जीवन को इतना समझा ,
कि समझने की बात भूल गया ,
आँखों ने याद दिलाया आलोक ,
फिर अपनी बात ही भूल गया .............१
बरसती क्यों रही आँखे इतनी ,
आखिर उसने सूखा क्या देख लिया ,
भीगा तन मन दोनों कुछ इतना ,
दिल फिर से कुछ आज भीग लिया ..........२
आज सुना है उनकी रुखसती होगी ,
जिन्दगी आलोक कुछ बेरुखी होगी ,
सर कभी कंधे पर न रख सका जिनके ,
उन्ही के दिल में मेरी ताज पोशी होगी ------३
मेरी दिल की लाली उनके मांग में दिखी ,
कदमो की आहट उनकी चूडियो ने सीखी ,
रात का अँधेरा उनकी बंद आँखों में फैला ,
एक किलकारी की इबारत कुछ ऐसी लिखी -------४
कि समझने की बात भूल गया ,
आँखों ने याद दिलाया आलोक ,
फिर अपनी बात ही भूल गया .............१
बरसती क्यों रही आँखे इतनी ,
आखिर उसने सूखा क्या देख लिया ,
भीगा तन मन दोनों कुछ इतना ,
दिल फिर से कुछ आज भीग लिया ..........२
आज सुना है उनकी रुखसती होगी ,
जिन्दगी आलोक कुछ बेरुखी होगी ,
सर कभी कंधे पर न रख सका जिनके ,
उन्ही के दिल में मेरी ताज पोशी होगी ------३
मेरी दिल की लाली उनके मांग में दिखी ,
कदमो की आहट उनकी चूडियो ने सीखी ,
रात का अँधेरा उनकी बंद आँखों में फैला ,
एक किलकारी की इबारत कुछ ऐसी लिखी -------४
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