Tuesday 15 May 2012

satya mev jyatey

सत्यमेव जयते का मतलब होता है सत्य की ही जीत होती है और जिन तथ्यों को आमिर खान दिखा रहे है वह सिर्फ दिखा कर लोगो को आकर्षित कर रहे है \ खुद अपने जीवन में दो औरत लाकर कर मुस्लमान बन जाते है | क्या उस समय उनको याद नही आता कि वह धर्म से ऊपर पहले एक भारतीय है और औरत का सम्मान होना चाहिए , यही नही उनको पुरे भारत में उस कार्यकर्म को दिखाना चाहिए जिनको उनके पतिओ ने छोड़ दिया और अब वे किस हाल में है और उनके बच्चे कैसे है ? पर इसको आमिर नही उठाएंगे क्यों कि उन्हें इससे क्या मतलब कि पहली पत्नी और उनसे पैदा बच्चे कहा जा रहे है? सिर्फ दिखाने से न समाज बदला है और न बदलेगा | बाज़ार की तरह वे मूल्यों को बेच कर सिर्फ पैसा कमा है | आमिर को शायद ही यह पता हो कि मै २००४ से इस देश की राज्य सरकार, केंद्र सरकार और योजना आयोग सबसे कह रहा हूँ कि बहराइच जिले में रहने वाले धन्य्कूट समाज जिन्हें सामान्य वर्ग का सरकार कहती है , उनके समाज को अपने जीवन को बचने के लिए भाई बहनों को शादी करनी पड़ रही है और इस तरह की शादी भारतीय कानून में जुर्म है पर आज तक सरकार ने कुछ नही किया और जब मैंने सुचना मांगी तो कहते है कि आपका प्रकां २२वे नंबर पर लगा है जब नंबर आएगा तब उस पर विचार किया जायेगा | क्या आमिर बता सकते है कि २००४ से सरकार क्या कर रही है औए उस बीच जिन धन्यकुट का जीवन बर्बाद हुआ जा रहा है , उनके लिए कौन जिम्मेदार है ????? आमिर कहन में अगर बाजारीकरण से ऊपर वास्तव में कुछ करने की ताकत है तो अपने कार्यकर्म में धन्य्कुट का मामला उठाये वरना ऐसे कार्यकर्म करके उनकी जेब गरम हो सकती है | देश के लोगो का भला नही हो सकता | आमिर खुद को धोखा देने से अच्छा है कि पहले खुद सच के रस्ते पर जिओ और अपनी पहली पत्नी , बच्चे और धन्यकुट का प्रकरण पाने कार्यक्रम में दिखाओ अगर यह सिर्फ बाजारीकरण का एक मुखौटा नही है तो ????????? डॉ आलको चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

2 comments:

  1. बिलकुल सहमत हूँ। जब तक समाज की हकीकत को नही समझा जायेगा उसके रिति रिवाज़ नही बदले जाते ,अदमी की सोच नही बदली जाती, सब से बडी बात कि जब तक लडकी वालों की समस्यायों का हल नही निकलता ये भ्रूण हत्या बन्द नही हो सकती। आमिर उनकी समस्या भी सुने जिन्होंने लडकियों को लडकों से भी बढ चढ कर पाला पोसा पढाया लेकिन आगे?????????? बहुत से सवाल हैं जिन्हें आमिर ने अधूरा छोड दिया--- शायद उनके पास जवाब नही होता।

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  2. अभी एक ही किश्त आई कि हर तरफ हाहाकार मच गया. शायद बहुतों को अपने चेहरे उसमें नजर आने लगे या फिर भविष्य की किसी किश्त में नजर आने का खतरा मडराने लगा. और हो गई शुरू आलोचनाएँ.
    माना कि इस शो का संचालन एक सेलिब्रेटी. मोटी रकम लेकर कर रहा है. तो क्या ? वह अपना काम कर रहा है .क्या उससे उस मुद्दे की गंभीरता कम हो जाती है? क्या बुराई है अगर जनता को एक स्टार की बात समझ में आती है. पूरी दुनिया स्टार के कपडे, रहन सहन और चाल ढाल तक से प्रभावित हो उसे अपनाती है .तो यदि एक स्टार के कहने से समाज में व्याप्त एक घिनौनी बुराई पर प्रभाव पढता है, उसमें कुछ सुधार होता है तो इसमें गलत क्या है.? आखिर मकसद तो मुद्दे को उठाने का और उसमे सुधार लाने का होना चाहिए ना कि इसका कि उसे उठा कौन रहा है. बात उसके अपने निजी जीवन के संबंधो तक जा पहुंची है. अजीब बात है .यदि कोई अपने निजी जीवन में आपसी सहमति से एक विवाह से तलाक लेकर दूसरा विवाह कर लेता है तो हम उसे बिना जाने समझे असंवेदनशील का तमगा पहना देते हैं.रात दिन जेवरों से लदी- फदी, मेकअप और महँगी साड़ियों में लिपटी पल पल षड्यंत्र रचती सास बहुयों के बेहूदा कार्यक्रमों में करोड़ों खर्चा किया जाये तो किसी को कोई तकलीफ नहीं होती. परन्तु एक गंभीर मुद्दे को उठाने के लिए महंगा कार्यक्रम बनाया जाये तो तो उस पर संवेदनाओं को बाजार में बैठाने का इल्ज़ाम लगाया जाने लगता है.वाह धन्य हैं हम और धन्य है हमारी संवेदनाएं जो लाखों मासूमो की दर्दनाक हत्या से बाजार में नहीं नीलाम होती, बल्कि इस बुराई को हटाने के लिए उठाई गई आवाज़ से बाजार में बिक जाती है.
    माना की आमिर खान एक अभिनेता हैं, और वह अभिनय ही कर रहे हैं, कोई सामाजिक क्रांति नहीं लाने वाले परन्तु उनके कार्यक्रम के माध्यम से यदि एक भी दरिंदा इंसान बन पाता है. एक भी माँ की कोख बेदर्दी से कुचलने से बच जाती है तो उसके लिए उनके करोड़ों का खर्चा मेरी नजर में तो जायज़ है.

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