशिकता में ये सिद्ध बात है कि कुत्ता कभी भी उद्विकास में हमारे साथ नहीं रहा अलबत्ता चूहा , बन्दर , कपि से हमारा सम्बन्ध सिद्ध है और इसी लिए तो आप चूहे का गुण रखने के कारण कुत्ता पालने लगे अब इन कवियों को मैं क्या कहूँ जो ये बताने भी नहीं चुके कि संगत से फल उपजे संगत से फल जाये .........पर आप उनपर कभी नही भौके मेरा मतलब चिल्लाये और मुझे पर फर्जी आरोप लगा रहे है कि मैं आपको ??????? अगर आप इतनी तेजी से बदलते है तो जल्दी से नेचर पत्रिका ( विश्व में विज्ञानं कि सबसे श्रेष्ठ शोध पत्रिका ) में अपना अनुभव भेजिए | मैं टीखुद नहीं समझ पा रहा कि वेबसाइट पर कुत्ते को कार खरीदते क्यों दिखाया जा रहा है क्या आज तक हम सब लोग भ्रम में थे ? मैं खुद मानता हूँ कि कार मनुष्य ????? खरीदते है पर मैं आज तक नहीं ले पाया | क्या आदमी और कुत्ते के बीच कभी शेर ( मुझे आप यही समझ लीजिये क्योकि हर गरीब अपने पैरो पर ही चल रहा है ) भी कार खरीद पायेगा या कुत्ते ही दम हिला कर अपने मालिक की चाटुकारिता करके हर सुख  का लाभ उठाते रहेंगे और अब तो कार भी खरीदने लगे है | संभल कर देखिये कही कोई कुत्ता कार खरीद कर आपको आदमी समझ कर कुचल ना दे आखिर गुलामी का दर्द किसी भी कुत्ते को भी पागल बना सकता है अब आदमी के साथ रहने पर कुछ तो खूबियां उसमे भी आ ही गयी होंगी |आज ही वेबसाइट पर जाइये और देखिये आज किस कुत्ते ने वास्को या जिनको ने कार खरीदी ????????? ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) जीवन संका कीमती है उसका सम्मान कीजिये कार संभल कर चलाये क्योकि आप ???????????? अखिल भारतीय अधिकार संगठन

Friday, 2 January 2015

कुत्तो से सावधान

कुत्तों से सावधान ...................
मेरे लोखे पोस्ट पर मेरे एक बहुत करीबी मित्र ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ये क्या जीवन मिला है जो भी है उसका आनंद लो |इतना गन्दा kyओ सोचते हो मुझे भी लगा चलो इन्ही की बात मान लेते है | जल्दी से अपने को बना सवार कर मैंने नव वर्ष की शुभ कामना देने की सोची पर तभी याद आया कि बड़े बुजुर्ग कह गए है कि जब सांगत अच्छी रखोगे तभी ऊचे उठ पाओगे | मैंने भी सोचा कि चलो कुछ बड़े लोगो को नव वर्ष की शुभकामना देते है और आज वही बड़ा है जिसके पास पैसा है अब ये ना कहियेगा कि गलत है क्योकि मुझे मुंशी प्रेम चाँद और जय शंकर प्रसाद की दुर्गति पता है | जी जी आज भी न जाने किसी कला कौशल लोग टी वी और रेडिओ में कमीशन पर काम पाकर अपने जीवन को अच्छे दिन लाने के लिए घसीट रहा है | खाई र्मैने सोचा चलूं किसी बड़े आदमी के घर तो क्या हुआ कि मैं कालोनी के एच आई जी माकन के सामने पंहुचा पर गेट पर लिखा था .........कुत्तों से सावधान !!!!!!!!!!१ मैंने सोचा कि क्या फर्स्ट इम्प्रेशन इस द लास्ट इम्प्रेशन .मैंने सोचा जब इस घर में कुत्ते रहते है तो क्या फायेदा यहाँ जाने का मुझे तो किसी आदमी को नव वर्ष  शुभ कामना कहना है  और तो और कोई एक कुत्ता नहीं कुत्तों अब या तो आप कह सकते कि मुझे हिंदी नहीं आती पर इतने बड़े घर में कुत्तों का ही आशियाना है बेचारे ना जाने कितने मनुष्य????????? रेन बसेरे में इतनी ठंडक में रात गुजार देते है | खैर मैं मनुष्य को कालोनी में ढूंढ़ता रहा पर हर घर के आगे यही लिखा था .....कुत्तों से सावधान ............क्षमा कीजियेगा मैं तो वही कह रहा हूँ जो घरों के आगे लिखा था वो भी गेट पर !!!!!!!!!!!! अब बारी थी किसी आदमी को नव वर्ष शुभकामना कहने का अगला क्षण ..मैंने देखा कि एल आई जी और जनता घरों में कुत्तों का डर नही था  और जब मैंने उनसे कहा कि नया साल मुबारक हो ..........तो तो बताइए उन्होंने क्या कहा ??????????????? ये भी कोई नया वर्ष है हमेशे तो अच्छे वो कुत्ते जिनको लोग कारों में घुमांते है और उनको रजाई में रखते है | इससे अच्छा तो भगवन हमको भी कु ........................बना देता और मुझे कुत्तों पर बहुत गुस्सा आ रहा था जिनके कारण नव वर्ष का सत्यानाश हो चूका है ..............अब आप सोचिये कि कही इन कुत्तों के कारण आप कभी बड़े गातों के अंदर आदमी देख ना ही पाए तो क्या होगा ????????? एक बात कहूँ आज की दुनिया में कुत्ते बेचे और खरीदे भी जाते है .जो जितनी बहतर नस्ल का कुत्ता उसकी कीमत उतनी ज्यादा ..बस आपको उसको खरीदने कि ताकत होनी चाहिए क्योकि खरीदने की ताकत तो सिर्फ मनुष्य में होती है ना .क्या आप मनुष्य से मिले ????????????सावधान गेट के पार कुत्ता है नहीं नहीं कुत्ते है ( व्यंग्य समझ कर पढ़िए ) ठंडक में कोई मर रहा है जीने का अधिकार दीजिये उनको भी ....अखिल भारतीय अधिकार संगठन